जोगिया रे..!
जोगिया रे..!
"आ रहे हैं रंग रंग, रंगों के बादल फागुन ..!!
चहुं ओर फुहार बाहर बरसे मोरे आंगन ...!!
महक उठी फिजा और ये बदन ..!!
पायल भी बज रही है बुला रहे कंगन ..!!
मेघों सा उल्लास से भर जाए ये मोरा मन..!!
शोर क्यों मचाए हाय ..पीहू बन सारंग ..!!
पिया-पिया मनवा पुकारे ओ भोले सजन!"
सावन की बयार खिल रही थी ..कृष्णांशिका अपने पांव से छपाक् छप करती बरसात की बयार का आनंद ले रही थी ..! राग मल्हार सरस ..बरस रहा था ..! उसके हृदय में उठी तरंगों को लयबद्ध करती नृत्य करते थिरक रही थी ..! लक्ष्य की याद में वर्षा और भी खूबसूरत हो चली । उसने साड़ी को कमर के ऊपर ठूंसा और गति से घूमने लगी ..! लग रहा था टपकते हुए अम्बर हथेली में आ गिरा हो ..!
सोचा आज आई.एम.ए.(देहरादून )से पासिंग परेड ग्राउंड में लक्ष्य की लेफ्टिनेंट की ट्रेनिंग पूरी होगी । लक्ष्य के सीने पर लेफ्टिनेंट का तमगा कितना फबेगा उस पर .? ! सोच कर मन मयूर हो नाच उठा ...!
टी.वी. पर पूरा लाइव टेलीकास्ट एक -एक क्षण होगा .! कितनी दिनों के बाद देख पाएगी ..उसे कैसा अद्भुत नजारा होगा ..?!!!
गीली लटें मुख में आ जाती तो स्मृतियों के तारों में लक्ष्य गूंजता ..! जब लक्ष्य की ट्रेनिंग हो चुकी होगी ..! अब वह प्रणय सूत्र में जल्द ही बंध जाएगी...!
उसने ड्रॉर से एक डायरी निकाली पिछली बार जब वह आया था ,डायरी अतीत बोध कराती .. उसी ने तो भेंट की थी कृष्णांशिका को ..!
डायरी के मुख पृष्ठ पर लिखा था ..!
"GIFTED BY LUXYA With love to Krishnanshika "(लक्ष्य द्वारा कृष्णांशिका को सप्रेम भेंट)
उसने लक्ष्य द्वारा लिखे उस डायरी के भाग को अपनी कोमल नाजुक उंगलियों के पोरों से छुआ ..! हल्के से आंखें बंद कर ली व लक्ष्य को प्रतिबिंबित कर लिया ताकि खुलने पर वह ओझल ना हो जाए ..! कुछ देर मूक खड़ी रही ..!
तभी पिता ने आवाज लगाई ,".. कृष्णा आओ टी वी ऑन करो बेटा ..देखो लक्ष्य की पासिंग परेड का लाइव आएगा ..!"
उसे लगा जैसा उसकी लुप्त हुई चेतना को पिता ने जगा दिया हो ...!
" आती हूं बाऊ जी ...आती हूं ..!!" कहती हुई झट से दौड़ी व मन ही मन मुस्कुरा उठी .. गीले बालों का झट से जूड़ा बना लिया, गुनगुनाते हुए चल दी टीवी हॉल में ,टीवी ऑन किया ..!
बहुत दिनों पहले बाबूजी की टांगें दुर्घटना ग्रस्त हो चुकी थीं ..! वील -चेयर पर ही रह गई थी जिंदगी ..! जब भी कोई छोटा- छोटा भी काम होता कृष्णांशिका को पुकारते .!
वह अपना सारा काम छोड़ उन्हीं की सेवा में लगी रहती ..! मां रहती भी तो कितना दौड़ सकती थी ...अपाहिज पति के साथ स्वयं भी तो रोगग्रस्त रहती थीं मां बीपी ,शुगर ..तो आम बात ही थी जब से होश संभाला हमेशा औषधियों का सेवन करते देखा था ..!
