हंसी तो फंसी
हंसी तो फंसी
कोई जमाना था जब यह कहावत प्रचलित थी कि "हंसी तो फंसी" । जब कोई लड़की किसी लड़के को देखकर मुस्कुरा देती थी तो लड़का आसमान में उड़ने लगता था । सितारों से बातें करने लगता था । परियों के ख्वाब देखने लगता था । जमीन से दो इंच ऊपर चलता था वह । उसकी मुस्कान उसके लिए प्रेरणास्रोत बन जाती थी । मुस्कान से बात शुरू होकर दिल की बात तक आ जाती थी । फिर खतोकिताबत का दौर चलता था । और अंत में दोनों विवाह बंधन में बंध जाते थे । किसी लड़की का हंसना किसी लड़के के लिए वरदान बन जाता था ।
मगर अब ? क्या जमाना आ गया है । अगर कोई लड़की जरा सा भी मुस्कुरा कर देख ले तो मर्दों की शामत आ जाती है । पता नहीं कब कौन कहाँ "मी ठू " में लपेट ले या फिर कोई दुष्कर्म का केस ही ठोक दे । वो श्रंगार का दौर अब डर के माहौल में तब्दील हो गया है । लोग अब मुस्कुराहट से दूर दूर भागने लगे हैं । अगर कोई मी ठू के लपेटे में आ जाये तो रही सही कसर मीडिया वाले पूरी कर देते हैं । मीडिया उसका ऐसा महिमामंडन करती है कि वह बेचारा सुशांत सिंह राजपूत की तरह आत्महत्या कर लेता है या जेल की रोटी चबा रहा होता है ।
अब क्या बताएं यारो कि हम भी इस हंसी के शिकार हुये पड़े हैं । हमारी श्रीमती जी जब जब हमसे मुस्कुरा कर बातें करती हैं कसम से हमारी जान ही ले लेती हैं । हर बार मुस्कुराने का फायदा उठा ले जाती हैं । हंस हंस कर वे कभी हमसे झाड़ू पोंछा करवा लेती हैं तो कभी कपड़ों का ढ़ेर हमारे सामने रख देती हैं धोने के लिए। और कुछ काम नहीं बचा हो तो चपातियां ही बनवा लेती है । अब तो हम उनकी मुस्कुराहटों से डरने लगे हैं । पता नहीं वे कब मुस्कुरा बैठें और हम काम के बोझ से अपनी जान गंवा बैठें ।
कभी कभी सोचता हूँ कि जब इनकी मुस्कुराहट इतनी जान लेवा होती है तो मुक्त हंसी कैसी होती होगी ? सोचने से है कंपकंपी छूट जाती है । शायद शैतान आत्माएं इसलिए ही हंसती हैं कि उनकी हंसी ही कुछ लोगों की मौत का कारण बन जाती है । जब हंसने से ही आपका काम बन जाता है तो बेकार का खूनखराबा करने की क्या जरूरत ? अगर कोई चुडैल जोर से हंस दे तो एक बार में ही वह हजारों को ले मरे । कहाँ तक बचेगा कोई मर्द ? या तो मुस्कान से ही टें बोल जायेगा और यदि मुस्कान से टें नहीं बोला तो हंसी के तूफां में उड़ जायेगा । और यदि बहुत ही हिम्मत वाला हुआ तो जोर की हंसी के सागर में तो उसका डूबना निश्चित है ।
