मेरे जीवन के बदलते पल का भाग 1
मेरे जीवन के बदलते पल का भाग 1
मैंने अपने जीवन के बारे में एक सारांश लिखा था।
मेरे कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार से होती है। मैं इस धरती पर अभी आया भी ना था कि मेरे पिता ने जब दहेज की लालच में मुझे और मां को दुनिया के थपेड़ों और मौसमों की मार को खाने के लिए छोड़ दिया। वो तो मेरी मां को मेरे नानी और नाना ने सहारा दिया और दोनों मौसी ने मां का साथ दिया वक्त से लड़ने का इशारा किया। वक्त बीत गए और मेरी नजरों ने जब दुनिया को पहली बार देखा मेरे इर्द-गिर्द घूमती एक प्यारी सी आंखों को देखा वह मेरी नानी जिन्होंने मेरी मां को पनाह और मुझे इस दुनिया में प्यार दिया।
मुझको अंगूर छीलकर खिलाती थी। सबसे ज्यादा मुझको ही प्यार करती थी। मेरी नानी, मेरी नानी, मेरी नानी। मौसी ने मेरे सभी ख्वाहिसों को पूरा किया। मेरे दिमाग ने सोचा की चाहिए वो चीज़ बोलने के पहले वो हाजिर कर दिया। मेरे मौसी और नानी है मेरे जीवन के सबसे अहम किरदार जिनकी बदौलत है आज सब कुछ है मेरे पास।