हरि शंकर गोयल

Comedy

4.5  

हरि शंकर गोयल

Comedy

कोविड वैक्सीन और फूफाजी

कोविड वैक्सीन और फूफाजी

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कोरोना वैक्सीन का फूफाजी से क्या कनैक्शन है ? आप लोग यही सोच रहे होंगे ना । दरअसल इस देश की खासियत ही यही है । पता नहीं कहां की ईंट कहां जोड़ देते हैं और उसे अपने तर्कों से सही सिद्ध भी कर देते हैं । मगर यहां पर कोरोना की वैक्सीन में फूफाजी को क्यों घुसेड़ दिया ? यह आम लोगों की समझ से बाहर है । पर आप लोग तो आम लोग तो हो नहीं इसलिए आपको तो पता होगा ही ? नहीं पता ? चलिए बता देते हैं । 


इन दिनों में कोरोना की वैक्सीन बड़ी तेजी से लगाई जा रही है । कल एक ही दिन में एक करोड़ लोगों को यह वैक्सीन भारत में लगाई गई है । अब तक लगभग 62 करोड़ लोगों को यह वैक्सीन लग चुकी है । इतनी बड़ी तादाद में वैक्सीन लगना ना केवल आश्चर्यजनक घटना है अपितु अद्वितीय भी है । 


अब फूफाजी पर आते हैं । फूफाजी की ख्याति किसलिए है ? मतलब फूफाजी का काम क्या है ? शादी या बारात में रूंसना मटकना । जब तक फूफाजी रूंसने मटकने का अपना पवित्र कार्य पूरा नहीं कर लेते तब तक आगे की रस्में पूरी नहीं की जा सकती हैं । इस प्रकार फूफाओं के लिए शादी या बारात एक स्वर्णिम अवसर बनकर आता है । अपनी अकड़ दिखलाई जाती है । माल भी कूटा जाता है । ससुराल वालों को अपनी औकात भी बता दी जाती है । सब पर हुक्म चलाने का अवसर मिल जाता है । इतना सब कुछ मिलने पर ही फूफाजी का दिल पसीजता है और फिर वे सारी रस्में पूरी करवाते हैं । 


फूफा लोग कभी भी अपनी फरमाइशें सीधे मुंह नहीं बताते हैं । घुमा फिरा कर बात करने में बड़े सिद्ध हस्त होते हैं ये । जब रूंसना होता है तो किसी छोटी सी बात को तूल दे देंगे फिर उस बात पर अपना "खेल खेलेंगे" । जैसे पूजन सामग्री में जो आइटम नहीं होता है , उसे उपयोगी बताकर बवंडर फैला देते हैं । फिर बात में से बात निकलती रहती है और मामला बहुत आगे तक चला जाता है । तब घर परिवार के बुजुर्ग उन्हें मनाने का अभियान शुरू करते हैं । जब खूब आवभगत करवा लेते हैं तब जाकर मानते हैं । 


फूफाजी , बहनोई और दामाद एक ही श्रेणी "सवासणा" में आते हैं । वक्त का पहिया बदला तो रिश्तों में भी बहुत कुछ बदलाव आ गया । कोई जमाने में दामाद, बहनोई यमराज जैसे लगते थे । लेकिन अब इन दोनों वर्गों ने अपनी चाल बदल ली और ये जमाने के सांचे में ढले नजर आ रहे हैं । बहनोई अब "भाई" जैसे और दामाद अब "बेटे" जैसे बन गये हैं । अगर किसी महान हस्ती पर इस बदलाव का असर नहीं हुआ है तो वह है 'फूफाजी" । फूफा लोगों ने अपना "ट्रेड मार्क" रूंसने की कला, अभी तक बहुत संभाल कर रख रखी है । जब जरूरत पड़ती है तब अपनी कलाकारी के दर्शन करा देते हैं। अर्थात ये फूफाजी लोग अभी भी अपने मूल स्वरूप में ही रहते हैं और "फूं फां" करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं । 


