इश्क में बंजर होना
इश्क में बंजर होना
मेरी हाय उन सभी प्यार करने वाले को जिनका इंसान मर गया है..सुबह सूरज से लिपटी हुई और आँखों में नींद मुझे जीने नहीं देती है..कभी कभी उसमे मुझे बर्दास्त करने से ज्यादा कुछ नहीं मिला है..लेकिन एक बात सच है प्यार में बहुत ताकत है...
मेरी ऊँगली पकड़ने से लेकर मेरा हाथ थामने से पहले मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती है..
मुझे चलाने से लेकर मेरे कंधो का सहारा मेरे पिता भी मुझसे बहुत प्यार करता है..
लेकिन ये प्यार मेरे लिए उन बंधन से मुक्त है जिन्हे मै घिनोना मानता हूँ..
आज नए ज़माने में बढ़ते गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड का प्रचलन, प्यार कुछ वक़्त में इस तरह खत्म हो जाता है जैसे मैंने मुँह में पान खायी और अगले चौराहे पर थूक दी हो..
इसी तरह मेरी भी मुलाकात हो गयी, कुछ वक़्त की दोस्ती फिर प्यार के रिश्ते में पनपने लगी..
फिर मेरा किसी और दुनिया की तरफ देखना जिसमे प्यार सिर्फ एक शब्द से ज्यादा कुछ नहीं था..एक रात और एहसास सुबह तक खत्म हो जाते थे..और पैसों की मिठास खट्टी पड़ जाती थी..
फिर लगा की सिर्फ प्यार एक शब्द सा बन गया है जिसमे या तो हम जलते है या समाज..
मुझे प्यार दो तरह ही समझ आया, जब किसी से बेपनाह हो जाती है या दूसरी तरफ सिर्फ नफरत रह जाती है...जिसमे दो दिल जलते आग की तरह उन्हें छूने से सिर्फ ज़िस्म ही नहीं इंसान भी जल जाता है..इसलिए कहता हूँ प्यार को झोक दो किसी आग में..
क्यूंकि उसके जीने मरने से कोई फायदा नहीं..एक समुन्दर है तो एक किनारा और अधिक सोचना है तो एक काम करना प्यार को बंजर बना देना...ना फिर उसमे प्यार होगा ना ही कोई दिल में हलचल..
मेरा प्यार बंजर सा हो गया है...और ये तबदीली अच्छी है लेकिन अजीब..
अच्छा ही है प्यार को हाय लगी है मेरी..
प्यार में बंजर होना..!