फिलहाल तो मां तो चाचा-चाची के साथ पटना गई थी ..! वहां 'गया' में दादाजी का पिंड दान करवाने ..! कहते थे वहां जाकर पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है ..और जीते हुए लोगों को कब और कहां मिलेगी ??!! उसने सोचा "काश ! ऐसा भी कोई स्थान होता ..!!"
मन में लक्ष्य को देखने की उत्सुकता से लजा
गईं.. आभास हुआ बाबूजी भी बगल में वील चेयर में बैठे हुए हैं ...!
उनकी कुर्सी को आगे की और स्वयं सोफे पर बैठ गई ..!
सुबह खराब मौसम के कारण परेड तीन घंटे बिलंब से प्रारंभ हुई ..! (आठ )८ बजकर ५७ (सत्तावन) मिनट पर ..! मार्कस कौल के साथ परेड का आगाज हुआ ..! कम्पनी सार्जेंटों ने अपनी अपना स्थान ग्रहण किया ..! असीम साहस के परिचायक देश के नए कर्णधारों ने अपने कदम बढ़ाए ..!
सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो कर परेड का आनंद ले रहे थे ..!
जनरल सिंह ने अपने भाषणों में कहा ," आज युद्ध का चरित्र और प्रकृति बदल गई है ..! अभी की जगह चुनौतीपूर्ण हैं जहां हमें साहस का परिचय देना होगा ..! उत्कृष्ट परेड के प्रक्षिशकों कैडेटों और जेंटलमैन कैडेटों की मैं सराहना करता हूं ...! उच्च मानकों और अनुशासन परेड में साफ प्रतिबिंबित हो रहा है ..! यही हमारा ध्येय है और लक्ष्य है देश के लिए अनुशासन और समर्पण ..! जय हिन्द ..!"
भारत माता तेरी कसम तेरे रक्षक बनेंगे हम, आइएमए गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे तो लगा कि विशाल सागर उमड़ आया है। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरेक शख्स के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी ले. जनरल सिंह ने परेड की सलामी ली ..!
जे.जनरल ने श्रेष्ठ में से भी सर्वश्रेष्ठ कैडेटों को सम्मानित किया ..! सीकर राजस्थान के मुकेश कुमार को स्वार्ड ऑफ ऑनर और रजत पदक से सम्मानित किया ..! उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के दीपक सिंह को स्वर्ण और मोगा , पंजाब के लवलीत को कांस्य पदक मिला ..! उत्तराखंड के दक्ष पंत को सिल्वर मेडल मिला ..! भूटान के किन्वे नौरबू को सर्वश्रेष्ठ केडेट के लिए चुना गया..! चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर डोगरई कम्पनी को मिला ..!
अंत में केडटों के मैडलों से सीने दमकने लगे ..!
कृष्णांशिका केडटो में उस चेहरे को अनवरत तलाश रही थी .. जिसने उसके प्रेम को पल्लवित किया था ..!
क्रमशः
"जोगिया रे ...!!"
(सुनंदा असवाल )
भोर ...
कृषणांशिका तैयार हुई ..! लक्ष्य आने वाले थे ..!
हाथों में एक एंटीक ब्रेसलेट पहना,काले लहराते केशों का जूड़ा बनाया ,लक्ष्य कभी तारीफ किए बगैर नहीं रहा ,जब भी उसे उसने जूड़े में देखा , उसने छोटा सा फूल जूड़े में लगाया, आंखों के कोरों में काजल .!
उसने बाबूजी के लिए नाश्ता टेबल पर लगाया, शेविंग किट का डब्बा तौलिया ,कंघा ,क्रीम सभी कुछ पास में ही रख दिया.. बाबूजी की सहुलियत का पूरा इंतजाम.... वह एयरपोर्ट को रवाना हो गई ..!
उधर बाबूजी से मिलने घर में उनके पुराने ऑफिस के सहयोगी रमोला जी हुए आए थे ..! कभी कभार प्रातः भ्रमण करते हुए मिलने आ जाया करते थे ..! कार्यालय सम्बंधित कोई भी सूचना तुरंत मिल जाती थी ...! और हां एक बात और उनका हिंदी साहित्य के प्रति अथाह स्नेह बरबस गाहे बगाहे टपक पड़ता था ..!
