गलतियों से सीख ले
गलतियों से सीख ले
समय का पहिया चलता रहता है तो अच्छे और बुरे वक्त का दौर देखने मिलता है लेकिन हम बुरे दौर में अपना संतुलन बना गतिविधियों नहीं सकते है जिससे बात और बिगड़ जाती है जो उस परिस्थिति में अपने आप की संभाल लेता है वो आगे बढ़ जाता है। बात आज से कुछ सालो पहले की है जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे हम सभी दोस्त १४ की आयु को पर कर किशोरावस्था में पहुँच गए थे तो हम सभी साथियो पर इसका असर भी पड़ रहा था। अगर हम बात करे अपने परिवार की तो वे उतने सक्षम नहीं थे की हम लोगो को अच्छे स्कूल में और अधिक पढ़ाई करा सके। मेरा नाम राज है मेरे पिताजी मजदुर थे मैं पढ़ने लिखने में अच्छा था मुझे अपने घर में पूरा समर्थन मिलता था। मेरे दो दोस्त थे पहले दोस्त का नाम प्रेम तथा दूसरे का नाम प्रांजल था। हम सब एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई किया करते थे . हम तीनो पढ़ाई के साथ स्कूल क अन्य गतिविधियों में भाग लेते थे।
प्रेम के पिताजी कम पड़े लिखे थे वे दरजी का काम करते थे तथा प्रांजल का परिवार सम्पन्न था उसके पिताजी सरकारी कर्मचारी थे। समय ा धीरे धीरे आगे बढ़ता गया और हम भी धीरे धीरे प्रांजल को बुरी लत लग गयी थी वो अब धूम्रपान करने लगा गया था वो घर में चोरी भी करना सुरु क्र दिया था यह बात हम लोगो को पता ही नहीं था अब स्कूल में अर्धवार्षिक की परीक्षा सुरु हो गया था हम सभी पर परीक्षा का टेंशन था लेकिन प्रांजल इस सब से अनभिग होकर वह अपने में मस्त था उसको अपने घर में सिर्फ अपने बड़े भैया से डर लगता था वो अब झूठ बोलना भी सिख गया था वो अपने भैया के डर से परीक्षा की तिथि नहीं बताया था क्योकिं उसके भैया पेपर वाले दिन ही घर में फिर से लिखवाते थे की तुमने पेपर म जैसा लिखा ह वैसा ही लिखो ताकि पता चल सके की तुमने क्या किया है। कम अंक लाने पर उसकी जोर दार पिटाई होती थी पिटाई में लात घूंसे से लेकर बेल्ट छड़ी तक उपयोग किया जाता था . प्रांजल इस सब सेबचने क लिए झूठ का सहारा लेना सुरु क्र दिया था वो जब परीक्षा पूरी हो जाती थी तब वह अपने मन से बाद का तिथि निकाल क्र अपने भैया को बताता था जिससे वह पेप्पर को पहले से देख कर घर म बनता था।
ऐसे करते करते वो अब बहुत ज्यादा ही बिगड़ गया था उसे नए नए नशा की लत पड़ गई थी वो उसके घर वाले इस बात से अनजान थे उनको लगता था की हमारे कड़े व्यवहार से वो ऐसा नहीं करेगा परन्तु वे भूल गए की उनके कड़े और कठोर नियम से ही वो बिगड़ा था। अब वो अपने धूमपान के लिए एक गरोह के चक्कर में फंस गया था . जोआगे चलकर बहुत बड़ी मुसीबत में फसने वाला था।
अब बात करते है मेरे दूसरे दोस्त की यानि प्रेम का उसके पिताजी ज्यादा पड़े लिखे नहीं न होने के कारण वो पढ़ाई को ज्यादा महत्व नहीं देते थे उनका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाने में ज्यादा होता था। वो प्रेम को पड़ने के लिए प्रेरित नहीं करते थे बल्कि लिए उकसाते थे। तो प्रेम ने तंग आकर पेपर बाटना सुरु कर दिया और पढ़ाई जारी रखा लेकिन उसके पिताजी अब ये ताना मारने लगे की इतने पैसे से क्या होगा वो बार बार ऐसी बात को दोहरा क्र उसे प्रताड़ित किया करते थे नतीजा यह हुआ की वो १० की परीक्षा में फेल हो गया वो इतना परेशान हो गया की उसने एक रात घर से भाग जाने का प्लान किया और वो घर से निकल गया घर वाले परेशान हो गए उसे खोजने लगे उस समय मोबाइल का चलन ज्यादा नहीं था तो मुचे बाद में पता चला में भी उसे खोजने लगा लेकिन वो नहीं मिला . रात को वह मेरे घर आया मैंने उसे समझाया की घर से भाग जाना समस्या का समाधान नहीं है करके। सुबह उसे घर छोड़ के आया। फिर उसने एक दुकान में काम करना सुरु कर दिया जिससे घर में कुछ समय के लिए शांति छा गइ थी।
मेरे दोनों दोस्त अपनी अपनी समस्याओं से घिरे थे प्रांजल गिरोह में पड गया था जिसमे ४२० का काम करने लगा था जिसमे वह लोगो से पैसा लेकर टावर लगाने की बात करता था जिसमे से एक व्यक्ति ने इस बात को जानकर उसने पुलिस स्टेशन में धोखा धड़ी का मामला दर्ज करा दिया। जिससे उसे जेल जाना पड़ा जब यह बात उनके घर में पता तो उनके पैरो से जमीन खिसक गयी . फिर वे पुलिस स्टेशन जाकर उसे छुड़वाया।
उधर प्रेम के पिताजी को प्रांजल के बारे में पता चला तो उन्हें भी अहसास हुआ की बच्चो पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाना चाहिए।
फिर दोनों के घर वाले को अहसास हो गया की हमे अभी बच्चो पर दबाव नहीं बनाना चहिये इस तरह दोनों फिर से स्कूल जाने लगे और वे मन लगा कर पढ़ाई करने लगे।