नववर्ष ( लघुकथा)
नववर्ष ( लघुकथा)
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को जब तेरह साल के भावेश को उसके बाबा जी ने उसे नए साल की बधाई दी तो भावेश हतप्रभ-सा उनकी ओर देखने लगा।
भावेश बोला, बाबा जी आज तो अट्ठाइस मार्च है। आप आज क्यों हैप्पी न्यू ईयर विश कर रहे हैं ?
बाबा जी ने बताया- बेटा अपना नया साल आज से ही शुरू होता है।
भावेश ने कहा,मतलब अपना नया साल 28 मार्च से शुरू होता है।
बाबा जी समझाते हुए बोले-नहीं बेटा, अपना नया साल चैत्र मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरू होता है।
बाबा जी की बात सुनकर भावेश ने कहा- बाबा जी हम ये पता कैसे लगाते हैं कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा कब है ? क्या कोई कैलेंडर होता है, जिससे पता चलता है?
बाबा जी कहा, हाँ बेटा, हम पंचांग देखकर पता लगाते हैं कि कब कौन-सी तिथि है। उन्होंने घर में रखे पंचांग को भावेश को दिखाया और उसे समझाने की कोशिश की कि किस तरह पंचांग से तिथि का पता लगाते हैं।
पंचांग देखकर भावेश बोला, बाबा जी इसको तो समझना बहुत मुश्किल है। आपको नहीं लगता कि इसको सरल बनाने की जरूरत है ? जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर को देखकर हर कोई तारीख पता लगा लेता है,कुछ वैसा ही होना चाहिए।
भावेश ने अपनी बात रखते हुए समझाने के अंदाज़ में कहा- अगर हम ये चाहते हैं कि नई पीढ़ी अपनी संस्कृति एवं संस्कार समझे और जीवन में उनका पालन करे तो चीज़ों को सिंपल करना पड़ेगा बाबा जी, ऐसे नहीं चलेगा।