उस सुबह रमोला घर पर आए थे..!
बाबूजी बोले ,"-- यार रमोला तुम्हारा वह किस्सा बहुत याद आता है जब, तुम्हारे हिंदी प्रेम ने कार्यलय में एक मिसाल कायम कर दी थी ..मान गए आपका हिन्दी प्रेम प्रशंसनीय है..!"
रमोला जी भी उस अंदाज में बोले,--" क्यों ना हो गर्व ,जी हिंदी साहित्य ने अन्य भाषाओं को भी अध्यात्मिक दर्शन कराए हैं ..!"रमोला जी किस्सा दोहराने लग गए
एक बार जब मैं लोको पाइलेट था ..। मुझे अधिकतर हिंदी साहित्यिक विधा में पुरुस्कार से सम्मानित किया जाता था उस समय हिंदी लेखनी चरम् पर थी .. मैं हिंदी में सारे लेख ,कविताओं और कहानियों में लेखकों की त्रुटियों को उंगलियों में गिनता था । यों कहें हिंदी का उपासक था । हिंदी को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का साहस कोई मेरे सम्मुख नहीं कर सकता था ।
एक बार ट्रेन के आगे की हेड लाइट खराब हो गई । उनसे स्टेशन मास्टर ने सोचा उनकी हिंदी अच्छी है तो हिंदी में नोटिस लिखने को कहा गया---मैंने लिखा---
आदरणीय,
महोदय,
हमारी लौहपथ गामी का यंत्र चालक का अग्र दीप प्रज्जवलित अशक्त होने के कारणवश बाधा उत्पन्न हो रही है ।
अनुरोध है ,अविलंब ध्यान केंद्रित करने की कृपा कीजिएगा ।
धन्यवाद सहित भवदीय --
"रमोला"
स्टेशन मास्टर जी का सर चकराया भागे- भागे पहुंचे मेरे पास बोले ,"हिंदी मैंने शायद नहीं पढ़ी है ,लगता है मैं अनपढ़ ही रह गया हूं । कृपया इसे मेरी भाषा में लिख दें । मैं सर घुमा- घुमा ,हिला हिला पढ़ रहा हूं परंतु पल्ले नहीं पड़ रहा है भाई मेरे माफ कर दो .!! "
सुनकर मुझे बहुत हंसी आई मैं बोला जी ,"जी अभी लो !"
भले ही उम्र में बड़े रहें हों स्टेशन मास्टर साहब परंतु, मुझ जैसे लोकों पायलट से पढ़ाई में तो पीछे ही रहे ... है ना ..?? !!
फिर दोनों काफी देर तक दोनों हंसते रहे .!
सहज और सरल परंतु पक्के मित्र थे ..!
बाबूजी ने चाय बनाई और उनके आगे बढा दी ..! अपने मोटे मोटे चश्मों से वे अखबार की सुर्खियों को पढ़ रहे थे ..और सुना रहे थे ...! देखो मित्र महंगाई का भत्ता बढ़ता नजर नहीं आता और दाम आसमान छूते जा रहे हैं ..! कहां जाएं गरीब ..बेचारा सिसकियों में जिंदगी तय हो गई है !!
रमोला जी भी कहते ,"---- स्टेशन मास्टर जी रहने दो अब यह अल्प बचत योजना अग्रिम भविष्य के लिए नवीन कुछ नहीं किया जाएगा क्योंकि मेरे पुत्र का विवाह तय हो चुका है व पुत्री भी ससुराल की हो गई है ..! एतैव कुछ नहीं चाहिए ..! बस शांति ऊं ..!"
जी ,--" रमोला बाबू मेरा भी क्या है ?? एक पुत्री ,उसका विवाह भी दिनांक व शुभ मूहूर्त में निकाल लक्ष्य के साथ करवा दूंगा ..आज आ रहा है वो ..!"
