प्रगतिशीलता
प्रगतिशीलता
धनराज जी अपने बड़े सुपुत्र के लिए लड़की देखने आए हुए थे। मानसी को देखते ही उन्होंने उसे अपने बड़े बेटे हिमेश के लिए पसंद कर लिया। नाश्ते के दौरान अपने घर और परिवार के संस्कारों की डिंग हांकते हुए धनराज जी बोले ” हमारे घर में सभी सुशिक्षित प्रगतिशील विचारों के साथ ही संस्कारी हैं और नारी शक्ति की इज्जत करना तो हमारे रक्त में है। मशहूर समाज सेविका अचला जी हमारी पूज्य माताजी थीं जो अब नहीं रहीं लेकिन उनके ही दिए संस्कार अब हमारी रगों में रच बस चुका है। मानसी बेटी को हमारे यहां कोई तकलीफ नहीं होगी। बड़ी खुश रहेगी। “
बात आगे बढ़ी और तय समय पर दोनों की शादी भी हो गयी। फेरों के बाद रिसेप्शन के मौके पर दूल्हा और दुल्हन स्टेज पर राजा रानी की तरह बैठे हुए थे। उपहार व आशीर्वाद देने वालों की कतार लगी हुई थी। इसी बीच अपने मित्रों से मानसी का परिचय करवाते हुए हिमेश ने कहा ”रमेश, ननकू, विजय, देखो ! इनसे मिलो ये हैं मेरी धर्मपत्नी मानसी” और वहीं बगल में बैठी अपनी साली पलक की तरफ इशारा करते हुए बोला, ”और ये हैं पलक जी ! हमारी प्यारी प्यारी सालीजी यानी आधी घरवाली!” हिमेश की बात सुनकर सभी मित्र खिलखिलाकर हँस पड़े।
तभी मानसी की सहेलियों का झुंड उसे बधाई देने स्टेज पर आ गया। मानसी को भी शरारत सूझी। अपनी सहेलियों का हिमेश से परिचय कराते हुए बोली ” इनसे मिलो ये हैं हमारे पतिदेव हिमेश जी ! और यह जो बगल में खड़े हैं न हमारे देवर जी हैं यानी आधे घर वाले !“
मानसी की बात सुनकर खिलखिलाती हुई उसकी सखियां उसे बधाई देकर तो चली गयीं लेकिन उनके इस बातचीत ने हिमेश के मन में हलचल मचा दी थी। अब उसे मानसी के चरित्र पर संदेह होने लगा था। कोई चरित्रवान लड़की इतनी आसानी से कैसे किसी को अपना आधा घरवाला कह सकती है ? पूरे समारोह के दौरान अनमना सा हिमेश आखिर खुद पर काबू नहीं रख पाया और थोड़ी देर के लिए एकांत पाते ही मानसी से कह बैठा ”ये तुमने क्या कह दिया ? कभी सोचा भी है लोग क्या कहेंगे ? देवर का परिचय क्या ऐसे ही कराया जाता है ? क्या वह तुम्हारा आधा घरवाला है ? “
मानसी मुस्कुरा उठी, ”मैं यही तो देखना चाहती थी कितने प्रगतिशील विचारों के हो तुम? जब तुमने साली का परिचय आधी घरवाली के रूप में कराया वह तो ठीक था लेकिन जब मैंने तुम्हारा ही अनुसरण करके देवर का परिचय आधे घरवाले के रूप में कराया तो तुम्हें लोगों की फिक्र होने लगी। ऐसा दोहरा मापदंड क्यों ? क्या यही है प्रगतिशीलता की निशानी ? “
हिमेश की नजरें अब झुक गयी थीं ।