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Deepika Dalakoti Dobriyal

Drama

3  

Deepika Dalakoti Dobriyal

Drama

कहाँ होंगे विनय …किसके साथ ?

कहाँ होंगे विनय …किसके साथ ?

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"अरे !मुझे फ़ोन नंबर क्यों नहीं याद आ रहा है ?"

क्या ये कोई दिमागी बीमारी थी ?सिर पकड़ मैंने अपने दिमाग को ज़ोर दिया ! फिर कुछ नंबर याद सा आने लगा। 

"94... 1... 2... 1…”

“ ये नंबर डायल क्यों नहीं हो रहे हैं?"

"अरे ! अब ये डायल पैड काम क्यों नहीं कर रहा है !"

डायल पैड अपनी ज़िद पे अड़ा लगा।

" ये किसी इंसान का षड्यंत्र है या शायद प्रकृति की ही साजिश है !”

मन में अजीब से सवाल और एक भयानक डर घर करने लगा था !

"वार्ना क्यों मुझे नंबर भी ठीक से याद नहीं आ रहा …”

“और क्यों ये डायल पैड भी अड़ रहा है !"

मैं डरे हुए मन से परिस्थिंति का आंकलन करने लगी थी। 

"क्या किसी ने मेरे फ़ोन से छेड़ा-खानी की है?"

ये भी एक सम्भवता थी क्यूंकि फ़ोन पे सेव्ड नंबर भी नहीं आ रहा था। 

" भगवान् ! ये सब क्या हो रहा है ?"

“कहाँ होंगे विनय ?"

“किसके साथ होंगे !”

शक और डर मुझे पागल सा कर रहा था। 

"कैसे होंगे वो ?"

ये मानसिक भार मेरा होश उड़ा के ले ही जा रहा था कि मुझे ऐसा महसूस हुआ मनो मेरे पैरों पर अजगर रैंगा।फिर आवाज़ आयी "उठो !" सात बज गए हैं !आंखें खुली बिस्तर पर हाथ फेरा और देखा की विनय मज़ा उठाते हुए मेरे चेहरे के भाव देख रहे थे। मेरी नींद तोड़ने के लिए आदतवश पहले विनय ने कम्बल हिलाया और फिर अपने आवाज़ का अलार्म बजा मुझे जगाया ।

 फिर तो जो हुआ सो हुआ... पर क्या कहूँ आज फिर "मिशन विनय" पूर्ण होने पर जो तसल्ली मिली उसकी कोई तुलना नहीं ।ऐसी शान्ति मिली मनो मुझे विश्व शांति पुरूस्कार मिल गया हो। वार्ना सपने के अनुसार तो मैं खुद को एक ट्रैजिक हीरोइन का किरदार निभाती सी लग रही थी क्यूंकि ऐसा महसूस हो रहा था मनो विनय बहुत लम्बे समय से लापता हैं और उनसे किसी प्रकार का संपर्क बनाना भी असंभव सा लगने लगा था। ऐसे में उनके मुस्कुराते हुए चेहरे ने जो अभिनन्दन किया और उसे देख जो चैन मुझे प्राप्त हुआ उसका वर्णन करना असंभव है। किस अलंकार से मैं उनकी मंद-मंद मुस्कान को चित्रित करू मुझे पता नहीं !मुझे ऐसा महसूस होता मानो मैंने धरती के स्वर्ग पर विजय प्राप्त कर ली हो !

मुझे विनय ने कई बार ये ज़िक्र किया था की वो फाइटर पायलट बनना चाहते थे। मुझे इस बात की तसल्ली थी की वो नहीं बने। जब सपनो में ही मैं इतना परेशान हो जाया करती तो असल ज़िन्दगी में क्या होता !हाँ एक और हास्यजनक बात ये थी की अक्सर मैं नींद में खुद को बेवजह पैराशूट से टपक कर पकिस्तान में गिरा पाती। ऐसा स्वप्न मुझे एक बार नहीं कई बार आ चुका है ! क्या सपनों में भी हम दो जिस्म एक जान की भूमिका निभा रहे होते है? परिस्थिति गंभीर और विचारणीय है । इस सवाल का जवाब देने के लिए सिग्मंड फ्रायड भी हमारे बीच नहीं रहे !

शायद संत वैलेंटाइन सपने में आ मेरी इस गुत्थी को सुलझा सकें ! अब किस मंत्र को बोल संत वैलेंटाइन का आवाहन किया जाय? फिर भी मंत्र निर्माण की मैं कोशिश करती हूँ शायद थोड़ी संस्कृत वो समझ पाएं !

"ॐ अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! नमो नमःप्यारे वैलेंटाइन संत " -108 की माला फेरते हुए !


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