प्रिय मित्र से प्रेम
प्रिय मित्र से प्रेम
रुद्र: "सुनो, तुमसे एक बात कहनी थी लेकिन सोचा कि क्या तुम सुन पाओगी?!,
मैंने सोचा कि मुझे अब बहोत छुपाना नहीं चाइए की तुम मेरे लिऐ दोस्त से कई ज्यादा हो, जिसे में सिर्फ़ अपना मानता हूं,
पर फिर मैंने जाना कि तुम्हे कोई और पसंद है,
अब मेरे पास दो रास्ते थे या तो मैं 'कुछ कुछ होता है' की अंजली शर्मा बन जाऊ और तुम्हें कुछ न कहूं और जीवन भर खुश रहने का अभिनय करता रहूं या फिर मैं थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर अपनी दोस्ती के बारे न सोच कर तुम्हें अपने दिल की बात कह दूं और महसूस करवा दूं,
पर ऐसा कैसे हो सकता था की मैं अपनी दोस्ती के बारे मैं न सोचता पर मुझे भी अब घुटन महसूस हो रहीं थीं, तुम जिन जगहों पर कभी मेरे बिना नहीं गईं अब उसके साथ जानें लगी थीं,
फिर मैंने आख़िर इस घुटन भरी दोस्ती और आजाद प्यार में से प्यार को चुना और अब तुम्हारे सामने हूं,
बोलो आयशा क्या तुम सारी जिंदगी मेरे साथ गुजारना पसंद करोगी ?"
आयशा:" पागल, हरमखोर, कुत्ते, साले पहले नहीं भस सकता था, पहले बोलता तो मैं उसके पिछे इतना समय बर्बाद न करती,
चल अब कोई आइडिया दे कैसे ब्रैकअप करूँ ?
रुद्र: "मतलब तू भी प्यार करती है!?
आयशा: " और नहीं तो क्या पर तू साला बोला नहीं और फिर जब मैंने उसको ब्वॉयफ्रेंड बनाया तब भी तू चुप रहा की तेरे लिए सिर्फ़ में एक दोस्त हूं,
इसलिए मैंने भी तुझे नहीं बताया,
मुझे डर था की इतने सालों को दोस्ती न खत्म हो जाएं।
रुद्र: " अरे! इसलिए तो मैं बता नहीं रहा था की दोस्ती खत्म न हों,
पर अब तू साथ है तो कुछ न कुछ सोच लेंगे की तेरा ब्रेकअप केसे हो?।"
इस कारण मैं आप लोगों से कहता हूं बता दिया करो यार,
क्या पता वो भी आपसे यहीं कहना चाहते हो और न कह पाए।