कर्मों का फल
कर्मों का फल
एक परिवार था । उनके चार लड़के दो लड़कियां थी । माता पिता ने अपने सारे बच्चों को उच्च शिक्षा दी । उन्होंने अपने सारे बच्चों की शादी उच्च कुलीन परिवार में की । लड़कों की पत्नियां उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी । धीरे-धीरे सब का चूल्हा अलग हो गया । जब पिता रिटायर हुए तो उन्हें पेंशन नहीं मिलती थी । धीरे-धीरे उनकी जमा पूंजी खत्म होने लगी । सारे लड़कों ने माता-पिता से किनारा कर लिया । जमा पूंजी खत्म होते ही सारे लड़के उन्हें छोड़ कर चले गए । माता-पिता अपना दुख किसे बताते वह बस भगवान से प्रार्थना करते रहते थे कि "हे भगवान ऐसी संतान किसी को भी ना दे ।" धीरे-धीरे उनके बच्चों के भी बच्चे बड़े और वह भी शादी होते ही अपने मां-बाप को छोड़ कर चले गए ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जैसा करते हैं वैसा ही हमें मिलता है ।
