STORYMIRROR

Ashokalra Ashq

Inspirational

4  

Ashokalra Ashq

Inspirational

ईमानदार होली… एक लघुकथा

ईमानदार होली… एक लघुकथा

2 mins
962

लाला जी की मावे की गुजिया मंहगी होने के बावजूद, बहुत बिकती थी। होली के अवसर पर दुकान पर मिठाई लेने वालों की भीड़ थी। कैश काउंटर पर लाला जी खुद थे। एक ग्राहक बड़ी देर से बार बार 200 का नोट उनकी तरफ बढ़ा रहा था। उसने गुजिया का भुगतान तो कर दिया था। लाला जी उसे देख रहे थे और समझ रहे थे कि शायद नोट में कुछ खराबी है और उसे दूसरा चाहिये।

उन्होंने उसे दो मिनट शांति रखने का उपदेश दिया और दूसरे ग्राहकों के निपटाने लगे।

वह 45-47 वर्षीय ग्राहक एक ओर खड़ा होकर प्रतीक्षा करने लगा। पाँच मिनट बाद लाला जी का ध्यान उसकी ओर गया।“जी लाइये दीजिए, मैं बदल देता हूँ, लीजिए,” लाला जी ने 200 का करारा नोट उसकी तरफ बढ़ाया।

उसने कहा, “लाला जी मुझे दूसरा नहीं चाहिये, आपने 200 रू० भुगतान में अधिक दे दिये हैं, मैं वही वापस कर रहा था, आपने रुकने को कहा तो मैं रुक गया।”

लाला जी ईमानदारी की प्रतीक्षा पर दंग रह गए।

“आप बैंक में हैं क्या?” अपनी झेंप मिटाने के लिए उन्होंने कहा।

उस आदमी को चेहरा लटक गया। “दो साल से बेकार हूँ, मेरी नौकरी जाती रही। एक स्कूल में क्लर्क था।”

“आप बेकार नहीं हैं, हो ही नहीं सकते। होली के बाद आप मेरे प्रतिष्ठान पर आ जाइये।”

उस आदमी के चेहरे पर होली के सारे रंग नज़र आने लगे।“और हां, ये मेरे प्रतिष्ठान की सबसे अच्छी मिठाई आपके बच्चों के लिए, इंकार न कीजिएगा।”

अश्रु दोनों ओर से बहे। सभी ने देखा। ईमानदारी ने माहौल को खुशनुमा बना दिया था।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational