Keshav Upadhyay

Drama

5.0  

Keshav Upadhyay

Drama

नासमझ इश्क़

नासमझ इश्क़

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कितनी अजीब कहानी है ना हम दोनों की?

आप अपनी मोहब्बत को पाना चाहते है और मैं अपनी मोहब्बत से दूर जा रही थी।


इतना कहकर अयाशी ने उस वक्त अजय को अलविदा कह दिया जब वो अपने सबसे पसंदीदा फेसबुक फ्रेंड अजय से पहली बार मिली थी।


अक्सर इश्क़ या तो गलत वक्त पर होता है या फ़िर गलत इंसान से अयाशी और अजय की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अयाशी 19 साल की एक खुबसूरत लड़की जिसके गालों के डिंपल्स किसी के भी दिल को मोह ले, जिसके चेहरे से नूर झलकता हो, जिसके बात करने पर उसके पतले अधरो के बीच से बांसुरी जैसी मोहक आवाज़ निकलती हो और जिसकी बड़ी बड़ी आंखों से निकलती सम्मोहन ऊर्जा उसके दीदार को और भी सुखमय बना देती हो। जिसकी हल्की सी उभरी हुई गुलाबी गालों में उसके लंबे बालों का स्पर्श होता हो ऐसी लगभग 5 फीट कद वाली वो आकर्षक खूबसूरत और स्लिम दिखने वाली लड़की जब फ़ेसबुक पर किसी लगभग 5.4 फीट लंबा गोरा और आकर्षक दिखने वाले लड़के को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती है तब यह कहानी नायाब मोड़ लेती है।

अजय 21 साल का नौजवान अयाशी का फ्रेंड रिक्वेस्ट देखकर उसकी प्रोफ़ाइल चेक करता है और उसकी फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल में जान ना पाकर वो उसे नजरअंदाज कर देता है। अजय की फ़ेसबुक डिपी और फोटोज देखकर ही अयाशी ने अजय को रिक्वेस्ट की थी। और शायद इसीलिए उसी दिन शाम के वक्त अयाशी ने अजय को मैसेंजर पर अंग्रेजी में एक कोट लिखकर भेजा।


(................. अंग्रेजी का कोट)


 ' व्हाट इज दिस? एंड हु आर यू?....' अयाशी द्वारा भेजे गए अंग्रेजी कोट के रिप्लाई में अजय ने पूछा।


आई एम् अयाशी फ्रॉम जयपुर


आई एम् अजय फ्रॉम प्रयागराज


डू यू नो मी? (अजय अयाशी से)


नो...


देन व्हाई यू हैव टेक्स्ट मी?


बस यूँ ही...! क्यों नहीं कर सकते क्या?


नहीं ऐसा नहीं है।


क्या करते है आप?


बी. टेक


और तुम?


बी.एस.सी.


और फ़िर अयाशी और अजय में बेशुमार बातों का सिलसिला शुरू हो गया। लड़के अक्सर लड़कियों से बात कर ही लेते फिर चाहे वो भले ही किसी और से मोहब्बत करते हो। इन बातों के दरमियान अयाशी और अजय एक दूसरे की फोटोज आपस में शेयर करके एक दूसरे को अच्छे से देखते और पहचानते है। अयाशी अजय से तीन साल छोटी और थोड़ी नादान भी थी। अयाशी अजय को पसंद करने लगी थी पर अपने पारिवारिक ड्रामे और परिवार के डर से अजय से फोटोज के अलावा मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप नंबर शेयर नहीं करती। वो डरती है कि कहीं कोई बवाल ना हो जाएं। अजय के मन में भी अयाशी के लिए प्यार की भावना होती है पर उसे इश्क़ नहीं कह सकते।


यार मैं आपसे एक बार मिलना चाहती हूँ? अयाशी ने अजय से मिलने की इच्छा जताई।


अयाशी बहुत भोली और प्यारी लड़की थी अजय अयाशी को अपने दिल के क़रीब रखने लगा था पर दिल में नहीं और इसलिए अजय अयाशी से मिलने के लिए राजी हो गया।


एम् सो हैप्पी की आप यहां जयपुर सिर्फ़ मुझसे मिलने आए।


(तपरी सेंटर जयपुर के एक कैफे में)


आना तो था ही, पर इतनी जल्दी आना होगा ये नहीं पता था।


आप क्या लोगे?


