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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

गोधूलि बेला (2)

गोधूलि बेला (2)

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आज सुबह सुबह पार्क में फिर से हंसमुख लाल जी मिल गये । उनके साथ एक और सज्जन थे । सज्जन थे या दुर्जन ये तो हमें पता नहीं मगर इस देश में सभी को सज्जन कहने की परंपरा है इसलिए हम उन्हें सज्जन ही कहेंगे । परंपरा का निर्वाह करना भी तो अच्छी बात है न । हमारे देश के एक बहुत बड़े नेता और भूतपूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने "भगवा आतंकवाद" का सिद्धांत प्रतिपादित किया था वे सबसे खतरनाक आतंकवादी लादेन को भी लादेन जी कहकर बुलाते थे । हाफिज सईद को हाफिज साहब कहकर पुकारते थे । कितना सम्मान करते हैं वे हमारी सभ्यता और संस्कृति का । शुक्र है कि उन्होंने लादेन को "श्री श्री 1008 श्री लादेन महाराज" नहीं कहा । वरना कह देते तो हम क्या उखाड़ लेते उनका ?  

आजकल ये "उखाड़" शब्द बहुत प्रचलित हो गया है । जबसे पद्म श्री पुरुस्कार प्राप्त एक मशहूर अभिनेत्री ने अपने शब्द बाणों से कौरव सेना में हाहाकार मचाया है और इस चक्कर में उसने अपना घर तुड़वाया है तब मामा शकुनि ने कहा था "उखाड़ दिया" । तबसे यह "उखाड़" शब्द जन जन की जुबान पर चढ़ गया है और ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है । यह उखाड़ शब्द की लोकप्रियता ही है जो उसने ट्विटर पर स्वतः प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया वरना तो लोग ट्विटर पर ट्रेंड होने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं ? 


तो उन सज्जन का परिचय कराते हुए हंसमुख लाल जी बोले " इनसे मिलिये । ये हैं हमारे नये पड़ोसी फन्ने खां साहब । एकदम शुद्ध सेकुलर " 


सेकुलर शब्द सुनकर हम चौंके । इस देश में सेकुलरों की पूजा की जाती है । सारे सेकुलर दल सांप्रदायिकता रोकने के लिए अपने सारे मतभेद भुलाकर सत्ता सुंदरी के लिए एक हो जाते हैं । एक धर्म विशेष को स्वाभाविक रूप से सेकुलर का दर्जा प्राप्त है इस देश में तो वहीं दूसरे धर्म विशेष को नाम से ही सांप्रदायिक धर्म का दर्जा मिला हुआ है । यही पहचान है सेकुलरिज्म की ।


हम सेकुलरों से थोड़ा दूर ही रहते हैं क्योंकि हम थोड़े सांप्रदायिक किस्म के आदमी हैं न । इसलिए कन्नी काटकर जाने लगे । लेकिन फन्ने खां साहब ने पकड़ लिया । कहने लगे " ये प्रतिलिपि वाले भी कितने सांप्रदायिक हैं । ऐसे ऐसे बकवास विषय देते हैं लिखने को । ये गोधूलि भी कोई विषय है क्या ? घोर सांप्रदायिक विषय है । क्या होता है गोधूलि ? और उसका बेचारी बेला से क्या लेना देना" ? 


जिसका डर था वही हुआ । सेकुलर ब्रिगेड की आदत है कि जहाँ कहीं गाय , भगवान , तिलक , मंदिर का नाम आता है वे तुरंत सांड की तरह बिदकते हैं । जैसे कि किसी सांड ने कोई लाल कपड़ा देख लिया हो । फन्ने खां जी भी ऐसे ही बिगड़े हुये थे । 


उनकी इस विक्षिप्त दशा को देखकर हमारे मुख पर एक मुस्कान विराजमान हो गई । इसे देखकर तो वे और भी अधिक बिफर गये । सभी सेकुलरों का यह मानना है कि बुद्धि, विवेक, ज्ञान और मुस्कान पर उनका एकछत्र राज है । किसी सांप्रदायिक व्यक्ति की इतनी मजाल कहाँ कि वे इस ओर देख भी सकें ? इस देश के महान बुद्धिजीवियों , पत्रकारों , कलाकारों को ही देख लीजिए । ज्ञान पर उनका एकाधिकार है । उनके अलावा बाकी सब मूढ़ आदमी हैं । 


हमने कहा "आदरणीय , गोधूलि का मतलब होता है गाय की धूल । जब गायें दिनभर जंगल में रहकर शाम से पहले घर आती हैं और उनके खुरों से लगकर जो धूल उड़ती है , इस कारण वातावरण धुंधलका हो जाता है । वह गोधूलि बेला कहलाती है । इस में सांप्रदायिक क्या है" ?  


