कर्मवीर
कर्मवीर


पुलिस की सायरन देती धड़ाधड़ गाडियाँ निकल रही थीं ,इतनी गाडियाँ एक साथ सभी के लिए कौतूहल का विषय था और हो भी क्यों ना, कोरोना से ग्रस्त विश्व पटल पर हमारे शहर में भी बढ़ते रोगी सभी की नींद उड़ा चुके थे, पुलिस महकमा ,हॉस्पिटल के कर्मचारी अनेक कर्मचारी अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों की हर सम्भव मदद में लगे थे। एक गाड़ी से सूचना दी जा रही थी, कृपया घर में रहें ,सुरक्षित रहें ,अनावश्यक बाहर ना निकले, आज से महाकर्फ्यू शुरू हो गया है, आवश्यक सामग्री आपके घर के सामने उपलब्ध कराई जाएगी, प्रशासन का सहयोग करें, कलक्टर साहब द
ौरे पर हैं....... और एक-दो-तीन कितनी गाडियाँ ,बाईक सवार पुलिस जवान निकले, शहर के पुलिस अधीक्षक जो मेरे पति के मित्र थे ,हमें फाटक पर खड़ा देखकर रुके और पूछा ,"कैसे हो? आप सब, सभी को घर में रहने को कहें...।" तभी यह सब सुन रही बेटी बोली ,अंकल आप हमें तो घर में रहने को बोल रहे हैं पर आप खुद भी तो बाहर घूम रहे हो, आप को भी तो कुछ हो सकता है।अधीक्षक महोदय सारा तनाव भूलकर हँस पड़े और प्यार से बोले 'अरे बेटा! आप घर से बाहर जाने पर डरते हो और हम घर जाने से...'हम सभी चकित हो कर देखने लगे और सभी ने उत्साह बढ़ाते हुए तालियां बजाकर पुलिसदल का अभिवादन किया।जब तक गाडियाँ दिखती रही सभी तालियाँ बजाते रहे।