वैसे तो मैं चाय पीता हूँ पर कैफे की हालत देखकर लगता नहीं कि यहां चाय मिलेगी.....तो आई थिंक तुम्हे कॉफ़ी का ऑर्डर दे देना चाहिए।


अ....(कुछ देर दोनों होंठो को आपस में दबाकर) चाय पीना है तो कहीं और चले?


ज़रूर पर किसी गुमटी पर।


कहां?


मतलब किसी छोटी झोपड़ी जैसे चाय की दुकान या ठेले पर।


आर यू श्योर?


हां। ('मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ') वाला इशारा करते हुए।


वाह लाज़वाब क्या चाय पिलाई है यार तुमने अयाशी... सुपर्ब!


चाय की पहली सिप लेते ही अजय की चेतना खिल उठी और दिल तो आयसी को देखते ही ख़ुश हो गया था। यह पहली बार था जब अजय और अयाशी एक दूसरे को आमने सामने देख रहे थे।


कितना हुआ यार भाई?


वेट,...पैसा मुझे देने दो ना प्लीज़...!

नहीं पैसा मै दूंगा तुम्हारे शहर आकर तुम्हे मैंने चाय पिला रहा हूँ, समझ लो ये चाय तुम पर उधार रही.. कभी तुम प्रयागराज आना तो मेरे शहर में मुझे चाय पिला देना, हिसाब बराबर हो जाएगा। और इसी बहाने तुमसे दोबारा मुलाक़ात भी हो जाएगी और तुम पर अगर मेरा उधार रहेगा तो तुम कभी ना कभी जरूर आओगी।


आप बातें अच्छी करते हो...! आप सुपर्ब हो एक दम हैंडसम हीरो टाईप।


अच्छा जी...???


आपको मुझसे कुछ पूछना है? अजय को असहज देख अयाशी अजय को पूछती है।


मेरे अलावा भी तुम्हारा कोई मेरे जैसा दोस्त है?


नहीं.......(और थोड़ी देर ख़ामोशी)


पर एक लड़का है मेरे जीजू का चचेरा भाई, एक्चुअली आई लाइक हिम ए लॉट...और प्यार भी कर बैठी थी मैं उस अमन से पर वो मेरे प्यार के काबिल नहीं है। नाउ आई हेट हिम...


मैंने मेरे जैसे किसी दोस्त...के बारे में पूछा था।

(अजय जानबूझकर दोस्त शब्द पर जोर देता है।)


अजय समझ गया था की अयाशी को उस से प्यार हो गया है इसीलिए उसने मज़ाक में यह बात कह दी।


अयाशी थोड़ी देर खामोश रही।


नफ़रत क्यों करती हो अब उस से?


दरअसल उसे बात करने की तमीज़ नहीं है। वो पूरा का पूरा बदतमीज है, वो लड़कियों को कमज़ोर समझता है उन्हे जलिल करने की कोशिश करता है। पता है वो तो मेरे दीदी तक से भी बदतमीजी कर गया था।

और पता है मेरे घर वाले भी मेरी शादी उसी से कराना चाहते है। एक्चुअली वो गुड लुकिंग है और नर्सिंग स्टूडेंट भी जल्द हीं उसकी जॉब भी लग जाएगी और काफी रिच भी है। पर मुझे उस से शादी नहीं करनी है। भले ही मै उसके डैसिंग लुक पर मर कर उससे प्यार कर बैठी थी पर अब मुझे उस से नफ़रत है। मै उस से शादी नहीं कर सकती यार....आप ही बताओ मै क्या करूँ? यू नो व्हाट, उसकी मम्मी तो मुझे ही बहू बनाने के सपने देख रही है। आपको पता है अगर मेरी शादी उससे जबरदस्ती हो गई ना तो मै भाग जाऊंगी।


