लोखड़ौन
लोखड़ौन
दिन को रात-रात को दिन मै बदल रहा हूं,
और बाहर नहीं अपने अतीत की ओर सिर्फ चल रहा हूं,
बिना बाहर निकले उन सब से मिल रहा हूं,
और ऐसे हि आज को कल मै बदल रहा हूं,
मेरी औकात इस महामारी ने मुझे बतादि,
और ज़िन्दगी की अहमियत मुझे सीखादि,
हर उस व्यक्ति की मुझे फ़िक्र है,
जिसका मेरी ज़िन्दगी मै ज़िक्र है,&
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चाहे वो मेरा अब मित्र नहीं,
पर उनके बिना मेरी ज़िन्दगी का पूरा चित्र नहीं,
बस आशा है हम सब रहेंगे स्वस्थ,
और गुज़ारेगे बची ज़िन्दगी मस्त,
मै सिर्फ बताता नहीं,
क्यों की अंतरमुखी (introvert) कभी प्यार जताता नहीं,
कुछ दिन तुम घर पर ही रहना,
फिर मिलकर चाहे तुम जो भी कहना।