Guriya Kumari

Inspirational

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Guriya Kumari

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एकतरफा प्यार कामयाबी की सीढ़ी

एकतरफा प्यार कामयाबी की सीढ़ी

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अमृता विद्यालय से घर आ रही थी तो देखी गांव में बहुत चहल- पहल है। वह सोचने लगी आखिर बात क्या है! सब इतना खुश क्यों हैं ? अमृता को भी इस खुशी का वजह जानने की जिज्ञासा हुई और सड़क किनारे खड़े एक व्यक्ति से पूछ ही ली रामू चाचा आज आप लोग सब बहुत खुश नजर आ रहे हैं बात क्या है? रामू चाचा बोले बिटिया आज शहर से हमारे गांव में एक नया पदाधिकारी आये हैं।

जाओ जाकर तुम भी मिल लो उनसे मिलकर तुम्हें भी बहुत खुशी होगी।

अमृता बोली चाचा शहर से तो बहुत पदाधिकारी आते हैं हमारे गाँव अगर आज आ गए तो इसमें खुशी की क्या बात हो गई ,रामू चाचा बोले पदाधिकारी तो पहले भी कई बार आए हैं बेटी लेकिन आज जो आए हैं वह औरों जैसा नहीं है वह हम जैसे गरीबों से भी खुलकर बात करते हैं और खुशी की बात तो यह है वह अब कुछ दिन हम लोगों के साथ ही रहेंगे हमारे गांव में।

अमृता जब घर गई तो देखी उनके आँगन में महिलाओं की जमघट लगी हुई थी अमृता की उम्र महज 16 साल थी छोटी होने का फायदा उठाकर वो भीड़ में भी अपना जगह बना ली औऱ आगे चली गई जब आगे गयी तो सामने कुर्सी पर बैठे पदाधिकारी को देखकर वह मनमुग्ध हो गई शायद उसने पहले इतने सुंदर व्यक्ति को ना देखी हो जब वह हँसते थे ऐसा लगता था मानो फुलवारी में अभी-अभी एक फूल खिला हो और उनका वाणी तू कोयल से भी मधुर था। एक ही झलक में अमृता को उससे प्यार हो गया और उनसे बात करने के लिए उत्सुक हो गई लेकिन उस भीड़ में वह कैसे बात करें और क्या बात करें ? यह समझ नहीं आ रहा था।

उसी दिन शाम में अमृता बाजार जा रही थी तो पदाधिकारी भी बाजार जा रहे थे सामान लाने, रास्ते में अमृता की मुलाकात हो गई उनसे वह आव देखी न ताव पूछ ही डाली सर आपका नाम क्या है पदाधिकारी बोले निशांत,

इसी तरह बातचीत में एक दूसरे का परिचय भी हो गया और दोनों बाजार भी पहुंच गये।

इसी तरह दोनों की मुलाकात रास्ते या घर कहीं ना कहीं प्रत्येकदिन हो ही जाती थी।अमृता का निशांत के प्रति आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन निशांत ऐसा कुछ भी नहीं सोचते थे बस गाँव के लोगों से जिस तरह घुले मिले थे ठीक अमृता से भी उसी तरह घुल मिल गये थे निशांत अमृता के बारे में ज्यादा नही सोचते थे।

 एक वर्ष बाद निशांत का ट्रांसफर दूसरे गांव में हो गया जो गांव अमृता के घर से छह किलोमीटर की दूरी पर था, निशांत अमृता को बिना बताये चले गए; अमृता विद्यालय से आई तो गांव की ही एक महिला से पता चला की निशांत गाँव को छोड़कर चला गया है और वो यहाँ अब कभी नहीं आयेगा।

अमृता घर आकर खूब रोई उनको सबसे अधिक दुःख इस बात का हुआ कि वह जाने से पहले एक बार मुझे बताया भी नहीं कि हमारा ट्रांसफर दूसरे गांव में हो गया है।

अमृता निशांत को भूलने की बहुत कोशिश की लेकिन जिसके साथ एक साल व्यतीत किये हो उसको भूलना आसान नही होता चाहे वो दोस्त , परिवार ,प्रेमी या कोई रिश्तेदार ही क्यों ना हो, ठीक उसी तरह अमृता भी निशांत को नही भूल पायी लेकिन उनके पास अब कोई उपाय भी नही था भूलने के सिवाय ,दिल औऱ दिमाग की लड़ाई में दिमाग की विजय हुई औऱ दिमाग से दिल तक पहुंचने का रास्ता मिला, वो अब सोच ली हम पढ़ लिख के एक अच्छा अधिकारी बनेंगे तब जाकर उनसे मिलेंगे नही तो कभी नही मिलेंगे, अमृता सबकुछ छोड़कर बस पढ़ाई पर ध्यान लगा दी, कहा जाता है ना कि मेहनती ,जिज्ञासु औऱ लगनशील छात्र को सफल होने से कोई नही रोक सकता ठीक उसी तरह अमृता भी अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते एक दिन सफलता हासिल कर ली।


अमृता का पोस्टिंग उसी शहर में हुई जिस शहर में निशांत का घर था। निशांत अब प्रत्येक दिन शहर से ही ड्यूटी करने गाँव जाता था।प्रत्येक माह की तरह इस माह भी ऑफिसर्स मीटिंग थी, जिसमें अमृता और निशांत दोनों उपस्थित थे।अमृता निशांत की एक झलक देखते ही पहचान गई ,भला उसका चेहरा वह कैसे भूल सकती है जिसे अपना प्रेमी मान उसने अपने प्रेम को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बना कर जीवन में सफलता हासिल की , उनकी सफलता का एक मात्र मकसद था निशांत से प्रेम का इजहार करना और उसके साथ अपना खुशहाल जीवन व्यतीत करना।