उन्होंने हमें आग्नेय नेत्रों से देखते हुये कहा "रे मूर्ख" 


मूर्ख शब्द पर हमने आपत्ति व्यक्त की तो उन्होंने कहा कि मूर्ख शब्द को अंग्रेजी में "इंटेलिजेंट" कहते हैं । उन्होंने तो इंटेलिजेंट कहा था । उन्होंने उदाहरण भी दिया कि आधुनिक भारत के महान भाषा विद "मामा शकुनि" ने हिन्दी के शब्द "हरामखोर" का अंग्रेजी वर्जन "नॉटी" बताया था । उसी के अनुसार इंटेलिजेंट कहा था उन्होंने । 


इस देश की एक खासियत ये भी है कि सेकुलर जो कहें वही सही है बाकी सब गलत है । भारत तेरे टुकड़े होंगे यह नारा सबसे बड़ा देशभक्ति वाला नारा बताया है उन्होंने । और माननीय महोदयों ने भी इसे देशद्रोही करार नहीं दिया है । आखिर माननीय भी तो सेकुलर दिखना चाहते हैं । 


हमने कहा "आदरणीय, भाषा अगर नहीं आती है तो बोलना कोई आवश्यक नहीं है । मुझे ज्ञात है कि आप सेकुलर्स लोगों को अंग्रेजी से बहुत लगाव है । हिन्दी से वैसे ही घृणा है जैसे श्रीराम से है । इसलिए आपकी हालत हम समझ सकते हैं" 


वे कहने लगे "आप जैसे सांप्रदायिक लोगों ने ही इस देश को नर्क बना रखा है । हमारे चचाजान तो इसे स्वर्ग बनाना चाहते थे । आधुनिक भारत बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान को तहस नहस करने का बीड़ा उठा लिया था । मगर अब देख रहे हैं कि सांप्रदायिकता का सांप फिर से फन उठा रहा है ।ये प्रतिलिपि वाले भी इसे और हवा दे रहे हैं । देखना , एक दिन जब हमारी सत्ता होगी तो सबसे पहले बैन प्रतिलिपि पर ही लगेगा" । 


"मगर आप तो 'अभिव्यक्ति की आजादी' के सबसे बड़े पैरोकार हैं न । फिर ये बैन कैसा" ? 


"हमारी अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है कि केवल हमको ही कुछ भी कहने का अधिकार है और किसी को नहीं । समझे" ? 


"एक बात मेरी समझ नहीं आई अब तक । तुम सेकुलर्स को गाय से घृणा है लेकिन गाय के मांस "बीफ" से नहीं । बीफ तो बड़े चाव से खाते हैं आप लोग । ये क्या बात हुई कि बीफ से प्रेम मगर गाय से घृणा ? इसी तरह तुम लोग चिकन मटन तो बड़े मजे से खाते हो और जानवरों की इतनी चिंता करते हो कि पटाखों पर प्रतिबंध लगवा देते हो । यह कहकर कि पटाखों की आवाज से जानवर डर जाते हैं । बड़े दोगलेपंथी हो तुम सेकुलर्स और लिबरल्स" । 


फन्ने खां साहब ने बड़े जोर का कहकहा लगाया और कहा " यही तो हमारी विशेषता है और इसी के लिये हम जाने भी जाते हैं । आप ही बताइये कि एक विशेष दिन इतने सारे जानवर कटते हैं । धरती लहुलूहान हो जाती है । लेकिन हमारी बेशर्मी देखिए कि हमने आज तक उसके खिलाफ चूं तक नहीं की । क्योंकि वह एक सेकुलर त्यौहार है । हम तो सांप्रदायिक त्यौहारों पर ही हाय तौबा मचाते हैं । अब देखो । ये प्रतिलिपि वालों ने गोधूलि और बेला को एक साथ कर दिया । ये भी कोई बात है भला ? कितनी अच्छी डांसर हैं बेला जी । क्या कमर लचकती है उनकी । हाय मैं मर जावां । और इस कमबख्त प्रतिलिपि ने एक सांप्रदायिक जानवर के पैरों की धूल और बेला जैसी ग्रेट डांसर को एक ही तराजू में तौल दिया । हम कहे देते हैं कि नारी का सम्मान हम कम नहीं होने देंगे । चाहे इसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े " । उनके मुंह से झाग निकलने लगे । 


हमें बड़ा आश्चर्य हुआ उनकी नारी भक्ति देखकर । हमने कहा " तुम जैसे लोगों ने अपनी फिल्मों में नारी को केवल भोग्या की तरह से पेश किया है । उसे नग्न करते समय लाज नहीं आई तुम्हें ? अपने साहित्य में तुम लोग केवल सेक्स परोसते हो और बातें नारीवाद की करते हो । तुम लोगों को शराब और शबाब के अलावा और किसी चीज से कोई मतलब नहीं है । डूब मरो कहीं चुल्लू भर पानी में" । 


वो मेरी बात से नाराज नहीं हुये बल्कि जोर जोर से ठहाके लगाने लगे । बोले " हमारी बेशर्मी की कोई सीमा नहीं है । हमारी खाल गैंडे से भी ज्यादा मोटी है और प्रजाति गिरगिट की है । हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है"। 


मुझे तो हंसमुख लाल जी की फिक्र होने लगी । उनके पड़ोसी जो ठहरे । इन लिबरल्स और सेकुलर्स ने पूरे देश का बंटाधार कर दिया है अब बेचारे हंसमुख लाल जी को कौन बचायेगा इन फन्ने खां जैसे लोगों से । भगवान ही मालिक है इनका । 


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