इंसान का इंतज़ार

इंसान का इंतज़ार

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एक उन्निस-बीस साल का युवक नवीन, पीठ पर स्कूल बैग टाँगे साइकिल से रिंग रोड पर तेजी से घर की ओर जा रहा था।सुबह कालेज, फिर ट्यूशन शाम हो चली थी। उसके पेट में चूहे कूद रहे थे। माँ के हाथ का सुस्वादु भोजन याद आ रहा था। उसने गति और तेज कर दी, तभी मोड़ पे अचानक एक ट्रक दैत्य के समान प्रगट हो गया। नवीन संभल न सका एक जोरदार आघात, गिरते ही सर पत्थर से टकराया। हृदय विदारक चीख और खून का फव्वारा फूट पड़ा। ट्रक को भी भारी भीड़ के कारण कुछ दूर जाकर रुकना पड़ा। ड्राइवर अपनी जान बचाके भागा। क्रोधित भीड़ ट्रक पर चढ़ गई और आलू से भरे ट्रक से आलू सड़क पर बरसने लगे।


अचानक लोग हैरान रह गए, जब आलू की परत के नीचे अंग्रेजी शराब की बोतलें बिछी हुई थी। लोगों की आंखें फटी रह गईं और बोतल दबा के धीरे धीरे वहाँ से खिसकने लगे। भीड़ छट गई और नवीन की निष्प्राण देह किसी इंसान का इंतजार करने लगी।


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