Anshu Priya

Drama Tragedy Inspirational Romance Fantasy

3.7  

Anshu Priya

Drama Tragedy Inspirational Romance Fantasy

एक विवाह प्रस्ताव

एक विवाह प्रस्ताव

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परिचय - यह कहानी शुरू हीं होती है एक विवाह प्रस्ताव से, हालांकि इस प्रस्ताव के आने के पहले से ही दोनों ही लोग एक दूसरे से परिचित थे।   

इस कहानी के वैसे तो बहुत सारे पात्र हैं लेकिन जो मुख्य पात्र हैं उनके नाम अमृत और केशव हैं।

अमृत एक मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखती है जो ग्रेजुएट करके एक प्राइवेट स्कूल में अंग्रेजी एवम कम्प्यूटर की शिक्षिका का काम कर रही हैं ताकि उसकी अपनी पढ़ाई का खर्च और घर में कुछ मदद हो सके।

अमृत की माता एक शिक्षिका हैं और - पिता अकाउंटेंट।

और वो अपने माता पिता की बड़ी संतान है।

प्लॉट -1 

चलिए तब कहानी की शुरुवात करते हैं अमृत से।

यह एक साधारण लड़की है जिसने बहुत ही कम उम्र में जिंदगी की बहुत सारे उतार -चढ़ाव देखे हैं।

क्योंकि एक गरीब परिवार से संबंध रखने के कारण इसने बचपन से जीवन के सारे पहलू को बहुत ही नजदीक से देखा होता है।

अपनी पढ़ाई के साथ साथ वह स्कूल में काम भी करती है जहां वह सबकी चहीती भी है।

ना सिर्फ उसके सहकर्मी बल्कि बच्चे भी उससे बहुत प्यार करते हैं।

लेकिन प्राइवेट स्कूल में हो रहे राजनीति के कारण अमृत अपने कार्य अनुभव से संतुष्ट नहीं होती है। अपना 100 प्रतिशत देने के बावजूद भी उसे ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जो वो देखना चाहती है। लेकिन क्योंकि काम करना उसकी जरूरत है और लड़की होने के कारण समाज के पैनी नज़र से खुद को सुरक्षित रखने के लिए भी वह उसी स्कूल में काम करती हैं ताकि उसके चरित्र पे कोई दाग न लगे।

इसी दौरान उस के जीवन एक बड़ा ही कड़वा मोड़ आता है जो शुरू में तो बहुत अच्छा दिख रहा होता है लेकिन धीरे धीरे अमृत के जीवन को खोखला करने लगता है। एक युवा लड़का आता है उस स्कूल में एक शिक्षक के पद पर।

वह लड़का जब भी ग्रुप में बैठता तो अपने दयनीय जीवन की कहानी सुनाता जिससे अमृत का दिल दुखता है कि कोई इतना भी मजबूर कैसे हो सकता है।

 क्योंकि वह खुद जीवन की कठिनाइयों को इतने करीब से देख चुकी होती है की उस लड़के की दुख को वह आसानी से समझ पाती है और धीरे धीरे उसके दर्द को अपना दर्द बना के जीने लगती है।

दोनों में बातें होने लगती है। एक दूसरे से अपनी अपनी बातें बाटने लगते हैं और धीरे धीरे उनमें नजदीकियां बढ़ने लगती है। अमृत उसकी बहुत केयर करने लग जाती है लेकिन लड़का उसकी बातों को मैसेज में तो सीरियसली लेता है लेकिन सामने आने पर अनजाना दिखाता है।

एक दिन अचानक वह स्कूल से रिजाइन कर देता है और जवाब पूछने पे बताता है कि समझो तुम्हारा दोस्त मर चुका है। यह बात अमृत को बार - बार बहुत चोट पहुंचाता है। वह पुराने दर्द से तो दूर हो जाती है लेकिन नई दर्द उसके दिल पर दस्तक दे जाती है।

हर मुमकिन प्रयास करने के बाद भी अमृत अपने दोस्त को फिर से नहीं वापस ला पाती है। वह कहती है कि मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए बस इतनी इजाजत दे दो की मैं जब भी तुमसे तुम्हारा हाल जानना चाहूं तो बता दो। लेकिन इतनी सी भी अर्जी को उसके कठोर हृदय दोस्त ने नकार दिया । और तो और उससे पीछा छुड़ाने के लिए उसने हर अश्लील बातों का सहारा लिया जो वो ले सकता था। इसमें गलती  अमृत की ही थी उसे किसी को भी इतनी इजाजत नहीं देनी चाहिए थी जो उसके आत्म सम्मान को छल्ली छल्ली कर दें।

