नारी शक्ति-देश के लिए त्याग

नारी शक्ति-देश के लिए त्याग

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ये कहानी एक सच्ची घटना पर निर्धारित है। एक लड़की जो एक साईन्टिस्ट थी। उनका नाम डॉक्टर सीमा था। वो हमेशा खुश रहती थी। वो अपने काम को सरलता पूर्वक अच्छे से करती थी। एक दिन उनकी शादी हो गई। उनके पति उनसे भी बड़े साईन्टिस्ट थे। वो दोनों बहुत खुश रहने लगे। वो दोनों अपने काम में इतने व्यस्त हो गए की डाक्टर सीमा गर्भवती हो गई और उनको खबर भी नहीं थी। जब दूसरे माह उनका मासिक धर्म नहीं आया तब उनको पता चला वो गर्भवती है। पति-पत्नी दोनों बहुत खुश थे।

कुछ साल बाद डॉक्टर सीमा के पास दो छात्र ईन्टर्नशीप के लिए आई। डॉ सीमा दोनों को बहुत पसंद करती थी। वो दोनों को अपने काम के प्रति अटल रहने की शिक्षा देती थी। और कहती थी जब भी विकिरण प्रयोगशाला में काम करो तो सुरक्षापूर्वक करना नही तो तुम्हारे फर्टिलिटी पर असर होगा। उन्होंने कहा कि ये हादसा पहले हो चुका है उनकी दोस्त के साथ।

जिस दोस्त के बारे डॉ सीमा ने कहा था वो दोस्त नहीं वो स्वयं थी। जब उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ तो उनकी बेटी असामान्य थी। वो ठीक से बोल नहीं सकती थी।

जब डॉ सीमा दूसरी बार गर्भवती हुई तो उनका बच्चा विकिरण के कारण पेट में ही मर गया।

इन सब घटनाओं के बाद भी वो आज भी खुश है। और अपने काम को निःस्वार्थ होकर देश के लिए नए नए आविष्कार करती है। और शिक्षा देती है कि अपने देश के लिए कुछ खास करना है तो निःस्वार्थ भाव से करो। अपने काम की पूजा करो। चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाए, पीछे मत हटो।


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