Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Drama Inspirational

1.0  

Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Drama Inspirational

कीमत

कीमत

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जैसे ही काँच के बर्तन के टूटने की आवाज आई, दादी चिल्लाई, "क्या तोड़ दिया? कर दिया न नुकसान। इस लड़की से एक भी काम ढंग से नहीं होता"


दूसरी ओर से माँ ने दौड़ते दौड़ते आवाज दी, "गुनगुन बेटा चोट तो नहीं लगी न, तुम ठीक तो हो?"


कुछ न बोली गुनगुन लेकिन माँ की बात दिल को छू गयी थी। आज परीक्षा फल निकलने वाला है। बहुत डर लग रहा था पता नहीं ऐसे नंबर देखकर घर पर सब क्या कहेंगे। पापा ने नम्बर देखे और क्रोध से देखकर कहा-"पढ़ाई में ध्यान लगाओ, पैसे लगते है। कीमत समझो"


दादी बोली, "सारे दिन बैडमिंटन खेलेगी तो पढ़ेगी कब, एक ही काम होगा। लड़की हो लड़की की तरह रहो”


दादाजी ने प्यार से गुनगुन के माथे को चूमा और कहा, "बिटिया का नार्थ ईस्ट बैडमिंटन टूर्नामेंट में चयन हुआ है। इस खुशी में आज सबके लिए मिठाई लाया हूँ, यही हमारा नाम रोशन करेगी, बहुत होशियार बेटी है”


आज भी वो कुछ न बोली पर दादाजी की बात दिल को छू गयी थी। कभी दूसरों की बातों को सुनकर गुनगुन विचलित हो उठती तो माँ समझाती, "प्रत्येक परिस्थिति के दो पहलू होते है, हमेशा नकारात्मक को नकारो और सकारात्मक पहलू को देखो और खुश हो जाओ।


सकारात्मक सोच का दीपक जब जब जलता है अंतर्मन रोशन हो जाता है। यही गुनगुन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी कि वह अब हवा से खुशबू को खींच लेती थी।


एकदिन अचानक माँ गिर गयी और हाथ टूट गया था। पूरा घर परेशान, कौन करेगा काम।


"माँ बिल्कुल भी आराम न करती थी। मेरे द्वारा सेवा भी हो जाएगी और इसी बहाने घर के सारे काम भी करना सीख लूंगी" गुनगुन के विचारों में उत्साह था। सही दिशा थी इसीलिए सब कुछ बहुत आसानी से हो गया। माँ बिल्कुल ठीक हो गई। दादी भी खुश की अब गुनगुन को घर के काम करने आ गए थे। लड़कियों को घर के काम जरूर आने चाहिए।


पापा के कहे दो शब्द ने कीमत समझा दी थी रिश्तों की, कीमत समझा दी थी इस जिंदगी की जो सही विचारधारा से अनमोल हो सकती है और गलत सोच से रद्दी कबाड़, जिसकी जरूरत किसी को नहीं होती है।



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