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Anita Lodhi

Drama Fantasy

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Anita Lodhi

Drama Fantasy

जादूई नीला दरवाजा (पार्ट - १)

जादूई नीला दरवाजा (पार्ट - १)

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दिल्ली के एक शहर में रिया नाम की एक लड़की रहती थी। वह अपने माता - पिता के साथ रहती थी।


माँ : रिया ये लो सूप पी लो बेटा।

रिया : कैबेज सूप, मैं ये नहीं पीउगीं मम्मी। मुझे चाहिए एप्पल जूस या बॅरी पुड़़िंग मतलब सब टेस्टी -टेस्टी।

वो कभी खुश न होती, रिया को कुछ पसंद ही न आता वो बस हर चीज में कमी निकालती।

माँ : रिया देखो पापा तुम्हारे लिए क्या लेकर आए हैं इतनी  सुंंदर नई फ्राॅक।

रिया : इसका कलर कितना गंदा है इसमें टसल्स(tassles) नहीं है ना बौस (bows) है और ना रिबन्स (ribbons) है।

आपने वो गाउन देखा जो उस दिन नीलम लेकर आई थी, कितना सुंदर था आप कभी मेरे लिए कुछ अच्छा नहीं लाती।

माँ : रिया ये देखो तुम्हारा नया बाॅक्स इसमें पेंंसिलस है  और देखो साथ में इंक और पेन भी है।

रिया : छी ये बाॅक्स कितना पुराना लग रहा हैं भद्दा भी और ये इंक पोट बहुत ही छोटा है, और दिव्या की पेंसिल

इससे कई गुना ज्यादा अच्छी है उसपर फेसेस बने हुए है।


रिया के पास जो था वो सिर्फ उस चीज की शिकायत नहीं करती बल्कि अगर उसे कोई काम करने को कहता तो उसे उसमें भी परेशानी होती।

पिता : रिया मैंने तुमसे जो इतिहास का पाठ पढ़ने को कहा था, वो पढ़ा।

रिया : मुझे इतिहास पसंंद नहीं।

माँ : रिया यहाँ आओ, मैं तुम्हे सिखाती हूँ की एप्पल पाई कैसे बनाते है

रिया : आपको पता है ना मुझे खाना बनाना पसंद नहीं इतनी गर्मी में तपते ओवन के पास खड़े होकर खाना बनाने का मुझे कोई शौक नहीं और वो भी “एप्पल  पाइ” सच में ये तो बनाने का सोचूँ भी नहीं ।


पर एक काम था जो रिया को बहुत पसंद था, उसे नीले दरवाजे के पास जाकर खड़ा होना बहुत अच्छा लगता था ।

बगीचे के उत्तर दिशा की तरफ जो दीवार है उसी दीवार का दरवाजा, वो दरवाजा इतना छोटा था की किसी बड़े को उसके अंंदर जाने के लिए बहुत नीचे झुकना पड़ेगा। पर उसपर हमेशा ताला लगा रहता था। रिया को हमेशा मन करता कि वो अंदर जाकर देखे की दरवाजे की दूसरी तरफ क्या है वो अपने माता - पिता को मनाने की बहुत कोशिश करती, की वो उसे दरवाजा खोलने दे।


माँ : रिया कहाँ चली गई थी तुम बेटा ?

रिया : मम्मी आप मुझे वो नीला दरवाजा क्यों नहीं खोलने देते ?

माँ : रिया हमने इस बारे में कितनी बार बात की है कि तुम उसके अंदर नहीं जाओगी, क्योंकि वहाँ जाना खतरे से  खाली नहीं है, अब चलो मेरे साथ ब्रेकफास्ट कर लो फिर मेरे साथ स्टोर रुम साफ करवाना।

उस दिन रिया अचानक अपनी माँ की मदद करवाने के लिए मान गई, वो जब पुरानी अलमारी की साफ - सफाई कर रहे थे, तो उन्हें एक पुरानी एल्बम मिली उसने वो खोली।

रिया : मम्मी ये दादा जी और दादी जी के साथ इतने सारे लोग कौन हैं ?

माँ : ये तुम्हारे दादा के दादा के दादा रामकिशन सिंह और ये

उनकी पत्नी रामेश्वरी सिंह और ये इनकी बेटी मीरा सिंंह

‌‌‌ये तुम्हारी बुआ दादी है।


जब उसकी माँ एलब्म देख रही थी, तो रिया की नजर एक अलग से बक्से पर पड़ी। उसने वो खोला उसके अंदर एक चाभी थी जिसके ऊपर नीला रिबन (ribbon) बँधा हुआ था।

रिया : मम्मी ये चाभी किसकी है ?

मां : ये ऐसी ही कोई पुरानी चाभी है इसे वापस रख दो और 

   अब जाओ बाहर जाकर खेलो।


रिया चाभी के बारे में ही सोचती रही कि कही वो चाभी इस नीले दरवाजे की तो नहीं, जितना ज्यादा वो सोच रही थी , उतना ही उसके अंदर चाभी पाने की इच्छा बढ़ती जा रही थी। रविवार को उसे ये मौका मिला।


माँ : रिया हम बाहर जा रहे हैं तुम अंदर ही रहना और

   अपना होमवर्क पूरा कर लेना मैं आकर चेक करूँगी।


जैसे ही उसके माता - पिता गए उसने अलमारी से वो पुरानी

चाभी निकाली और उसे लेकर बगीचे की तरफ भागी उसने

जैसे ही चाभी ताले में लगाई और घुमाई दरवाजा खुल गया

और रिया उसके अंदर चली गई।


 दरवाजे के दूसरी ओर क्या था ? 

 जानने के लिए पढ़िए इसका दूसरा भाग....

 



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