हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

पॉलिटिकल ड्रामा

पॉलिटिकल ड्रामा

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पहले एक विज्ञापन आया करता था "दाग अच्छे हैं" आजकल हर कोई कहता फिर रहा है कि "डर अच्छा है" । इसी डर को तो लोग ढूंढ रहे थे । यह उत्तर प्रदेश में नजर आया है । रोज एनकाउंटर हो रहे हैं । गाड़ी पलट रही हैं और बुलडोजर गरज रहे हैं । राजस्थान वाले तो डर के साये में जिंदा रहने को विवश हैं क्योंकि उन्होंने ही ऐसे लोगों को चुना है जिनके कारण आज पूरे राज्य में दहशत का माहौल है । लेकिन उत्तर प्रदेश में आज वे लोग दहशत में हैं जिनके कारण न केवल उत्तर प्रदेश वरन आस पास के राज्यों के लोग भी कभी दहशत में रहा करते थे । अपराधियों की आंखों में खौफ देखकर मजा आ रहा है । 

अब तो बिहार वाले भी कह रहे हैं कि हमारा नंबर कब आयेगा ? हम लोग कितने सालों से डर के साये में जिंदा रह रहे हैं । बहुत सारे लोग तो बिहार छोड़कर दूसरे राज्यों में जाकर मेहनत मजदूरी कर रहे हैं । अच्छा हुआ जो वे लोग बिहार छोड़कर चले गये । लेकिन बेचारों के भाग्य में चैन कहां ? बिहार छोड़कर सुदूर तमिलनाडु चले गये तो क्या हुआ, वहां पर भी स्टालिन के गुण्डे उनके पीछे पड़े हुए हैं और उन्हें मार मारकर भगा रहे हैं । बिहार के उप मुख्य मंत्री स्टालिन के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं , कुशासन बाबू अपने कुशासन को और मजबूत कर रहे हैं, पर घर और बाहर बिहारियों की बरबादी पर मौन साधे बैठे हैं । कुछ लोग भागकर उत्तर प्रदेश चले गये । वे लोग आज जिंदा तो हैं । शायद उन्हें अंदेशा हो गया था कि जंगलराज फिर से आने वाला है और इसीलिए वे यहां से भाग गये थे । कुशासन बाबू एक बार फिर पलटी मार गये । पर इस बार की पलटी उनकी आखिरी है शायद क्योंकि अब बिहार की जनता उन्हें सबक सिखाने को तैयार बैठी है । देखते हैं कि बिहार के नसीब में आजादी कब लिखी है । 

एक और कट्टर ईमानदार, महाराणा प्रताप का वंशज, भगतसिंह का अनुयायी तिहाड़ जेल पहुंच गया है । तिहाड़ जेल खुश है । खुश क्यों न होगी भाई, तिहाड़ जेल का अब स्टेटस जो बदल रहा है ना । इतने कट्टर ईमानदार यहां आ गये हैं कि अब तिहाड़ जेल नहीं "आश्रम" लग रही है । कैबिनेट के ज्यादतर मंत्री या तो तिहाड़ पहुंच गये हैं या पहुंचने वाले हैं । शायद कट्टर ईमानदारों की मीटिंग अब तिहाड़ में ही हुआ करेगी । 

पर मजे की बात यह है कि यह कट्टर ईमानदार शराब के साथ साथ शिक्षा का मंत्री भी था । नटवरलाल शायद यह संदेश देना चाहते थे कि जहां शिक्षा है वहां शराब जरूर है । शिक्षा और शराब का चोली दामन का उसी तरह साथ है जिस तरह स्वास्थ्य और जेल का । कुछ रेपिस्ट खुश हो रहे हैं कि उन्हें फिर से फिजियोथेरेपिस्ट बनने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा । इस बार इन्हें शायद ज्यादा सुविधाऐं मिलें क्योंकि ये वहां उप मुख्य मंत्री थे तो सुविधाऐं भी उसी स्तर की मिलनी चाहिए ना ? और तिहाड़ जेल तो आती भी दिल्ली सरकार के अधीन है । जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का ? यहां तो कट्टर ईमानदारों को चम्पी, मसाज, काजू, बादाम, शराब, शबाब सब कुछ मिलेगा । 

जेल वाले भी बड़े उत्साहित हैं । जेल स्टॉफ भी और कैदी भी । अब तो जेल में शराब की नदियां बहने लगेगी आखिर शराब मंत्री जो आ गया है वहां । इसी ने तो दिल्ली में घर घर शराब अभियान चलाया था । उसी का परिणाम है कि आज दिल्ली का बच्चा बच्चा शराब से नहाता है , पीने की तो बात ही क्या है । अब शायद तिहाड़ जेल की धुलाई भी शराब से ही की जायेगी । ये कट्टर ईमानदार कुछ अलग तरह की राजनीति करने आये थे न तो अब अलग तरह की शराब नीति की तरह "जेलनीति" भी तो करेंगे । 

