गलतफहमी दूर हो गईं
गलतफहमी दूर हो गईं
गाँव के छोटे से स्कूल से बारहवीं कक्षा पास करके मैंने नजदीक ही जयपुर शहर के एक काॅलेज में दाखिला लिया था। सब कुछ बहुत अलग और गाँव की दिनचर्या के बिल्कुल विपरीत था। मैं बहुत सीधी साधारण थी और उसी साल एक और लड़की वंदा ने भी दाखिला लिया, जिसका रहन-सहन, उठना-बैठना हम सब से बिल्कुल अलग था।
शुरूआत में तो मैं उससे बहुत कतराती थी। एक ही कक्षा में होने के बावजूद भी कभी उससे बात नहीं की। उसको लेकर मन में हमेशा आंशका थी।
एक दिन मैं काॅलेज के बाहर सड़क पार कर रही थी कि अचानक से तेजी से आती हुई एक कार ने मुझे टक्कर मार दी और मैं बेहोश होकर वहीं गिर गई। वंदा उस समय वहां खड़ी थी और वही मुझे अस्पताल लेकर गई। गाँव से मेरे मम्मी-पापा को बुलाया गया। मुझे रात तक होश आया और जैसे ही मैंने अपनी आँखे खोली वंदा मेरे सामने मुस्कराती हई खड़ी थी। उस समय वंदा की उस मुस्कुराहट ने जैसे मुझ पर कोई जादू सा कर दिया और मेरी सारी गलतफहमी दूर हो गई। आज हम दोनों अच्छे दोस्त हैं।