Sonia Saini

Drama Inspirational

4.8  

Sonia Saini

Drama Inspirational

परिपक्व

परिपक्व

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"क्या भाग्यवान! जबसे रोमी गया है तुम ऐसे ही गुमसुम बैठी हो। अब छोड़ो भी। चलो बगीचे में पानी लगा आएं। तुम्हारे पौधे प्यासे ना मर जाएं कही!"


"आप भी ना कैसी बातें करते हैं! जरा सी भी समझ नहीं आपको बगवानी की। मेरे बोये हुए वो सारे नन्हें पौधे अब अपनी जड़ जमा चुके हैं। फलदार वृक्ष बन गए हैं। अब उनको पानी देना उतना जरूरी नहीं। अपना पोषण वो खुद ले लेते हैं"


“ये तो बड़े दुख की बात है रोमी की माँ, तुम्हारे पौधे परिपक्व हो गए।"


“क्यों भला! इसी दिन के लिए तो बरसों खाद पानी दिया था कि एक दिन बड़े होकर फलें फूलें। "


“तो फिर क्यों मुँह लटकाए हुए हो? तुम्हारे नन्हे बच्चेअब व्यस्क हो चले हैं। हर रोज पानी खाद की चिंता करना जरूरी नहीं। अपना ध्यान खुद रख सकते हैं। और जैसा कि तुमने ही कहा बच्चे बड़े होकर फले फूलें इसीलिए माता पिता उनको अपने हाथों से सींच कर बड़ा करते हैं, तो फिर अफसोस कैसा? उठो, मुस्कुराओ! जीना इसी का नाम है। तुम्हारे इन्ही पेड़ो से कोंपल फूटेंगी नए बीज बनेंगे, नए पौधे लगेंगे और हमारी बगिया लहलहाएगी। "

" ठीक ही कहते हैं जी ", आँसू पोंछ सीमा जी उठ खड़ी हुई।


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