लेकिन कच्ची उम्र के रिश्ते ही इतने पक्के होते हैं की छूटते ही नहीं छूटते।

लगभग एक साल लग जाते हैं उसे अपने दर्द से लड़ते हुए। फिर वह सामान्य स्थिति में आ जाती है और पहले की तरह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगती है।

अब उसे उस स्कूल का कोई कोना अच्छा नहीं दिखता, हर जगह उसे अपने दोस्त की बचकानी हरकतें दिखते हैं और दर्द देते हैं। अन्नु खुद को इस दर्द से आजाद करना चाहती है जिसके लिए उसने नई नौकरी ढूंढना शुरू कर दिया।

भगवान ने भी उसका साथ दिया और और एक नए जगह से उसे इंटरव्यू के लिए कॉल आता है ।

वहां जो बंदा इंटरव्यू लेने के लिए आता है वह बहुत ही कम उम्र का दिखता है जो की मासूम भी है ।

और उसका नाम केशव होता है।

अमृत ने मुस्कुराते हुए सारे सवालों के जवाब दिए क्योंकि उसे उस इंटरव्यूअर से थोड़ा भी डर नहीं लगा।

बाद में उसे पता चलता है की वही उसका बॉस भी है।

अमृत अपने नए काम को बहुत ही मन से करने लगती है। वह अपने बॉस को भी बहुत रिस्पेक्ट करती है और अपने सहकर्मियों से भी खूब मिल जुल के रहती है।

लेकिन राजनीति के पंख ने वहा भी अपने पर फैलाने शुरू कर दिए। और 2 महीने बाद लगभग 9 कार्यकर्ताओं सहित अमृत और उसके बॉस केशव भी नौकरी से निकाल दिए जाते हैं।

अपने भाग्य को कोसते हुए सब एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं।

अमृत अपने सहकर्मी को बहुत याद करती है लेकिन वह अपने बॉस को सबसे ज्यादा मिस करती है। उनके छत्रछाया में वह अनजान जगह में भी खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करती थी। मिस्टर केशव जैसे बॉस पता नहीं अब उसे कही मिलेंगे भी या नहीं।


प्लॉट -2

अमृत और मिस्टर केशव के बिछड़े हुए पूरे 2 साल हो जाते हैं। दोनों ही अलग - अलग शहरों में अपने अपने प्रोफेशन में में काम करने लग जाते हैं और और अपनी दुनिया में खुश रहते हैं। 

इन 2 सालों में एक दो बार हीं दोनों की नॉर्मल बातें होती हैं। वो भी उनके काम काज के बारे में हीं।

अचानक से एक दिन अमृत के एक्स बॉस केशव का फोन आता है अमृत चौक जाती है। प्रणाम , प्रणाम से उनकी बातें शुरू होती हैं और हाल चाल पे खत्म हो जाती है। केशव के बातों से ऐसा लगता है कि वो उससे कुछ कहना चाहते हैं लेकिन कह नहीं पाते हैं।

"फिर बात करते हैं" कह के वो फोन रख देते हैं।

अमृत थोड़ी परेशान सी हो जाती है कि आखिर केशव कहना क्या चाहते थे।

1-2 दिन बाद अमृत मिस्टर केशव को मैसेज करती है @सर आपने कुछ कहने के लिए फोन किया था क्या जो कह नहीं पाए? अब कहिए...!

केशव ने रिप्लाई किया....will you marry me?

और जवाब में उन्होनें कहा की सिर्फ "हां या ना" कहे।

अमृत आश्चर्यचकित रह गई। उसके आश्चर्य का कारण यह था कि वो दोनों एक दूसरे से सिर्फ सोच में एक जैसे थे लेकिन रहन सहन में एकदम अलग।

अमृत जहां साधारण सी लड़की थी वही केशव बहुत स्टाइलिस्ट थे।  हालांकि फाइनेंशियल हालात दोनों के हीं समान हीं थे। लेकिन उन्हें घूमने फिरने का भी शौक है जबकि अमृत की अबतक की घर में शांत रहने की प्रकृति रही है।

इसलिए मिस्टर केशव को जवाब देना अमृत के लिए बहुत कठिन मालूम परता है।

वह बहुत बेचैन हो जाती है। अपने बॉस के लिए दिल में सम्मान उसे न तो "हां" बोलने देता है और ना ही "ना"। 

