एक कहानी
एक कहानी
जया जी रोहन के पास आकर उसके सर पर हाथ फेरने लगी। रोहन ने अपना सर उनके कंधे पर रख दिया। रोहन को सोनिया से हुई पहली मुलाकात याद आई। रोहन एक बड़े से होटल में इंटरव्यू के लिए गया था पोस्ट थी मैनेजर की। काफी कैंडिडेट हाथ में फाइलें था में एक बड़े से हॉल में बैठे थे। सभी के चेहरों पर टेंशन। रोहन भी वहीं बैठ गया। इतने में एक सुंदर सी लड़की आई जिसने काले रंग की स्कर्ट और ब्लेजर पहना था। ऊंची एड़ी के काले जूते इस पहराव में उसका गोरा रंग और गोरा लग रहा था। वह आकर रोहन की बगल वाली सीट पर बैठ गई। वह भी टेंशन में थी। रोहन ने उसकी तरफ देखा वह लड़की मीठी मुस्कान मुस्कुराई। बदले में रोहन भी मुस्कुराया। कोई बातचीत नहीं। इंटरव्यू हो गए एक-एक कर सब चले गए।
कुछ दिनों बाद रोहन और लड़की दोनों उस होटल में दिखाई दिए। दोनों का चयन किया गया था। जिस पोस्ट के लिए दोनों ने इंटरव्यू दिया था वह पोस्ट केवल रोहन को मिली थी। और उस लड़की को दूसरी पोस्ट दी गई थी। पहले दिन जब दोनों ने एक दूसरे को देखा तो पहले की ही तरह स्माइल देकर एक दूसरे का परिचय दिया।
"हेलो मैं रोहन यहां का नया मैनेजर।"
"और तो वे आप है?"
"आप से मतलब?"
"मतलब हम दोनों ने एक ही पोस्ट के लिए इंटरव्यू दिया था आपको चुन लिया गया।"
"तुझे आप?"
"मुझे एचआर की पोस्ट की गई है। उनका कहना था आप ज्यादा योग्य हैं। मगर वे मुझे भी अपने होटल में चाहते थे क्योंकि मैं भी योग्य हूं। इसलिए उतनी ही सैलरी ऑफर करते हुए मुझे यह पोस्ट दे दे मुझे नौकरी की जरूरत थी तो मैंने भी ले ली। मगर तभी से बेचैन थे उस कैंडिडेट को देखने के लिए जिसने मुझसे मैनेजर की पोस्ट छीन ली।"
"एक्सक्यूज मी मैडम मैंने नहीं छीनी मुझे मिल गई है अपनी योग्यता से।"
"ओके सर नो सो नाइस टू सी"
"आपने इतनी लंबी कहानी सुनाई पर अपना नाम नहीं बताया"
"अरे मैं तो भूल ही गई मैं सोनिया, सोनिया जायसवाल।"
"नाइस टू मीट यू सोनिया।"
और दोनों एक साथ काम करने लगे। सोनिया की होशियारी मेहनत और ईमानदारी, दूसरों की परवाह करना यह सब बातें रोहन को सोनिया की ओर आकर्षित करने लगी। और सोनिया में रोहन को अपने जीवन साथी नजर आने लगी। एक दिन उसने सोचा कि वह सोनिया को अपने दिल की बात बता देगा। उसने सोचा सोनिया ने यहां कहीं तो सारी उम्र वह उसे खुश रखेगा और उसकी हर इच्छा पूरी करेगा। और उसने ना कहीं तो उसका अच्छा दोस्त बनकर उसकी खुशियों के लिए हमेशा दुआएं करेगा।
रोहन ने उसे अपने केबिन में बुलाया और कहां उससे कुछ जरूरी बातें करना चाहता है क्या वह कहीं बाहर मिल सकते हैं?
"बाहर कहां?" सोनिया ने पूछा।
"वह जो सामने गार्डन है वहां।" रोहन
सोनिया को कुछ अजीब सा लगा फिर भी उसने 'हां' कहीं।
दिन और समय तय हुआ दोनों मिले बहुत ही रोमांटिक अंदाज से रोहन ने सोनिया को प्रपोज किया। सोनिया खुश हो गई। मुस्कुराई, शरमाई और फिर गंभीर हो गई।
"मैं अपनी मां की इच्छा के विरुद्ध कुछ नहीं कह सकती। इसलिए आपको पहले मां से बात करनी पड़ेगी।" सोनिया ने कहा।
रोहन तैयार हो गया। वह दूसरे ही दिन सोनिया के घर पहुंचा। वहां एक सीधा साधा वन बीएचके फ्लैट था जहां केवल सोनिया और उसकी मां रहती थी। सोनिया ने दोनों की पहचान कराई। रोहन ने बताया उसका एक बड़ा सा परिवार है ।उसके पापा बैंक मैनेजर है ।मां घर संभालती है ।एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन है। उनका बड़ा सा रो हाउस है ।घर में हर सुख सुविधा है।
सोनिया की जया जी ने कहा "देखो बेटा बात तो बड़ी खुशी की है कि तुम मेरी बेटी से विवाह करना चाहते हो पर क्या तुम्हारे घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार होंगे?"
