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कोर्ट की तारीख

कोर्ट की तारीख

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जज साहब काफी गुस्सा हो रहे थे वकील पे। क्या मुँह उठा के चले आते ही तारीख माँगने। आम आदमी का भरोसा उठ चला है कोर्ट पे। कौन सा पर्सनल ग्राउंड है। जुनियर वकील बार-बार बोल रहा था कि ग्राउंड काफी पर्सनल है, नहीं बता सकता पर जज साहब थे कि सुनने पे अड़े हुए थे।

अपनी सख्त मिजाजी के लिए काफी मशहूर थे जज साहब। वकीलों को उनके कोर्ट में काफी तैयारी के साथ जाना पड़ता था। उनके सामने तारीख लेना शेर के मुँह से शिकार छीनने जैसा था। यदि तारीख़ देते भी तय भारी जुर्माने के साथ।

कोर्ट में चुप्पी छा गयी थी। जज साहब ने तारीख दे दी थी। जुनियर वकील ने वो पर्सनल ग्राउंड बता ही दिया। उनके सिनियर वकील की गुदा में बहुत बड़ा फोड़ा हो गया था।


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