Harjot Singh

Drama Others

5.0  

Harjot Singh

Drama Others

जीभ का स्वाद

जीभ का स्वाद

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मार्च के आखिरी हफ्ते में काम बढ़ ही जाता है। इन दिनों ही राहुल के डिपार्टमेंट में सुमन ने ज्वाइन किया था। कई दिनों से काम करते करते 8-9 बज जाना आम सा था। एक दिन काम निपटाकर वो निकल रहा था देखा सुमन जाने के लिए कैब बुक कर रही थी। कंम्पनी का दफ्तर शहर से बाहर था और इस समय कैब पे जाना सही नहीं था। राहुल ने सुमन को ऑफर कर दिया कि चलो मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ। 

सुमन हिचकिचाई थोड़ा पर उसने हाँ कर दी। वो बाईक लेकर आँफिस आता था। सुमन एक सईड ही दोनों पैर करके बैठी और पूरा फासला रखकर। मन में कोई शंका हो शायद इसलिए। कहीं से कोई गलत सन्देश ना जाए इसलिए। उसका घर रास्ते पे था। राहुल ने उसको ड्रॉप किया और अपने घर चला गया। अगले दिन आँफिस पहुंचा तो सभी के लहजे बदले हुए थे। 

सामने की सीट पे बैठने वाला अजय बोला ,"वाह भाई, आते ही चिड़िया जाल मे फंसा ली। "पहले तो राहल कुछ नहीं समझा। मगर उसके आँख के इशारे से जब सुमन की तरफ इशारा किया तब समझा कि उसके घर छोड़ने की कथा आँफिस में पहुंच गई है।


खुद की सोच को एडवांस कहने वाले लोगों की सोच पे उसको हैरानी थी। उसने सफाई में इतना कहा की "यार सिर्फ घर तक छोड़ा था। वैसे भी उसकी शादी हो चुकी है।" अब अजय के साथ बाकी लोग भी आ गए थे , शादी हो गई तो अच्छा ही अब तो ना शोर शराबा ना खून खराबा"

उसे बहस में पड़ना अच्छा ना लगा तो चुप कर गया। तभी कैबिन से बॉस का बुलावा आ गया। रोहणी अभी तक उसके साथ की पोजीसन में थी। कुछ ही महीने पहले प्रमोशन लेके इंचार्ज हुई।

वो गया तो नए नए ज्वाइन किए एक क्लर्क को लिखवा रही थी कुछ। उसको बैठने को बोला और क्लर्क को बाहर भेज दिया। और बोली ,

"अच्छा, मैंने सुना है कल रात तुम सुमन के साथ गए थे। कितना सच है ये ? "

वो खीझ गया," तुम सब लोग एक ही बात के पीछे क्यूँ लग गए हो। क्या किसी को एक दिन घर छोड़ देना गुनाह है", "तुम बुरा क्यूँ मान जाते हो यार, मैंने तो सुना है कि उसका हसबैंड भी साथ नहीं रहता, शादी भी पुरानी नहीं , और बच्चा भी नहीं है क्या पता तुम्हें मौका दे रही हो।" रोहणी ने कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।

राहुल कहना तो चाहता था कि अकेली तो तुम भी रहती हो और तुम्हरी शादी के पहले के सारे किस्से बातें मैं जनता हूँ और तुम तो एडवांस सोचने वाली लड़कियों से हो जो लड़कों से प्यार, दोस्ती और हमबिस्तरी में बाकयदा अंतर रखती हो फिर भी ऐसी सोच पर वो कह न सका कुछ भी था वो उसकी अच्छी दोस्त थी और बॉस भी इसलिए चुप कर गया। सिर्फ इतना कह के घर तक छोड़ दिया था रात थी सिर्फ इसलिए। और बाहर आ गया। राहुल सोचता था कि ये लोग सभी मर्दों को सभी रिश्ते एक से क्यूँ समझते हैं ? जब से सुमन आई थी जरा सा उसके पास बैठना कोई काम पूछना सब को यही लगता था पता नहीं क्या चक्कर है। मर्द या औरत आँफिस के सभी लोग इसी निगाह से देखते थे। 

उसने सुमन को अपने स्टाफ के लिए नहीं मांगा था बल्कि वो रोहणी की जगह आयी थी। दूसरी तरफ रोहणी ने चार नए आये क्लर्क लड़कों में से लड़का अपने निजी क्लर्क के लिए रखा था उसको बड़े ध्यान से चुना था। हट्टा कट्टा, फिट बॉडी, लंमी हाइट, पुरी बढ़िया पर्सनैलिटी। वो दिन का आधा समय उसी के केबिन में रहता था, मगर कभी किसी ने दबी जुबान में भी कुछ न कहा। और यहाँ एक दिन घर क्या छोड़ा। और सबको लग रहा है मानो उसके साथ रात बिता कर आया हूँ। उसने सुमन की तरफ देखा, सच में बहुत सुंदर थी। "एकदम कड़क चाय" अजय ने पहले ही दिन बोल दिया था। उसके चेहरे पे मुस्कान आ गई। चलो इतनी सुंदर लड़की के साथ अगर नाम जुड़ ही रहा है तो भी क्या आफ़त है।

वो चुप चाप अपने काम में लगा रहा।

रात को जैसे ही वो निकलने लगा तो सुमन ने फिर बोल दिया। राहुल सर अगर घर निकल रहे हो तो मुझे छोड़ देना। एक तो उसके कल के बैठने के तरीके से जो उसकी शंका दिखा रहे थे और दूसरा आज के दिन की आँफिस की किचकिच वो मना करना चाहता था। पर कर ना सका और कोई था भी नहीं जो ड्रॉप कर सके और कैब के लिए उसी ने कल मना किया था। उसने उसको साथ ले लिया। 

उसको एकदम से हैरानी हुई। आज वो कल की तरह शरमाई नहीं बल्कि आराम से दोनों तरफ़ पैर करके बैठी। आज दोनों के बीच का फासला भी कम था। छोटी छोटी बातें करते कब पहुंच गए पता ही न चला। उसका मानो पूरे दिन का सारा गुस्सा उतर गया था। मगर अगले दिन ऑफ़िस पहुंचा तो कुछ और ही कहानी आगे मिली। सब के होठों पे अलग सी मुस्कान थी और चेहरे पे ताज़गी।

हुआ ये था की रोहिणी के पति ने कल उसको और नए क्लर्क को अपने घर पे साथ में पकड़ लिया था। लोगों को ये मसाला मुश्किल से मिला था। राहुल को बड़ी हैरानी हुई दूसरों पे उँगली करने वाले लोग खुद कितने उन्ही सब में लिप्त होते हैं। शायद हर कोई खुद को अपनी नजर में सही दिखने के लिए दूसरे पे कीचड़ उछालता है। और मजे लेने वाले इन्ही सब में लिप्त रहते हैं।

मगर खुद को बुरा नहीं समझते। उसने सुमन की तरफ एक बार देखा और बिना किसी से कोई बात किये अपने काम पे लग गया। आज कोई रोहिणी की बात उड़ा रहा है कल ये किसी और की करेंगे। जीभ के स्वाद के लिए ये करना ही इनका कर्म हो गया है।



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