लोकल लड़के
लोकल लड़के
जेठ का माह था। काउंटर में सेकेंड शो का टिकट मिलना बंद हो गया था फिर भी लड़के आपा धापी कर रहे थे।
वहां से निराश लौटा तीन दोस्त “ महावीर पान दुकान ” के पास जा कर रुकता हैं।
“ चाचा 3 फ्लैक दे दो " - रमन पॉकेट से पैसा निकालते हुए कहता हैं।
“ चाचा मांचिस देना ” - राहुल सिगरेट को होंठो से लगता हैं।
माचिस का एक तीली जलाकर राहुल अपना और मीर का सिगरेट सुलगा लेता है। रमन सिगरेट आगे की ओर करता है कि राहुल तीली फेक देता हैं और कहता है “ एक से तीन नहीं जलाना चाहिए ” - राहुल की बातो में उदासीपन झलक रहा था।
रमन, राहुल के हाथो से मांचिज बड़े जोड़ से झपटता है और सिगरेट जला कर एक कश खींच धुएं को ऊपर की ओर उड़ा देता हैं। तीनो बाईक पर बैठ घर की ओर निकल पड़ता हैं।
मीर का ये ज़िद्द था कि प्रभाष का ये मूवी “ साहो ” आज मतलब आज ही देखेगा। ये नहीं तो थर्ड शो में आएगा।
सूरज खुद को पहाड़ों के पीछे ढकना शुरू कर दिया था।
थर्ड शो 6 ; 15 की थी लेकिन तीनों तकरीबन 5 ; 30 में ही काउंटर पर जा खड़ा हो गया। काउंटर खुलते ही टिकट लेकर फिर से महावीर पान दुकान पर जाकर तीनो सिगरेट लेकर जला लेता है। जले हुए सिगरेट के कश को फुक्ता हुआ कुछ कदम चलता नहीं कि सामने से दो लड़का जिसका उम्र कुछ 12 साल होगी, कलम के रिफिल के समान एक सिगरेट पीता हुआ उसकी ओर बढ़ रहा था।
उतना में ही रमन उसे ठहराकर उसका सिगरेट छीन लेता है और उसे अपना सिगरेट दे देता हैं यानी की एक्सचेंज कर लेता है और जब वो लड़का अपना सिगरेट वापस मांगता है तो रमन उसे डांट कट चले जाने को कहता हैं। दूसरी बार उसका साथी दोबारा सिगरेट मांगता हैं तो रमन उसे एक तमेचा जड़ देता हैं।
सेकेंड शो के सभी लोग बाहर निकलने लगते हैं और ये तीनों थियेटर के अंदर जाकर बैठ जाता हैं।
मूवी शुरू हो जाती है। कुछ समय के बाद कुछ ऐसे सीन आता है कि राहुल उछल कर अपना हाथ बगल वाले कुर्सी के हथ्थे पर का गिराता हैं, उसने यह महसूस किया कि ये तो मेरे दोस्त के हाथ नहीं हैं। जब मुड़ कर देखता है तो दाएं तरफ बगल में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बैठी है जिसके हाथों से मेरा हाथ जा टकराया हैं पर वो लड़की एक शब्द तक ना बोली हैं।
Be continue...