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Fatima Khan

Drama Romance Classics

4  

Fatima Khan

Drama Romance Classics

मिलोगे फिर कभी

मिलोगे फिर कभी

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4

कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ मुलाक़ातें बहुत ख़ास होती हैं...

ऐसी, जो हमें बदल देती हैं...

जो दिल में मोहब्बत बो देती हैं — बिन इजाज़त, बिन वजह।


वो पहली नज़र की ख़ामोशी,

वो अनकही बातों की गर्माहट,

और फिर, धीरे-धीरे किसी बेनाम एहसास में खो जाना...


लेकिन मोहब्बत हमेशा इज़हार नहीं माँगती।

कभी-कभी मोहब्बत बस महसूस की जाती है —

चुपचाप, दूर रहकर,

बिना किसी उम्मीद के।


"मिलोगे फिर कभी" एक अधूरी सी कहानी नहीं,

बल्कि एक मुकम्मल एहसास है —

जिसमें कोई अल्फ़ाज़ नहीं,

बस एक खामोश वादा है…

कि शायद

मिलोगे फिर कभी।


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