ओह ये तो अजीब विडंबना में पड़ गई हो यार तुम..! मुझे लगा था तुम शायद मुझे........(मुझे शब्द पर जोर देने के बाद अजय ख़ामोश हो जाता है।)


हाँ आप सही हो।


क्या मतलब?


दरअसल सच तो ये है कि पिछले कुछ महीनों से मुझे आपसे प्यार हो गया है। आप अच्छे है बहुत अच्छे है और सबसे बड़ी बात ये है कि आप गुड लुकिंग होते हुए भी घमंडी और बदतमीज नहीं है। आपको किस से किस तरह से बात की जाए सब अच्छे से आता है। एक्चुअली पहले दिन से ही मै आपको लाइक करने लगी थी।


इस से पहले की अयाशी कुछ और कहती अजय ने उसे अपने बारे में क्लियर करना ठीक समझा।


देखो यार अयाशी तुम बहुत खूबसरत हो और बेहद अच्छी भी। पर मेरे लाइफ में पहले से ही कोई है। दरअसल आई लव हर....तुम्हे पता है वो तुम्हारी तरह ही है, एकदम इनोसेंट और बेहद खूबूरत। पर मेरा एकतरफा प्यार है और लव एट फर्स्ट साईट भी। वो मुझे बिल्कुल भाव नहीं देती फ़िर भी मै उसे पटाने के लिए हर छोटी बड़ी कोशिशें करता रहता हूँ। बावजूद इसके वो मुझपर कभी ध्यान नहीं देती।


अजय के उसकी किसी और से मोहब्बत कन्फेस करने के बाद अयाशी के मन में आघात जैसा लगता है। वो अजय को चाहने लगी थी पर कुछ वक्त की बातों के दौरान ही अयाशी का मन दुखी हो गया। थोड़ी देर बिल्कुल चुप रहने के बाद अयाशी-


कहां की है? प्रयागराज की ही?


नहीं महोबा की दरअसल वो मेरे कॉलेज में ही है।


फ़िर बातें करो, उससे दोस्ती करो और अपने दिल की बात कहो। कहीं किसी कॉफी शॉप पर ले जाओ।


हा हा हा....(उदास मन से)


हंस क्यों रहे हो आप? मैंने कोई जोक मारा?


अरे नहीं.... दरअसल बताया ना मैंने वो मुझे बिल्कुल भाव नहीं देती। उसके मन में मेरी बहुत गलत तस्वीर बन गई है, वो मुझे आवारा और बदतमीज समझती है बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम अमन को गलत समझती हो।


उसकी बात मत करो उसे मै गलत समझती नहीं हूँ एक्चुअली वो है।


वैसे अजय पंडित आप से एक बात पूंछू?


अजय पंडित? (अजय आश्चर्य से)


हां सवाल ही कुछ ऐसा है।


पूछो मिस अयाशी नागर...


उसका नाम क्या है?


बस इतनी सी बात...? "सुचिता"


नहीं इतनी सी बात नहीं हैं, और सरनेम?


ओह अच्छा तो इसीलिए तुमने अजय पंडित बोला मुझे?


हम्म....