अब आते हैं कोविड वैक्सीन के फूफा कनैक्शन के विषय पर । जब भारत में कोविड वैक्सीन बनी तो इन फूफाओं ने उसकी बहुत आलोचना की थी । कि ये वैक्सीन कारगर नहीं है । इन्होंने तो एक विदेशी कंपनी फाइजर की वैक्सीन की बहुत पैरोकारी की थी । शायद कुछ कमीशन ले रखा होगा इन फूफाजी लोगों ने । वैसे तो फूफाओं का एकमात्र कार्य आलोचना करने का ही है इसलिए उन्होंने अपना "फूफा" धर्म निभाया और वे अभी भी निभा रहे हैं । देश में जब भी कोई अच्छा काम होता है ये फूफा लोग "फूं फां" करना शुरू कर देते हैं । 


देश में कुल आबादी 135 करोड़ है । 18 वर्ष एवं इससे अधिक आयु के लोग अधिकतम 60% यानि कि 81 करोड़ हैं । इनमें से लगभग 62 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन लग चुकी है ‌‌अर्थात 75% लोगों को वैक्सीन की प्रथम डोज लग चुकी है । पिछले छः माह में इतना बड़ा काम हुआ है वैक्सीन लगाने के बारे में जिसकी प्रशंसा पूरा विश्व कर रहा है । मगर भारत के अंदर ये फूफा लोग अभी भी "फूं फां" ही कर रहे हैं । अभी भी आलोचना के सिवाय कुछ नहीं कर रहे । एक भी फूफा ने इतनी बड़ी उपलब्धि पर एक शब्द भी नहीं कहा । क्योंकि वे फूफा जो ठहरे ।


इस देश में ऐसे फूफाजी मीडिया, राजनीति , कला क्षेत्र और बुद्धिजीवियों में भरे पड़े हैं । ये फूफा लोग हर विषय के विशेषज्ञ होते हैं । आर्थिक स्थिति पर रोना रोते हैं । विदेशी मामलों के महा विशेषज्ञ होते हैं । चीन के हमले पर स्यापा करते हैं । भारत की सेना पर प्रश्न उठाते हैं । अभिव्यक्ति के स्वयं भू झंडाबरदार होते हैं । लोकतंत्र के तथाकथित पैरोकार होते हैं । और तो और देशद्रोहियों तथा आतंकवादियों के भी समर्थक होते हैं । मगर यही फूफा लोग देश भक्त लोगों , राष्ट्रवादियों पर उंगली उठाते रहते हैं । 


इन फूफाओं को एक राज्य में बलात्कार दिखाई देते हैं मगर जो राज्य बलात्कार के मामलों में देश में अव्वल बना हुआ है उस राज्य में बलात्कार दिखाई नहीं देते । एक चोर की पिटाई इन्हें लिंचिंग लगती है मगर एक राज्य में चुनावों के पश्चात राजनीतिक हत्याएं, बलात्कार , पलायन शांति और सामाजिक सद्भाव कार्यक्रम लगते हैं । इसीलिए तो ये फूफा लोग अब धीरे धीरे जनता में एक्सपोज हो रहे हैं । मीडिया तो अब खुले रूप से नंगा हो चुका है। 


मीडिया में बैठे तथाकथित पत्तलकार कोविड मामलों में केरल मॉडल का प्रशस्ति गान करने में अपनी सारी ऊर्जा लगा देते हैं लेकिन हकीकत में आज देश के 60% कोविड मामले अकेले केरल से आ रहे हैं । मगर फूफा लोग तो फूफा हैं वो इस पर चुप्पी ओढ़े रहते हैं और दूल्हे को , दूल्हे के बाप को तथा उसके खानदान को रात दिन गालियां देते रहते हैं । यही फूफा धर्म है जिसे ये बखूबी निभा रहे हैं। 


आप लोग भी इन फूफाओं को अच्छी तरह से पहचान लीजिए जिससे पता चल जाये कि देश के फूफा लोग कौन कौन हैं । 



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