लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास मिल गए! लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास मिल गए!
अब वाकिफ हो गया हूं कोई अपना नहीं होता। अब वाकिफ हो गया हूं कोई अपना नहीं होता।
"ॐ अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! नमो नमःप्यारे वैलेंटाइन संत " -108 की माला फेरते हुए ! "ॐ अभिनन्दन ! अभिनन्दन ! नमो नमःप्यारे वैलेंटाइन संत " -108 की माला फेरते हुए !
मैं आँखें बंद करके उस स्पर्श के अहसास को महसूस करती हूँ । मैं आँखें बंद करके उस स्पर्श के अहसास को महसूस करती हूँ ।