वो भी सेम कास्ट की ही है द्विवेदी, सुचिता द्विवेदी। बट इश्क में कास्ट सिस्टम तो नहीं देख सकते ना।


हां बिल्कुल लेकिन अगर सेम कास्ट हुआ तो शादी में आसानी होगी। घरवालों का आब्जेक्शन भी कुछ खासा नहीं रह जाएगा।


और वैसे भी आप अजय पांडेय और वो सुचिता द्विवेदी, बस एक बार अच्छे से आप अपनी इंजीनियरिंग पूरी करके एक अच्छी जॉब ले लीजिए और फ़िर सुचिता के पापा से सुचिता का हांथ मांग लीजिए।


इतना आसान नहीं है और फ़िर सुचिता को मै पसंद रहूँगा तब तो वो मेरे फेवर में घर में हां बोल पाएगी। शायद कभी नहीं। (अजय मुंह लटका कर)


बोलेगी, देखना वो एक दिन जरूर मानेगी क्योंकि मुझे पता है आप दिल के बहुत अच्छे है और दिखते भी अच्छे है। पढ़े लिखे इंजिनियर है, कोई कमी है नहीं आप में। देखिएगा एक दिन सुचिता का दिल जरूर पिघलेगा।


अच्छा जी...! काश! ऐसा हो पाता कभी। तुम्हे पता है बेपनाह मोहब्बत है मुझे उससे पर वो नहीं समझती। ख़ैर बात तुम्हारी लाइफ की ट्रेजेडी से शुरू हुई थी और अब मेरे लाइफ़ की ट्रेजेडी में आ गई। सुचिता के दिल का तो नहीं पता पर क्या मै जान सकता हूँ कि अमन का भी दिल पिघला था कभी अयाशी के लिए?


अयाशी थोड़ी देर मौन रही...


रिक्शा....रिक्शा....(अजय तेजी से चिल्लाता है रिक्शा के लिए)


इतनी जल्दी जा रहे हो स्टेशन अभी तो 2 घंटे बचे है आपकी ट्रेन रवाना होने में?


हां जाना तो पड़ेगा क्योंकि ये शहर मेरा नहीं किसी अमन का है....!!


क्या आप भी...?


अमन से मैंने कभी बात नहीं की। (अयाशी अजय के ऊपर के सवाल का जवाब देती है)


बिना बात किए ही उसे जज कर लिया की वो बदतमीज है? किसने बताया तुम्हे उसकी शख्शियत के बारे में?


मैं दीदी के घर रही हूँ, मैंने देखा है उसका घमंडीपन और दीदी ने भी बताया।


मेरी बात मानो एक बार उस से खुद बात करके देखो शायद वो भी तुमसे प्यार करता हो और अगर घमंडी भी होगा तो शायद तुम्हारे इश्क़ में बदल जाए।


शायद आप ठीक कह रहे है।


कितनी अजीब कहानी है ना हम दोनों की एक आप है जो अपनी मोहब्बत पाना चाहते और एक मै हूँ जो अपनी मोहब्बत से दूर जा रही थी।


अयाशी अमन को नहीं समझ पा रही थी और सुचिता अजय की अच्छाइयों को नहीं पहचान रही थी। शायद ये कहानी पढ़कर वो प्रेमी जोड़े जो एक दूसरे को समझ नहीं पाते या फ़िर गलत अवधारणाओं के चलते समझना नहीं चाहते, एक दूसरे को समझने की एक कोशिश कर लें। अमन और अयाशी का क्या हुआ वो उनकी आगे की किस्मत थी और अजय को सुचिता मिली या नहीं ये अजय या सुचिता ही बता सकते हैं। काश मै इस कहानी में अजय और सुचिता को मिलवा पाता। काश मै अमन की तरफ से अयाशी को ये बता पाता की एक बारी मुझसे बात करके तो देखो। पर बतौर लेखक इस कहानी से मै सुचिता और अयाशी को बताना चाहता हूँ कि जरूरी नहीं हर वो लड़का जो तुमसे प्यार करता हो, जिसके प्रति तुमने अपने मन में गलत अवधारणाएं बना ली है, वो सच में गलत हो।


ये थी अजय और अयाशी की उनकी मोहब्बत सुचिता और अमन के नाम लिखी एक कहानी।


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