प्रायश्चित
प्रायश्चित
सुबह सुबह फोन की घंटी बज रही थी। राजन राधिका से कहता है उठो.... जाओ देखो किसका फोन है.. नहीं मुझे सोने दो...जाओ तुम देख लो। अरे इतनी सुबह किसका फोन आ गया... राजन फोन उठाता है... "हैलो" उधर से आवाज आती है बेटा मैं मम्मी बोली रही हूं। आज शहर आई थी कुछ काम से काम तो पूरा हो गया सोचा एक दो दिन तुम लोगों के साथ गुजार लूं। 12 बजे तक बस बस स्टॉप पर पहुंच जाएगी...बेटा तुम लेने आ जाना। जी मम्मी मैं लेने आ जाऊंगा।
राधिका मम्मी आ रही है..... 12 बजे तक बस बस स्टॉप पर पहुंच जाएगी। मैं उन्हें लेने जा रहा हूं.....लंच तैयार रखना "सब साथ में बैठकर खाएंगे"। राजन मुस्कुराते हुए मम्मी को लेने चला गया।
यह सुनते ही राधिका आग बबूला हो गई उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। गुस्से में उसने सारा काम निपटाया और बेमन से खाना बना कर रख दिया। तभी घंटी बजती है..... राधिका ने गुस्से में दरवाजा खोला। बिना देखे ही पैर पटकती हुई रसोईघर में चली गई। राजन मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया। मम्मी को राधिका का व्यवहार अच्छा नहीं लगा..... फिर भी वह सोफे पर जाकर बैठ गई। राधिका जोर जोर से बड़बड़ा रही थी "बड़े दिनों के बाद हम दोनों ने कहीं घूमने का प्रोग्राम बनाया था.. सोचा था दिन भर घूमेंगे... रात में फाइव स्टार होटल में डिनर करेंगे। लेकिन मम्मी जी ने आकर सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया "कबाब मे हड्डी बन गई है"। अब मम्मी से रहा नहीं गया वह राधिका के सामने आकर खड़ी हो गई। अपनी मां को सामने देखकर राधिका हक्का बक्का रह गई। मम्मी वो.....मैं समझी कि राजन की मम्मी आई है इसलिए.....चुप रहो..... क्या मैंने तुम्हें यही संस्कार दिए थे ? छि: मुझे शर्म आ रही है कि तुम मेरी बेटी हो.....अरे मां तो मां होती है फिर चाहे लड़के की हों या लड़की की.....अगर तुम्हारी भाभी भी मेरे साथ यही करे तो क्या तुम्हें अच्छा लगेगा। "राधिका की नजरें शर्म से नीचे झुक गई" उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
राधिका राजन से माफी मांगती है और तुरंत गांव चलने का आग्रह करती है। राजन पूछता है किस लिए? राधिका कहती है अब तुम्हारी मम्मी हमेशा हमारे साथ रहेगी.....मैं उन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होने दूंगी..... उनकी सेवा करके .....उनका ख्याल रखकर अपनी गलतियों का प्रायश्चित करूंगी। उसके इस फैसले से राधिका की मम्मी बहुत खुश होती हैं।