अगले दिन वह मैसेज में रिप्लाई करती है कि -"मैं आपके प्रस्ताव का उत्तर एक शब्द में नहीं दे सकती।

मैं जिस परिवार से संबंध रखती हूं वहां बेटियों के शादी का फैसला उनके माता - पिता लेते हैं खुद लड़की नहीं ले सकती।

इसलिए अच्छा होगा अगर आप मेरी मां से बात करें।

मिस्टर केशव okay बोलते हैं और यहीं से उनकी  कहानी एक नई मोड़ ले लेती है।

अगले दिन शाम को मिस्टर केशव अमृत की मां को फोन करते हैं और बहुत हीं हिचकिचाहट भरे लफ़्ज़ों में उनके पास अपना पक्ष रखते हैं। वो अमृत की मां को ये आश्वाशन दिलाते हैं कि अन्नु उनके साथ बहुत खुश रहेगी। लेकिन मामला यहीं पे खत्म नहीं होता। मिस्टर केशव अमृत की मां से कहते हैं कि एक अनुरोध है मेरा आपसे की यह प्रस्ताव लेकर आप मेरे पिता जी के पास जाए मैं उन्हें आपके बारे में पहले से हीं बता दूंगा बस औपचारिकता के लिए आप अगर विवाह प्रस्ताव लेकर जाएंगे तो सब नियमपूर्वक हो जाता। वो मान जाती हैं और अमृत के पापा को कुछ दिनों बाद उनके गांव भेजती हैं ताकि लड़के के पिता से बात भी हो जाए और लड़के के घर द्वार को भी देख लें।

अब अमृत के पापा लड़के के पिता के पास पहुंचते हैं दोनों में परिचय होती है और शादी की बातों पर आते हैं।

लेकिन यह बातचीत इतनी सरल नहीं रह जाती है क्योंकि लड़के का कुल अन्नु के कुल से बड़ा होता है। इस कारण मिस्टर केशव के पिता उनके प्रस्ताव को अंशत: मना कर देते है और 1 महीने का समय लेते हैं।

अमृत और केशव में सामान्य बात चीत जारी रहती है। दोनों हीं आपस और ज्यादा घुल मिल जाते हैं और एक महीने को कैसे काटना इस सोच में लगे रहते हैं।

अब जब एक महीने पूरे हो जाते हैं तो अन्नु की मां अपने पति से कहती है कि सुनिए जी जरा लड़के के पिता को फोन मिलाइए और फिर से एक बार पूछिए कि वो हमारी लड़की से शादी करेंगे की नहीं अपने बेटे की।

वो फोन मिलात हैं तो फोन उठाते हीं केशव के पिता इस अनजान अंदाज बोलते हैं जैसे वो आज पहले अमृत के पिता से बात हीं नहीं किए हुए हो।

और जब अमृत के पिता परिचय देते हुए उनकी राय पूछते हैं तो वो जवाब देते हैं.."मैंने कहा था ना आपसे 1.5 साल बाद सोचेंगे हम अपने बेटे की शादी के बारे में तो फिर क्यों बार बार आप तंग करते हैं फोन करके।

ये बात अमृत के पिता को बहुत चुभ गई लेकिन उन्होंने इसे जाहिर नहीं होने दिया अपने परिवार के सामने।

फिर केशव इस मुद्दे पे अपने बहन - बहनोई  से बात करता है, और बहुत लंबे बहस के बात ये निर्णय लिया जाता है कि तुम उस लड़की से शादी नहीं कर सकते।

केशव यह बात अमृत की मां को साफ शब्दों में बता देता है लेकिन खुद खाली पर जाता है। अपने हीं इमोशंस के साथ लड़ने लग जाता है। इधर अमृत के घर में भी माहौल बिगड़ जाता है। सब केशव के मीठे स्वभाव से भावनात्मक रूप से जुड़ चुके थे अब अचानक बिछरन की बात हजम नहीं हो पा रही है 

लेकिन जब केशव अपनी छोटी बहन से बात करते वक्त भावुक होकर रो देता है तो सारी बातें पलट जाती हैं। वैसे तो अमृत और केशव ने एक दूसरे से कह दिया था कि हम दोनों के रास्ते अलग हो गए लेकिन उन दोनों का मिलना किस्मत में  लिखा था सो मिल हीं गए आखिर में।

अमृत और केशव दोनों के परिवार में बातचीत होती है और उनकी शादी फाइनल हो जाती है।

और यह विवाह प्रस्ताव सफल हो जाता है।

Thank you for reading 🤗


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