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Op Merotha Hadoti kavi

Inspirational

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Op Merotha Hadoti kavi

Inspirational

प्रकृति बचाओ कहानी

प्रकृति बचाओ कहानी

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प्रकृति बचाओ, संदेश कहानी के माध्यम से-


एक पौधा था, देखभाल की, खाद डाली, पानी दिया और एक दिन वो बड़ा हो गया। फिर उसे काट दिया गया। वो मर गया। वहाँ एक इमारत बनी। आलीशान शीशे से चमचमाती। बड़े बड़े सेठ लोग आते थे। वहाँ छोटे छोटे पौधे रखे गए। शोभा बढ़ाने के लिए। एक दिन इमारत गिर गयी भूकंप से। पहले भूकंप नही आते थे इतने। अब आने लगे। वो पौधा फिर मर गया।


मैं भी मरना चाहता हूँ। पर ऐसे बार बार नहीं। मैं मरना चाहता हूँ उस पत्ते की भांति जो पूरी ज़िन्दगी हरा रहा फिर सूख कर गिर गया। फिर सावन आया फिर से नया जन्म हुआ।


बार बार मत मारो इन पेड़ों को भी। दुखता है। एक दिन मरेंगे सबको लेकर मरेंगे। फिर कोई इमारत बनाने वाले भी नहीं बचेंगे। बस सन्नाटा होगा।


वृक्ष है इस धरा के अनमोल रत्न

इनको रोपित करने का करो प्रयत्न।।

अगर भू पर न रहे धरा के अनमोल रत्न

दुर्लभ बन जायेगा मानव जीवन अत्यंत।।

क्योंकि मानव खुद, बुन रहा है

अपने नाश होने का षड्यंत्र।।


प्रकृति प्रेमी, जागो और उठो,

पेड़ लगाओ, नगर-नगर।।

इतिहास में कहा गया है कि,

एक पेड़ सौ, पुत्र समान, होता है।।


सोचो जब इस काली जमीं पे

तुम्हारी कोई अपंग पीढी जन्म लेगी तो तुम्हें कैसा लगेगा।।

वक्त है संभल जाओ बहुत कुछ दिया प्रकृति ने,

भविष्य के लिये थोडे हाथ पैर तुम भी हिला जाओ।।

दोनों हाथों से खूब सारे पेड लगा जाओ।।


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