जिन्दगी एक सपना
जिन्दगी एक सपना
सुचिता नाम कि शामसुन्दरजी कि एकलोती बेठी। सुचिता का जनम 1989 मे हुआ। उसकी माँ का नाम राधा है।
सुचिता के दादी का देहान्त एक अच्छा डॉक्टर न मिलने के कारण हुआ।
सुचिता जैसे-जैसे बडे होने लगी वैसे हि वह अपने नटखट हरकतें करने लगी। उसकी माँ यानि राधा जी ,उनका एक हि सपना था , कि वह अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थी। उसे अच्छे स्कुल मे दाखल किया। सुचिता भी बहुत हुनहार और होशियार लड़की थी।
' राधाजी ' और ' शामसुन्दरजी ' उससे बहुत प्यार करते और उसे डॉक्टर बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे। जब उसकी सातवीं कक्षा पूरी हुई तो उसे बड़े शहर मे भेजने का तय किया। सुचिता को एक बड़े शहर मे भेज दिया।
शहरी वातावरण मे सुचिता अब अपनी आगे कि पढ़ाई करने लगी। सुचिता को अपने माँ कि याद आने लगी।
सुचिता ने अपनी पढ़ाई पूरी की वह एम.डी डॉक्टर बन गई।
गाँव को आ गई। शामसुन्दरजी ने तो अपने सावकार से कर्ज लिया था।
उसको बडा अस्पताल खुलवाने के लिए।
सभी खुश थे और सुचिता शहर मे जाना चाहतीं थी। अचानक उसके दिल मे दर्द होने लगा उसका दर्द इतना बढ़ा कि उसको अस्पताल मे ले जाना पड़ा। अस्पताल मे डॉक्टर
ने कहां कि उसकी एक किडनी खराब है। इसको अभी दूसरी किडनी कि जरूरत है। यह बात उसके दोस्त सौरभ
को मालूम हुई। वह फौरन चला आया। उसने उसकी पापा कि हालत और माँ को रोते देख उसने अपने किड्नी दे दी।
उसने जब सूचीता के हालात् अच्छे होने के बाद् उसे कहा कि मैं तो एक कंपनि मे काम करता हूँ तुम तो दूसरों को जिन्दगी देने काम करती हो तुम्हारी अभी जरूरत है।
सुचिता ने सौरभ से शादी कि। एक बड़ा अस्पताल
खोला। माँ और पापा का सपना पूरा किया। आज वह्
बेहद खुश है। सुचिता एक डॉक्टर के रूप में और सौरभ अस्पताल का मॅनेजमेन्ट सी .इ.ओ है।
