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Shubhankar Malekar

Inspirational

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मानवी जीवन में भाषा का महत्व

मानवी जीवन में भाषा का महत्व

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मानव जीवन में भाषा का महत्व अद्वितीय है।भारत देश में कई तरह की भाषाएँ बोली जाती हैं। जैसे की,हिंदी,मराठी,तमिळ,उर्दू,कन्नड,गुजराती आदि। भाषा के बिना हम किसी के साथ बातचीत नही कर सकते,हमारे विचार लोगों को बता नही सकते,लोगों के विचार हम समज नही सकते,भाषा के बिना हम शिक्षण नही ले सकते,हम हमारा इतिहास किसी को बता नही सकते,हम हमारा भाव प्रकट नही कर सकते । इसलिए हमें कम से कम एक भाषा सीखने की आवश्यकता है। यह भाषा हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।

भाषा से हम ज्ञान प्राप्त कर सकते है।ज्ञान से हम समाज में बदलाव ला सकते है,लोगों को अच्छे काम करने के लिये प्रेरित कर सकते है,लोगों के साथ बातचीत करके उनका हाल जान सकते है,अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकते है,समाज में होने वाले अन्याय के प्रती आवज उठा सकते है।दैनंदिन जीवन भाषा का महत्त्व अधिक है।यदि हम कही बाहर घुमने या किसी वस्तु की खरीदारी करने के लिए जाते है तो हम किसी ना किसी व्यक्ती के साथ बात करते ही है।यदि किसी से बात नही की तो हम उस वस्तु के बारे या उस जगह के बारे मे जानकारी प्राप्त नही कर सकते।

महान ग्रंथों को समजने के लिये भाषा आवश्यक है।जैसे की रामायण,महाभारत,वेद आदि समजने के लिये भाषा आवश्यक है।जब टीवी और रेडिओ नही थे तभी लोकसंगीत,भारुड,अभंग इस माध्यम से लोकजागृती की जाती थी उसके लिए भी भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य था ।अब टीवी द्वारा लोकजागृती की जाती है।उसके लिए भी भाषा का ज्ञान होना जरुरी है।हमे एक विदेशी भाषा का भी ज्ञान होना अनिवार्य है।यदि हम विदेश में घुमने जाते है तब हमे उनकी भाषा का थोडा बहुत ज्ञान होना आवश्यक है। उनके साथ बात करने के लिए, उनका इतिहास जानने के लिए वह भाषा का ज्ञान होना जरुरी है ।  

लोग रोजगार के लिए चिकित्सा और इंजीनियरिंग का अध्ययन करते हैं।लेकिन, भाषा सीखने से भी रोजगार मिल सकता है।केंद्र-राज्य सरकार के विभिन्न विभगों मैं अधिकारी,अनुवादक,सहायक,आशुलिपीक,टंकक जैसे विभिन्न पदो की भरमार है,मिडिया एवं पत्रकरिता का क्षेत्र में संपादकों,सवांददाताओं,न्यूज़ रीडर्स,उपसंवादकों ,प्रुफ रीडरों आदि की बहुत आवश्यकता है,मनोरंजन जगत मैं रेडिओ,टेलिवीजन,सिनेमा आदि के लिए स्क्रिप्ट राइटर,डायलॉग राइटर,गीतकार के रुप में करियर बना सकते है।

भारत देश में हिन्दी को राजभाषा माना जाता है।भारत के स्वतन्त्र होने पर हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया।इसी दिन हिन्दी के साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हिन्दी साहित्य में तुलसीदास द्वारा लिखित श्रीरामचरितमानस और कवितावली,सुरदास द्वारा लिखित सुरसागर और सुर सारावली,कबीरदास लिखित साखी और सबद,केशवदास लिखित रामचंद्रिका और कविप्रिया आदि प्रसिद्ध हैं। हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना माना गया है।

इसलिए, समय में भाषा के अध्ययन के महत्व को पहचानें, कम से कम एक भाषा का अध्ययन करें और अपने जीवन को समृद्ध करें।



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