कुछ कट्टर ईमानदार कह रहे हैं कि इस कट्टर ईमानदार की जेल में हत्या हो सकती है । हां, क्यों नहीं ? आपकी सरकार के अधीन है जेल तो आप कुछ भी कर सकते हो । वैसे भी "आप" का तो रिकॉर्ड ऐसा ही रहा है आज तक । 

सुना है कि आठ भ्रष्ट दलों के नौ भ्रष्ट नेताओं ने एक चिठ्ठी लिखी है । मोबाइल के इस युग में चिठ्ठी लिखना कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे किसी कॉन्वेंट स्कूल में पढने वाली लड़की में भारतीय संस्कृति ढूंढना हो । आज चिठ्ठी भी फूलकर कुप्पा हो रही है जैसे किसी वृद्धा पर अचानक यौवन का खुमार छा जाये । चिठ्ठी का खोया वैभव लौट आया लगता है । बेचारी चिठ्ठी उस औरत की तरह नजर आती है जिसका पति किसी मेले में उसे अकेली छोड़कर कहीं भाग गया हो और अब इतने सालों के बाद जैसे अचानक वापिस आ गया हो । इस अवसर पर वह औरत अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए जैसे हर घर में जाकर नृत्य कर रही हो । 

ये आठ दल कौन से हैं बताने की जरूरत है क्या ? एक ही पहलवान से मार खाये हुए सभी मुस्टंडे एक हो गये लगते हैं । इन मुस्टंडों को लग रहा है कि वे अकेले तो पहलवान को हरा नहीं सकते हैं लेकिन वे अगर सामूहिक प्रयास करें तो शायद पहलवान को हरा सकते हैं । इसलिए ये सब भ्रष्ट मुस्टंडे एकत्रित होकर "भांय भांय" कर रहे हैं । आजकल एक दोहा बहुत प्रासंगिक हो गया है 

तिहाड़ जेल के अंदर भइया भई भ्रष्टन की भीर 

ईमानदार दारू पियें चारा चरें पिछड़ों के पीर ।।

ई डी और सी बी आई से प्रताड़ित सभी भ्रष्टों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे करें तो क्या करें ? यदि इसी तरह से जेल प्रवास होता रहा तो उनका मिट्टी में मिलना निश्चित है । हालांकि कुछ विपक्षी लोग अभी भी यह मानते हैं कि "शांतिदूत" हमेशा उनका साथ देते आये हैं तो वे आगे भी साथ ही रहेंगे । कुछ जातियां कुछ राजनैतिक दलों की पोषक बनी हुई है इसलिए उन दलों का यह मानना है कि ये जातियां उनके पाले में सदैव रहेंगी । पर इन शांतिदूतों और कुछ जातिगत मतों से सत्ता हासिल होने वाली नहीं है जो 2014 और 2019 में दिखाई दे गया था तो फिर और क्या करें ? 

कट्टर ईमानदारों के पास हर चीज का इलाज है । अत: इसका भी इलाज वे ढूंढ रहे हैं । उनका कहना है कि भ्रष्टाचार तो हमारी रगों में दारू की तरह बह रहा है इसलिए इसके बिना जिंदगी असंभव है । अत: भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल देनी चाहिए । अब तो ईमानदारी को भ्रष्टाचार बताया जाना चाहिए और भ्रष्टाचार को ईमानदारी । ऐसा विचार समाज में फैलाया जाना चाहिए । 

इसके लिए विपक्षी दलों की एक मीटिंग बुलाई गई । इसमें खानदानी दल से "युवराज" , कट्टर ईमानदार दल से नटवरलाल , लालटेन पार्टी से पिछड़ों के मसीहा चारा चोर , साईकिल पार्टी से टोंटी चोर , बंगाल की दंगा पार्टी से गालीबाज औरत , भ्रष्ट सेना से गीदड़ सिंह, मराठा दल से राजनीति के चाणक्य, हाथी दल से कुंवारी बाई, तेल लगाना दल से मिस शराब बाई , लाल सलाम दल से तस्कर सिंह, द्रविड़ दल से पादरी सिंह, आतंकी दल से शोले वाली महबूबा बाई और पलटीमार दल से कुशासन बाबू उपस्थित हुए । सब के सब एक सुर में राग अलाप रहे थे कि भ्रष्टाचार हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे करके रहेंगे । 

आजकल भ्रष्टों, आतंकियों, अपराधियों, नक्सलियों, हिस्ट्रीशीटर्स, अतिक्रमणकारियों सबकी शरणस्थली बना हुआ है सुप्रीम कोर्ट । सुप्रीम कोर्ट ने भी ठान लिया है कि वह इस सरकार को सबक सिखा कर रहेगा । सरकार जजों को अपने बेटे बेटियों को जज बनाने नहीं दे रही है तो जज सरकार की नाक में दम नहीं कर सकते हैं क्या ? तो, सारे भ्रष्ट मिलकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं कि एक ऐसा आदेश पारित किया जाये कि सरकार विपक्षी दलों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सके । देखते हैं कि यह याचिका कब दाखिल होती है और सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या आदेश देता है ? तब तक रोज पोलिटिकल ड्रामे का आनंद लीजिए । 



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