STORYMIRROR

Rakesh Srivastava

Inspirational

3  

Rakesh Srivastava

Inspirational

गोलगप्पे

गोलगप्पे

2 mins
206

आज सरिता मन से बहुत दुखी थी। कारण कि बाजार से लौटते समय उसके बच्चों उदय और गरिमा ने नुक्कड़ पर खड़े चाट वाले से गोल गप्पे खाने की इच्छा जताई थी, और उसनें डाट कर कह दिया था, कि पैसे नहीं हैं। बच्चे तो दुखी हो गए थे पर सरिता टूट गई थी, क्या हूं, कैसी मां हूं, बच्चों की इतनी छोटी सी इच्छा नहीं पूरी कर सकती। पर इसमें उसका कोई दोष था क्या?


अभी चार महीने पहले तक हालात इतने बुरे न थे। सरिता का पति सुरेश एक फैक्टरी में सिक्योरिटी गार्ड था। पगार बहुत तो न थी पर घर ठीक ठाक चल जाता था। परिवार में था ही कौन, सुरेश, सरिता दो बच्चे और बूढ़ी मां। हां, मां बीमार थी और उसकी दवाई का एक रेगुलर खर्चा था। पर कुल मिला कर सब ठीक ठाक चलता था।

चार महीने पहले की बात है कि अचानक खबर आयी कि जल्दी सर्वोदय अस्पताल पहुंचो, सुरेश का एक्सीडेंट हो गया है। सरिता बच्चों को सास के पास छोड़कर, आटो से अस्पताल पहुंची पर सुरेश दम तोड़ चुका था। सरिता को काटो तो खून नहीं, अभी उम्र ही क्या थी उसकी, मुश्किल से 35 बसंत ही तो देखे थे उसनें। पर होनी को कौन टाल सकता था।


खैर उसको एक महीने बाद चपरासी की नौकरी फैक्टरी में सुरेश कि जगह मिल गई थी, पर पगार दो तिहाई रह गई थी, उसका बड़ा हिस्सा सास की दवाओं और बच्चों की फीस पर निकल जाता था। घर खर्च चल जाए वही काफी था। गोलगप्पे तो सोच में रह गए थे। पर सरिता ने ठान ली थी बच्चों को गोलगप्पे जरूर खिलाएगी।

सरिता रोज फैक्टरी से 5 बजे आ जाती थी पर कई दिनों से 6 बज जा रहे थे। बच्चे कारण पूछते तो टाल जाती थी पर आज तो हद हो गई, सास बिफर पड़ी थी और बोली, रांड आजकल कहां गुलछर्रे उड़ा कर आती है, सुरेश को मरे चार महीने हुए हैं और तूने ये करना शुरु कर दिया। बेचारी सरिता कुछ न कह कर अपने आंसुओं को दबा कर घर के काम में लग गई।

अगले दिन सरिता सही समय घर खुशी खुशी पहुंची। सास को और बच्चों को बुलाया और एक पैकेट दिखा कर बोली यह है मेरी देर से आने का कारण, और बच्चों को देकर बोली लो देखो क्या है। उदय ने जल्दी जल्दी से पैकेट खोला और चीख कर बोला दादी गोल गप्पे। सबने मिल कर खाए। सास के चेहरे पर आत्मग्लानि के भाव थे बच्चों को खुश देख सरिता संतुष्ट थी। पर बच्चों को क्या पता था कि इन गोल गप्पों के लिए सरिता कितने दिनों तक फैक्टरी से पैदल घर आयी थी।



Rate this content
Log in

More hindi story from Rakesh Srivastava

Similar hindi story from Inspirational