हैप्पी मदर्स डे
हैप्पी मदर्स डे
माँ सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि एक दुआ हैं जिसे खुद खुदा ने हमें नवाज़ा है ऐसा तो सभी कहते हैं लेकिन क्या कभी उस माँ की दुआ सुनी है जो आपके बिन बोले सारी बात समझ जाती हैं। वैसे तो माँ पर बनने वाले सभी गानों को हम ही सुनते हैं जैसे हम उनके कितना करीब होंगे लेकिन क्या कभी सोचा है की जितना हम उनके पास हैं उतना ही उनसे दूर भी। क्यूंकि वो तो हमारी कही हुई सारी बातों को सुन लेती हैं लेकिन हम उनकी ज्यादातर बातों को सुन कर भी अनसुना कर देते हैं।
याद तो होगा आपको वो बचपन जब सारे दोस्तों से हमारी लड़ाई हो जाती थी तब माँ हमें समझाती थी कि लड़ाई उनसे ही होती हैं जिनसे प्यार होता हैं और माँ के लाख समझाने पर भी हम कह देते थे की माँ अब हमें उससे बात नहीं करनी तब माँ हमारी दोस्त बन जाती थी। माँ और हमारे बचपन से जुड़ी कई ऐसी बाते भी हैं जो उस वक़्त तो हमें काफी छोटी बात लगती थी पर अब वो छोटी बात भी हमें रुला देती हैं वही कहीं ऐसी बाते भी हैं जो हम भूलते ही जा रहे हैं।
स्कूल में एक ज्यादा पेंसिल होने पर अगर हमारा कोई दोस्त हमसे पेंसिल मांगता था तो हम उसे वो पेंसिल हमेशा के लिए ही दे देते थे पर आज भले ही हमारे पास कोई चीज़ कितनी भी ज्यादा क्यूँ ना हो हम किसी जरूरतमंद को भी देने से पहले कई बार सोचते हैं और अगर दे भी देते हैं तो जल्दी से मांग भी लेते हैं।
हम आज के अपने इस लेख से सिर्फ आपको ये समझाना चाहते हैं की बचपन की उस मासूमियत को ना भूले क्यूंकि माँ को अपना वो बच्चा ही पसंद हैं जो खाने के बाद उसके आँचल से अपना मुंह पोंछता था ना की वो जो की कुछ 2 – 4 लोगों को देखकर उसे वो तहज़ीब का ढोंग याद आ जाता हैं और वो अपना रुमाल निकल कर अपना मुंह साफ़ करने लगता है।