"क्या हाल है आखिर क्या कमी है सोनिया में वह हर तरह से मेरी पत्नी और मेरे घर की बहू बनने योग्य है।"
रोहन के मुंह से यह बात सुनकर जया जी मुस्कुराई। "सो तो ठीक है एक सच्चाई तुम्हें बताना चाहती हूं पहले उसे सुनना फिर फैसला करना।" जया जी गंभीरता से बोली।
रोहन भी गंभीर हो गया।
"बताइए आंटी जी क्या बात है?"
"सोनिया मेरी अपनी बेटी नहीं है।"
"क्या?"
रोहन आश्चर्यचकित होकर कुछ चिल्लाया।
"मेरे पति ने मुझे रख दिया उसके बाद मैंने दूसरी शादी नहीं की अपना गांव छोड़ दिया और यहां आकर नौकरी करने लगी एक स्कूल में मुझे नौकरी मिल गई कुछ सालों बाद मैं वहां की प्रिंसिपल बन गई और यही बस गई। घरवालों ने दूसरी शादी के लिए रिश्ते लाने शुरू की पहली शादी के बुरे अनुभव के कारण मैंने इनकार किया।
हमारे स्कूल के बच्चों के पुरानी किताबें कपड़े पास वाले एक अनाथालय को भेज दिए जाते थे। एक विद्यार्थी का जन्मदिन था। उसके माता-पिता ने स्कूल के बच्चों के साथ साथ अनाथालय के लिए चॉकलेट से भेजी थी। इस बार मैं खुद उस विद्यार्थी के साथ अनाथालय पहुंची। और वही सोनिया से मिली 3 साल की एक मासूम और प्यारी बच्ची ।उसे देखते हे मेरे मन में ममता जागृत हुई और कुछ ही दिनों बाद मैंने उसे गोद ले लिया और सारी उम्र उसकी जिम्मेदारी ले ली।
रोहन के मन में सोनिया जी की मां जया जी के लिए इज्जत और बढ़ गई।
"आंटी जी अब मैं समझ गया कि सोनिया ने अपना फैसला क्यों नहीं लिया। मुझे कोई आपत्ति नहीं मैं तो खुशनसीब हूं जो मेरे जीवन में सोनिया और आप जैसी मां आ गई।" रोहन के चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
रोहन अपने घर गया जैसे ही रोहन ने अपने घर वालों को सोनिया के बारे में बताएं सभी के चेहरे उतर गए।
"जिस लड़की का कुल गोत्र जात पात पता नहीं उसे मैं अपने घर की बहू बनाऊं?"
रोहन की मां ने गुस्से में कहा।
"तुम्हारी मां बिल्कुल ठीक कह रही है।"
रोहन के पिता ने भी समर्थन किया।
"मगर पापा मैं सोनिया से बहुत प्यार करता हूं । और वह एक अच्छी और संस्कारी लड़की है।"
"हमें यह रिश्ता मंजूर नहीं"
रोहन के पापा कुछ उत्तेजित होकर बोले।
"मगर मैं सोनिया के अलावा किसी से शादी नहीं करूंगा।" रोहन
"तो तुम हमारी इच्छा के विरुद्ध उस लड़की से शादी करोगे?" रोहन की मां
" हां मैं उसी से शादी करूंगा।" रोहन
"अगर यही बात है तो आज के बाद तुम्हारा हिस घर से रिश्ता नहीं रहेगा।" रोहन के पापा गरज पड़े।
"यह आप क्या कह रहे हैं? देखो रोहन बेटा बात को समझने की कोशिश करो।"
रोहन की मानी बात को संभालने की कोशिश की।
बातें बढ़ती गई बहस बढ़ती गई और रोहन ने घर छोड़ दिया।
जया जी ने भी रोहन को समझाने का प्रयास किया। "बेटा अगर घरवाले नहीं मानते हैं तो…"
"तभी मैं सोनिया से ही शादी करूंगा।"
और एक दिन उनके कोर्ट मैरिज हो गई।
रोहन सोनिया को लेकर अपने घर चला गया इस उम्मीद के साथ कि शायद अब वह मान जाए। मगर उन सब ने उसे अपमानित कर उस से रिश्ता तोड़ दिया।
अब रोहन सोनिया और जया जी के साथ उनके फ्लैट पर रहता है। कुछ दिन टेंशन भरे थे फिर सब नहीं खुश रहना सीख लिया। वे सब बहुत खुश थे और एक दे उनकी खुशियां दुगनी हो गई। सोनिया ने गुड न्यूज़ दे दी। अब सोनिया की बहुत लाड़ प्यार होने लगे। उसका बहुत ध्यान रखा जाने लगा। दिन बीते गए सोनिया की कोख में होने वाली हलचल से जया जी और रोहन दोनों पुलकित होने लगे। घर में बच्चे की तस्वीर आई, खिलौने आए। जया जी ने बुनाई शुरू की। घर में जैसे त्योहार सा वातावरण हो गया था।
