हरि शंकर गोयल

Comedy

4  

हरि शंकर गोयल

Comedy

खोजी मन

खोजी मन

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कहावत है कि जैसा जिसका अन्न वैसा उसका मन । इस कहावत से याद आया कि पत्नियां लड़ने के नित नये तरीके ढूंढती रहती हैं । वैसे भी औरतों का स्वभाव है कि वे एक चीज से संतुष्ट नहीं होती हैं । 


एक औरत दुकानदार के पास कफन लेने गई । दुकानदार ने कफन दिखा दिया । वह औरत कहने लगी कि इसमें और दूसरा कलर दिखाओ । बेचारा दुकानदार ! आह भरने के अलावा और क्या कर सकता था । घर में पतिदेव नहीं मिलते हैं लड़ने के लिये तो फिर दुकानदार से कफन के कलर के लिए लड़ना पड़ता है । इसे कहते हैं खोजी स्वभाव । महारथ हासिल है औरतों को इस काम में । जहां कहीं भी लड़ने की गुंजाइश नहीं होती है , वहां भी लड़ने के तरीके खोज लेती हैं पत्नियां । गजब की खोजी होती हैं पत्नियां। 


सबसे बड़े खोजी तो बॉस लोग होते हैं । डांटने का कोई ना कोई बहाना खोज ही लेते हैं । वैसे मातहत भी कम नहीं होते । काम से बचने का कोई न कोई बहाना वे भी ढूंढ ही लेते हैं । पहले की सास लोग भी बहुत ही खोजी हुआ करती थी , बहू पर ताने मारने का कोई अवसर नहीं छोडती थी । वैसे आजकल बहू यह काम बखूबी कर रहीं हैं और पिछला हिसाब चुकता कर रही हैं । 


स्कूल नहीं जाने के जितने बहाने हो सकते थे , हमने बचपन में सब खोज डाले । इसी तरह छुट्टी लेने के भी नये नये तरीके ईजाद कर लिये । ना जाने कितनी बार मां , बाप , सास, ससुर को मरवा देते हैं लोग छुट्टी के लिये । 


जब जवानी आती है तब बहारों का मौसम आता है । ऐसे में पिया से मिलने के लिए गोरी क्या क्या बहाने नहीं खोजती है ? "मैं तुझसे मिलने आई मंदिर जाने के बहाने" । ये गीत भी एक पागल प्रेमिका की खोज है । इस गीत ने न जाने कितनी प्रेमिकाओं को प्रेरणा दी है । आज भी इस गीत से प्रेरित होकर नायिकाएं मंदिर जाती हैं । भगवान भी उनके मिलन के लिए एक माध्यम बनकर खुश हो जाते हैं । 


जब कभी हमारी परीक्षा का परिणाम आता , हम अपने आपको सही ठहराने के लिए कोई न कोई बहाना खोज ही लेते थे । परिणाम तो वही आना था "निल बटा सन्नाटा" मगर हम भी बड़े कलाकार थे । किसी न किसी तरह सिद्ध कर देते थे कि टीचर हमसे खार खाए बैठा है, जानबूझकर फेल करता है । इस काम में तो हम लोग सिद्ध हस्त हैं । 


पडोसन को देखने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं लोग ? कभी चांद देखने छत पर जाते हैं तो कभी शाम की ठंडी हवा लेने के लिए । कभी गाय की रोटी लेकर पड़ोस की गलियों का चक्कर लगाते हैं कि क्या पता "छमिया भाभी" के दर्शन हो जाएं ? कहने का मतलब है कि हमसे बड़ा खोजी आदमी कोई और नहीं मिलेगा आपको । "आज से तेरी ये गलियां मेरी हो गई" यह गीत भी ऐसे ही किसी पागल प्रेमी ने अपनी पडोसन की खोज में लिखा था शायद । 


"खोजने से तो भगवान भी मिल जाते हैं फिर पड़ोसन क्या है" ? लोगों ने तो दारू की बोतल में दवा खोज ली । आंखों में मधुशाला खोज ली । जुल्फों में घटाएं खोज लीं । बिंदिया में चांद सितारे खोज लिए । मुस्कान में जिंदगी खोज ली । 


एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नित नये तरीके खोज लेते हैं लोग । उठापटक, दांवपेंच और न जाने क्या क्या प्रपंच खोजते हैं लोग । अब तो हेराफेरी के नये नये तरीके बाजार में आ गये हैं । ऑनलाइन ठगी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है । खोजी कुत्तों से भी ज्यादा खोजी होते हैं लोग । हम तो इतना ही कहेंगे कि "लगे रहो मुन्ना भाई" । 


वैसे सबसे बड़े ठग तो सफेद खद्दरधारी होते हैं । मुफ्त में चीजें देने के वायदे करके सब कुछ लूट लेते हैं ये लोग । प्रेमियों की तरह नित नये वायदे करके प्रेमिकाओं को जिस तरह बरगलाया जाता है उसी तरह ये नेता भी जनता को लॉलीपॉप पकड़ाकर मस्त रहते हैं । गरीबी हटाने के वादे पर खुद अमीर होते रहते हैं । ये भी गजब के खोजी होते हैं । हर बार नया वायदा । इनकी फैक्ट्री हमेशा नये नये तरीके खोजती रहती है मतदाताओं को ठगने का । और मतदाता चाहे कितना ही समझदार क्यों ना हो , हमेशा ही ठगा जाता है । अब दिल्ली वालों को ही देख लो ।



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