निशांत को बहुत दिनों बाद देख कर उनके नैनों से अश्रु बहने लगे उसको यह बात परेशान कर रही थी की क्या इतने दिनों बाद निशांत उसे पहचान पायेगा या कहीं निशांत की शादी हो गयी होगी तो वो क्या करेगी!घंटे के मीटिंग के बाद सभी बाहर निकल गये लेकिन अमृता नही निकली जब निशांत देखा कि सभी चले गये है लेकिन एक लड़की यहीं बैठी है और रो रही है आखिर बात क्या है? निशांत अमृता को नही पहचान पा रहा था क्योंकि उम्र के साथ अमृता के चेहरे में काफी बदलाव आया था और पहले से अधिक खूबसूरत लग रही थी, जब वो रो रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे नीले आकाश से बारिश की बूँदें गिर रही हो, अमृता का शरीर कुछ इस तरह से ढला हुआ था मानों इटेलियन मार्बल को तराशकर उसपर लेप दिया हो , सफेद ड्रेस में वो इतनी खूबसूरत औऱ मासूम लग रही थी मानों कोई मूर्तिकार सफेद संगमरमर को तराशकर किसी देवी की मूर्ति बनाये हो, हां लेकिन मासूमियत पहले जैसी थी। निशांत ने अमृता से आकर कहा मैडम सभी चले गए आप यहाँ अकेले बैठकर इतना जार -बे -जार से क्यों रो रही हो? आपको क्या परेशानी है, तबीयत तो ठीक है ना आपकी? अमृता से रहा न गया बहुत दिनों बाद निशांत की आवाज सुनकर उसके गले से लिपटकर औऱ जोर से रोने लगी तो निशांत ने आश्चर्यचकित होकर बोला आप कौन हो , मुझे जानती हो आप अमृता रोते हुये बोली मैं अमृता हूँ और बोली निशांत इतना जल्दी भूल गये तुम हमें! निशांत बोला नहीं अमृता बस पहचानने में थोड़ी देरी हो गई फिर निशांत भी रोने लगा, दोनों एक दूसरे से लिपट कर बहुत देर तक रोते रहे, फिर दोनों खुद को संभाल कर बाहर निकले क्योंकि ऑफिस बंद होने का समय हो गया था।

 बाहर बहुत बारिश हो रही थी और निशांत की गाड़ी ऑफिस से थोड़ी दूर थी जहां पहुंचने तक दोनों भींग जाते, निशांत बोला अमृता तुम यहीं रुको मैं आता हूँ गाड़ी लेकर तुम भींग जाओगी, अमृता बोली नही निशांत मैं भी तुम्हारें साथ बारिश में भींगना चाहती हूँ क्योंकि में आषाढ़ की पहली बरसात में अपने प्रेम के साथ हूँ और भींगते हुये दोनों गाड़ी की तरफ बढ़ रहे थे बारिश में भींगने में अमृता को बहुत आनंद आ रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे पूरी कायनात आज उसे उसके प्रेम से मिलाने में लगे हों औऱ बारिश की बूँदें उन्हें फूलों के बरसात की तरह लग रही थी रास्ते में दोनों एक दूसरे से बातें करते हुए जा रहे थे इसी क्रम में अमृता बोली – निशांत इतने दिन कहाँ थे तुम क्या तुम्हें कभी मेरी याद नही आई? मुझे बिना बताये क्यों चले गए थे तुम ? निशांत बोला मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो लेकिन मैं तुम्हारी ताकत बनना चाहता था कमजोरी नहीं और मुझे विश्वास था कि तुम एक दिन अवश्य मिलोगी मुझे, हम तुमसे भले ही नहीं मिलते थे लेकिन तुम्हारी हर खबर तुम्हारे रामू चाचा से लेते रहते थे कि तुम कैसी हो और पढ़ाई कर रही हो या नहीं। बातों का सिलसिला जारी ही था कि निशांत का घर आ गया और निशांत बोला चलो मेरे घर , मैं तुम्हें अपनी माँ और पिता जी से मिलवाता हूँ, अमृता बोली नहीं तुम्हारे माँ पापा क्या सोचेंगे और वे तो मुझे जानते भी नहीं हैं ,अगर पूछेंगे कौन है , तो तुम क्या बोलोगे !

अरे तुम क्यों इतना परेशान हो रही हो सभी को पता है तुम्हारे बारे में दोनों जैसे ही घर में प्रवेश किए तो निशांत के पिताजी पूछते हैं बेटा यह कौन है तुम्हारे साथ? निशांत बोला पापा यही अमृता है जिसके बारे में आपको मैं बताया था।

निशांत की माँ किचन से आवाज दी कौन आया है ?निशांत के पिताजी बोले तुम्हारी होने वाली बहू आई है माँ दौड़ते हुए अमृता को देखने आयी अमृता ने दोनों को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया औऱ सभी साथ मिलकर खाना नाश्ता किये। 

निशांत के पिताजी अमृता के साथ उसके घर तक उसे छोड़ने और उसके पिताजी से शादी की बात करने गये

अमृता के माँ औऱ पिताजी शादी के लिए तैयार हो गए उन्हें तो लड़का पहले से ही पसंद था फिर शुभ कार्य में विलंब कैसा दोनों की शादी बहुत धूमधाम से हुई और दोनों एक दूसरे के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे।


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