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Nikita Dhulekar

Drama Horror

3  

Nikita Dhulekar

Drama Horror

खूनी कौन

खूनी कौन

5 mins
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घर के दरवाज़े पे पुलिस , डिटेक्टिव्स और पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई थी| सीढ़ियों पर पत्रकारों की लाइन जा रही थी| 

अफसर के इशारे पे कांस्टेबल ने पत्रकारों को बिल्डिंग के बाहर जाने को कहा| एक्सपेक्टेशन के अनुसार उन्होंने सवालों की झड़ी लगा दी|


“क्या नौकरानी पे शक है?”

“कोई सुराग मिला ?”

अरे काम करने दो हमें...इतने सवाल सुन के माँ कसम, पिताजी की याद आती है”, खीजते हुए कांस्टेबल चिल्लाया|


घर के अंदर मीरा की लाश पे सफ़ेद चादर डाली हुई थी| forensic photographers का काम समाप्तः होने आया था | 


नीलम अपनी माँ को एक टाक देख रही थी | पास में खड़ी रोहिणी शांति से detective के सवालों का जवाब दे रही थी| 


“ में घर घुसी तोह माताजी ज़मीन पे गिरी करहा रही थी और सर पर से ख़ून बह रहा था | मैंने उनके सर के नीचे टॉवल रक्खा और पड़ोसियो का दरवाज़ा खटखटाया | सायली मैडम ने मुझे वापस जाने को कहा और आप लोगों को फ़ोन किया\”


“ जब तुम वापस आयी तोह क्या “, अफसर ने पुछा|

 “माताजी कुछ कहने की कोशिश कर रही थी..पर मुझे समझ नहीं आ था


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“माँ ने मेरा हाथ पकडा ओर कुछ ही क्षणों में दम तोड़ दिया” | कई बार सोचती हूँ कि काश घर से जल्दी निकली होती , काश उस दिन काम ट्रैफिक कम मिलता तो शायद माँ के पास जल्दी पहुँच सकती थी ” | 


“बेटा, यह विचार कर के मन बोझिल मत करो” | तुमसे जो बन पाया तुमने किया | कम से कम तुम उनके उनके आख़िरी पल में साथ तो थी | उनकी मृत्य कारण स्पष्ट हुआ?” पंकज ने नीलम को सांत्वना देते हुए पूछा |  


“बस इतना ही समझ में आया की सदमे की वजह से दिल का दौरा पड़ा और तुरंत चल बसी | 

पुलिस ने छानबीन करी थी लेकिन कोई सबूत नहीं मिला |” नीलम इतना कहते हुए रुआँसी हो गयी | 


मीरा के घर में आने जाने के लिए एक द्वार था और एक छोटी बालकनी थी जिसमें जाली लगी हुई थी | वहाँ से अंदर आना नामुमकिन था | 


बिल्डिंग के चौकीदार ने सिक्योरिटी कैमेरे की रिकॉर्डिंग पुलिस को दिखाई थी | यह बात तो पक्की थी की उस दिन कोई घर नहीं आया था | 


ना किसी ने चोरी करने की कोशिश करी थी,ना कोई धमकी देने आया था मीरा को किस बात का सदमा लगा यह आज तक पता नहीं चल पाया| 


“आज माँ की याद आ रही थी तो उनका उनके सामान देखने लगी” , नीलम ने मीरा का सामान समेटते हुए कहा | 


“माँ ! माँ ! यह देखो रामू की फिल्म आ रही है”, नीलम की ५ साल की बेटी दिव्या अपना ipad लेकर दौड़ती हुई आई |


 “रामु नहीं रेम्बो”| नीलम नई हस्ते हुए समझाया |


“पता है दिव्या, तुम्हारी नानी भी रेम्बो की तरह बहादुर थी| डरावनी पिक्चर, लूट पाट के समाचार, बीमारी, उन्हें इन सभी बातों से डर नहीं लगता था ”, पंकज ने दिव्या को बताया|


 इतना कहकर वह सोच में पड़ गया | पंकज उन चंद लोगों में था जिनसे मीरा रोज़ मर्रा की बातें किया करती थी | वह सरल स्वभाव की थी | 


 “इसीलिए मुझे असमंजस होता है कि उन आख़िरी क्षणों माँ किस बात से भयभीत थी”| नीलम ने चिंता भरी नज़रों से पंकज को देखा | 


“यह देखो नानी माँ का सामू सिंह”, दिव्या ने नीलम को Samsung मोबाइल देते हुए कहा|


नीलम मुस्कुराई और फ़ोन को को देखते हुए बोली, “मुझे अच्छे से याद है की माँ को आजकल की मशीने , जैसे ब्लेंडर , वैक्यूम क्लीनर , इलेक्ट्रिकल टूथब्रश इत्यादि बिलकुल पसंद नहीं थी” | उन्हें इन सभी का इस्तेमाल करना अजीब लगता था | कहती , किसी दिन मुझपर बिगड़ गए यह सब तो क्या होगा?”