"जी उचित है ..! अच्छा आज्ञा दीजिए साहब ..! यों प्रातः शुभ समाचार प्राप्त हुआ अच्छा चलूं अब ..! "रमोला जी जल्दी में थे उठकर दरवाजे की तरफ निकल घर को हो लिए ..!
इधर एयरपोर्ट के बाहर ...
जैसे ही लक्ष्य आर्मी केडेट यूनिफॉर्म ,मोटे -मोटे काले चश्मे पहन, इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दरवाजे से निकासी द्वार की ओर बढ़ा ही था कि,प्रतिक्षालय में बैठी कृष्णांशिका अत्यंत भावुक हुई ..!
स्वेत रंग का सूट ,ऊपर से सत रंगी दुपट्टे से मुख ऐसा खिल रहा था जैसे , खूबसूरत गुलाबी कमल में शबनम की बूंदें हों .!
उसने कुछ भारी सामान लक्ष्य से लेना चाहा..! उसने मना कर दिया ..!
बोला,--" रहने दो जी रहने दो .. क्यों नाजुक उंगलियों को दर्द देना चाहती हो खामाखां.! आर्मी का ऑफिसर ऐसे ही नहीं हूं कि,अपना सामान भी ना उठा पाऊं क्यों..??!"
और लबों पर खूबसूरत मुस्कुराहट तैर गई...
उसने हल्के से फुसफुसाया बोली,--" अच्छा जी ओहह ऐसा है आर्मी वालों का जोश तो है ही ..पर हम भी कम नहीं हैं साहब ..! एक सैल्यूट तो हमारे आगे भी हो जाए ..! सुबह उठकर सबकी हिफाजत करना कोई आसान काम नहीं ...!"
लक्ष्य ने आगे बढ़कर गाड़ी का दरवाजा खोला व कहा ,--" Have a seat mam !! My pleasure ..!"(मेरा सौभाग्य कि आप सीट में बैठें) लक्ष्य ने उसका पकड़ा और अदब से सर छुकाया और कार के अंदर उसे बैठा दिया ..!
जोड़ी सुर -ताल अनुपात सभी कुछ तो समान था ..! आसमानी जोड़ी.!!
वह चंचलता लिए , गंभीरता ओढ़े हुए नदी सी प्रतीत होती जो ,अपने उद्गम द्वार से स्वछंद रूप से बढ़ती है व शेष उसी तरह समतल भाग में शांत प्रवाहित होती है ..कल कल ..और अंत में मंजिल पर शांत प्रवाह । दोनों एक दूसरे में खोए जा रहे थे ..! गाड़ी लक्ष्य चला रहे थे घर की दिशा की ओर ..!
लक्ष्य दो भाई बहन..! कृष्णांशिका इकलौती ही थी..!
कुछ ही दूरी पर था लक्ष्य का घर ..! लक्ष्य ने कहा ,--" घर को चलोगी ?"
कृष्णांषिका ,"-- रहने दो आज ..! पापा अकेले हैं ना !"
लक्ष्य,--" चलो कुछ देर ही सही ..!"
कृष्णांषिका,--" जी अच्छा मम्मी हैं ना घर पर ..! अभी थोड़ा पुराने ख्यालात की पीढ़ी हैं ना वह अपनी विचारधाराओं से बंधे हैं शायद पसंद ना हो उनको !"
लक्ष्य ,--" ऐसी कोई बात नहीं मेरी मॉम एजुकेटेड है ..! "
कृष्णांषिका,--" अक्सर मैंने देखा है जितना इंसान पुराना होता जाता है ,वह फिर पुनः अपनी जड़ें तलाशना शुरू कर देता है ..!"
लक्ष्य तुरंत बोला ,"- माइंड ब्लोइंग क्या सत्संग की क्लास ज्वाइन की देवी जी ..! रहने दो आप ..! चलो मैं कह रहा हूं.. चलिए आपका होने वाला...
बात को मध्य में ही काट कर कृष्णांषिका हंसते हुए बोली ,"---ठीक है चलें फिर..!!"
उसने घर के पास गाड़ी रोक दी और एक दूसरे में डूब गए .!
क्रमशः
सुनंदा ☺️
