दर्द भरा स्वपन
दर्द भरा स्वपन
यह स्वप्न उस लाचार लड़की की है जो अपने सपने के बारे मेंं ना दूसरे को बता सकती हो और ना ही उसे बता सकती है जिसे उसने अपने स्वप्न मेंं देखा। उस रात की गहराई कुछ ऐसी थी कि अगर उसे छूने की कोशिश करे तो खुद भी उस गहराई मेंं डूब जाए। वह मासूम सा रोता हुआ चेहरा जब उस लड़की की आंखों के सामने आता है तो उसकी मनोदशा ऐसी हो जाती है जैसे मानो कोई सीप से खुद की निकाली हुई मोती को तोड़ कर रोता हो जिसे उसने वर्षों से अपने प्यार के छाया मेंं संजोकर रखा।
हालांकि यह एक सपना था लेकिन जब कोई बुरा सपना किसी की हकीकत ज़िन्दगी बन जाए तो जागते दिन और सोई रातों मेंं सारे फर्क हीं खत्म हो जाते है। विवशता यह है कि वह चाह कर भी उसकी आंसू नहींं पोंछ सकती जिसके उदास चेहरे को देखकर भी हृदय टूक- टूक हो जाता था।
लेकिन दर्द मेंं भी खुशी की बात यह है कि हकीकत मेंं ना सही स्वप्न मेंं तो वो उसके आंसू पोंछकर उसे गले लगा सकती है और खुशी इस बात की भी है कि दुर्भाग्यवश वह उसे अपने सामने तो नहींं देख पाती है पर अपने सपने मेंं देखने का हक़ उससे कोई नहींं छीन सकता है।
यह जीवन कितना कठिन है यह शायद उस रात के स्वप्न ने साबित कर दिखाया। जहां साथ जीने की कसमेंं खाई थी वहां साथ मरने का भी हक छीन लिया गया।
जागते समय जब लड़की की आंख खुलती है तो उसे उस रौशनी से नफ़रत हो जाती है जिसमेंं वह अपने जीवन को रौशन न देख सके और वह सोचती है की इस सुबह से अच्छी तो वह रात थी जिसमेंं वह अपने दर्द को भी पूरे हक से गले लगा सकती है।