“ चलो कम से कम मोबाइल तो इस्तेमाल करती थी”| पंकज बीच में बोल पड़ा | 


“हाँ , दिव्या की वजह से माँ मोबाइल इस्तेमाल करना सीख रहीं गयी थी | उन्हें Facetime करने में मज़ा आता था और इसी बहाने और दिव्या को हिंदी भी सीखा देती थी | हर अंग्रेजी वस्तु का हिंदी में नाम करण करने में उन्हें बहुत मज़ा आता था” नीलम ने विस्तार से समझाया | 


“हा हा | मीरा जी बहुत रचनात्मक थी “, पंकज ने कहा |


मीरा के घर से लाये आये हुए हुए सामान को देखते हुए नीलम बोली , “कल मैं यह सब दान करने वृद्धाश्रम जाऊँगी | अधिकतर सामान नया है..अच्छा है किसी और के काम आ जायेगा “|


“ अगर तुम्हे कोई आपत्ति न हो तो मैं आज ही वृद्धाश्रम जा कर यह सब दान कर सकता हूँ | मेरे ऑफिस के रस्ते में है "| पंकज ने मदद करने के लिए सुझाव दिया | 


“ हाँ यह ठीक रहेगा | बहुत बहुत धन्यवाद” , नीलम खुश हो कर बोली| 


पंकज सामान अपनी कार में रखने चला गया | 


“ माँ हम दिभूति को रख सकते हैं ? प्लीज माँ “, दिव्या ने बक्से की तरफ इशारा करते हुए कहा | 


“दिभूति....। वह कौन है ?...” नीलम बक्से की और बढ़ी|


मीरा के लिए नीलम ने एक नया वैक्यूम क्लीनर ख़रीदा था जो रिमोट से चलता था | मीरा को वह पसंद नहीं था। .. हमेशा कहती थी, “यह मशीने मेरी जान लेकर रहेंगी | देखो कैसे पीछे पीछे आता है मेरे“ 


“अरे यह तोह Deboot X 122 वैक्यूम क्लीनर है” , नीलम ने हँसते हुए दिव्या को समझाया | 


“नानी ने इसका नाम दिभूति रख्हा था, माँ “, दिव्या बोली | 


इतना कहकर दिव्या ने फटाफट उसका बटन दबाया | कुछ ही पल में वह वैक्यूम क्लीनर दिव्या के पीछे चल पड़ा | 

 

“ देखो माँ देखो..यह कितनी तेज़ी से आ रहा है.. इसे रोको।” दिव्या का उत्साह डर में बदल रहा था | 


यह सुनते ही नीलम ने उसका रिमोट ढूंढा और बंद करने का प्रयास करने लगी.. परन्तु उस मशीन की रफ़्तार काम नहीं हो रही थी | 


दिव्या चिल्लाने लगी और सोफ़े पर चढ़ गयी |


 वैक्यूम क्लीनर रुका और फिर नीलम की तरफ घूम गया | 


नीलम पीछे हटी और एक बार फिर रिमोट से से उसे बंद करने की कोशिश करनी लगी | 


 अब वैक्यूम उसके. और करीब आ गया था | ऐसा लग रहा था की इस मशीन का अपना ही अलग दिमाग था | नीलम ने मेज़ पर रख्खी मोटी किताब उस पर दे मारी | 


किताब के वज़न से वह रुक गया किंतु उसमें से अजीब सी आवाज़ आ रही थी|


वह दौड़ के दिव्या के पास गयी और उसकी आँखों में वही डर दिखा जो मीरा की आँखों में देखा था | 

 

उसने दिव्या को गले से लगाया और मीरा के आखिरी क्षण याद करने लगी। 


मीरा ने नीलम का हाथ कस के पकड़ा हुआ था ओर बार बार जो शब्द दोहरा रही थी वो नीलम को आज समझ आये ...दी.. .. भू .. भूत। 


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