लास्ट सीन
लास्ट सीन
काफी जद्दो-जहद पश्चात इम्फाल,मणिपुर विश्वविद्यालय में आयोजित "गणितीय विरासत" के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए ओम ,पत्नी पूनम और बेटे राहुल के साथ अपनी मंजिल की ओर चल पडे। यात्रा बहुत रोमांचकारी रही,पर सफर में चरम आनन्द का सभी ने अनुभव किया।तीन दिनों का गणित विषय पर राष्ट्रीय अधिवेशन खत्म होने पर पूरी टीम के लिए एक शैक्षिक ट्रिप का प्रबन्ध किया गया।ओम अपने परिवार सभी टीम के साथ तैयार होकर मोइरांग ,लोकटक झील और एस्काॅन टेम्पल चलने के लिए बस में बैठ गये।सभी लोग मोइरांग में ऐतिहासिक स्थल देखने हेतु "आजाद हिंद फौज के संग्रहालय" अतिरेक से भरपूर थे। यह स्मारक ब्रिटिश, जापान और सुभाष चन्द्र बोस की फौज से युद्ध के दौरान आई0एन0ए0 के वीर गति को प्राप्त शहीदों की स्मृति में1944 में निर्मित की गई थी।यह स्थल मणिपुर के विष्णुपुर जिले में स्थित है।यह युद्ध "कोहिमा इम्फाल युद्ध" के नाम से प्रसिद्ध है।यह युद्ध 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग तीन महीने लडा गया था। कोहिमा के गैरीसन हिल पर इस युद्ध में शहीद सैनिकों को दफनाया गया।
यहाँ पर जाॅन मैक्सवेल एडमंड ने एक स्मारक पट्टिका भी लगाई जिस पर लिखे वाक्य अभी भी ओम के जेहन से अभी तक न उतरी ,वह अब भी उसको अपने जीवन की "लास्ट सीन" के नाम से पुकारता है ।यह उसे अत्यन्त मर्मभेदी लगा । पट्टिका पर लिखी संवेदनशील इबारत इस प्रकार है:"जब तुम घर जाओ तो हमारे बारे में सबको बताना और यह कहना कि उनके भविष्य के लिए हमने अपना वर्तमान बलिदान कर दिया"।राष्ट्रीयता के परिप्रेक्ष्य से यदि सोचा जाये तो यह संदेश हर नागरिक के जेहन में आना चाहिये तभी छद्म स्वार्थ के कारण जो जेहाद, धार्मिक कट्टरता,क्षेत्रीयता,जाति और सम्प्रदाय के आड़ में विष फैल रहा है और आर्थिक ऐश्वर्य प्राप्ति की होड़ में मानवतावादी सोच मृतप्राय हो रही है,वह शायद दूर हो।जीवन से बढ़कर मूल्यवान कुछ नहीं है पर इसे परस्पर सहकारिता और साहचर्यता से और निखारा जा सकता है,मानव धर्म अपनाकर इसका मूल्य बढ़ाया जा सकता है परोपकार और सत्यनिष्ठा से इसके जड़ को सींचा था सकता है ताकि भविष्य की पीढ़ियां "बसुधैव कुटुंब कम" के उदारवादी और सार्वभौमिक सिद्धांत को हृदयतल से अपना सके, उदार परिवारवाद के उत्कृष्टता को स्वीकार कर सकें। तत्पश्चात लोकटक झील प्रस्थान किया,यह झील "कुंदी" के लिये प्रसिद्ध है वहाँ के मनोहर दृश्य सब पर अमिट छाप छोडते है।