पर शायद उनकी खुशियों को किसी की नजर लग गई सोनिया अब घर पर ही रहने लगी थी। एक दिन उस नहीं रोहन से बाहर खाना खाने की इच्छा जताई। वे दोनों एक अच्छे रेस्टोरेंट गए। खाना खाया एक रोमांटिक शाम थी। खाना खाकर वह वापस आ ही रहे थे कि अचानक सोनिया के पेट में दर्द होने लगा। सातवां महीना चल रहा था।
रोहन बहुत परेशान हो गए वहीं से वह सोनिया को अस्पताल ले गया। सोनिया की हालत बुरी हो रही थी उसे पसीना छूट रहा था। दर्द के मारे बहुत तड़प रही थी।
उसे इमरजेंसी वार्ड में ले लिया गया।
डॉक्टर आई कुछ टेस्ट किए गए और कहां कुछ कॉम्प्लिकेशंस हो गई है जिसके कारण तुरंत उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा।
रोहन बहुत डर गया था वह कुछ समझ नहीं पा रहा था उसने जया जी को फोन किया साथ ही अपने घर वालों को भी।
शायद उसके इस दर्द में उसके घर वाले उसका साथ दें उसे उम्मीद सी हो गई थी।
और उसे कुछ देर बाद सामने जया जी नजर आई। उन्हें देखकर वह फूट-फूट कर रोने लगा। जया जी उसके पास आकर बैठ गई। उसने रोहन के सर पर हाथ फेरा और उसे हिम्मत देने लगी। रोहन का शहर जया जी के कंधे पर था आंखें बंद थी आंखों से मोती टपक रहे थे। रोहन को जया जी का स्वर सुनाई दिया।"रोहन शायद तुम्हारी मां.."
रहने तुरंत आंखें खोली सर उठा कर देखा तो सामने सच में उसकी मां आ रही थी।
रोहन के पास आई उसने अपने बेटे को गले लगा लिया बोली ,"क्या हुआ सोनिया को?"
"रोहन ने जो कुछ भी हुआ था वह सबके सुनाया और सिसकियां लेने लगा।"
"बेटे पहले तुम रोना बंद करो सोनिया को कुछ नहीं होगा।"
"सोनिया और हमारा बच्चा मुझे दोनों की फिक्र हो रही है मां।"रोहन का स्वर तीव्र होता गया।
"सब ठीक हो जाएगा बेटा भगवान पर भरोसा रखो।"
रोहन की मानी जय जी को नमस्ते की बदले में जया जी ने भी नमस्ते की।
अबे तीनों एक ही बेंच पर खामोश बैठे हैं सब की हालत एक जैसी ही है।
जया जी की चेहरे से भले ही दिखाई ना दिया हो पर अंदर से वह बहुत रो रही थी। बार-बार ईश्वर के चरणों में प्रार्थना कर रही थी।
आधे घंटे बाद ऑपरेशन थिएटर के बाहर वाली लाल बत्ती बुझ गई।
डॉक्टर के बाहर आते ही सब दौड़ पड़े।
"डोंट वरी दे आर आउट ऑफ डेंजरस। कांग्रेचुलेशन आप को बेटा हुआ है।"
डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा।
डॉक्टर की यह बात सुनकर सबके चेहरे फूल की तरह खिल गए।
"डॉक्टर सोनिया कैसी हैं?" रोहन ने पूछा।
"अभी भी बेहोश है जल्दी ही उन दोनों को शिफ्ट किया जाएगा होश में आते ही आप उन्हें मिल सकते हैं।"
सब ने राहत की सांस ली। 15 दिनों तक मां और बच्चे को अंडर ऑब्जर्वेशन में रखा गया। इन 15 दिनों में एक एक कर रोहन के सभी घरवाले आए और वातावरण खुशियों में बदल गया।
पर रोहन और सोनिया अपने बच्चे के साथ जया जी के फ्लैट में ही रहते हैं।
जया जी को अकेला छोड़ ना उन्हें मंजूर नहीं था। पर उनका रोहन के घर आना जाना होता है। उसी प्रकार रोहन के घर वाले भी उनसे मिलने अक्सर आया करते हैं।
