mahak gupta

Tragedy

5.0  

mahak gupta

Tragedy

मेरे लिखने की वजह

मेरे लिखने की वजह

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"लिखना, लेखक की ताकत भी है और कमजोरी भी"

आज के ढेरों युवा लेखन क्षेत्र में अपने पैर जमा रहे हैं। क्योंकि 'लिखना' विचारों को प्रकट करने का सबसे आसान जरिया है। इतिहास में भी कई जाने-माने लेखक हुए हैं जिनकी कविता, कहानी, शायरी, गजल, आलेख आज भी युवाओं की पसंद हैं, जिसके ज्वलंत उदाहरण है हरिवंश राय बच्चन जी, मुंशी प्रेमचंद जी, कृष्णा सोबती जी, गुलजार साहब आदि।

एक लेखक सिर्फ इसीलिए नहीं लिखता क्योंकि लिखना उसे पसंद है, उसकी रूचि हैं या लोग उसे पढ़े। कोई न कोई किस्सा छिपा होता है जो एक लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करता हैं। ठीक ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ।

बात 16 दिसम्बर 2012 की है जब 23 साल की एक मजबूर और निरपराध लङकी रात के घोर अंधेरे में दिल्ली की सङक पर तेजी से दौड़ रही थी और दरिन्दों के एक समूह उस पर टूट पड़ा। उस रात दरिन्दों ने निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल रचा उससे सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। पूरा भारत निर्भया को न्याय दिलाने के लिये एकजुट हो गया। इस घटना ने लड़कियों की सुरक्षा पर प्रश्न खङा कर दिया था। पर अभी भी दरिन्दों की हैवानियत पर विराम चिन्ह नहीं लगा था।

फिर एक बार जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में दरिन्दों ने हैवानियत को अंजाम दिया। 8 साल की मासूम, बेकसूर बच्ची आसिफा के साथ गैंग रेप किया। जिसने परत दर परत सभी के रोंगटे खङे कर दिये। एक बार फिर दरिन्दगी की घिनौनी तस्वीर सभी देशवासियों के सामने आयीं।

हालांकि उदासी, दर्द से पूरे देश में सन्नाटा छा गया था। पर मेरी ऑखें गवाह बनकर रह गई मासूम की माँ की तङपन की, जिसने मुझे लिखने के लिए अल्फाज दिये। मेरी पहली कविता का शीर्षक है "माँ की तङप", जो कि अपनी बेटी की चिंता में तङप रही माँ का समाज के उन लोगों पर व्यंग्य हैं जो अपनी नीच सोच के परिचायक हैं।


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