एक एहसास (जिदंगी)
एक एहसास (जिदंगी)
बात कुछ दिन पहले की है। उस दिन मुझे एक ऐसा एहसास हुए ,जिसने मुझे एक बार फिर सोचने को मजबूर किया।
शाम का वक़्त था, ट्रैफिक की धीमी रफ़्तार में , मैं भी रेंगती चाल में चल रहा था। सड़क के बीचो बीच, ट्रैफिक जाम लगाए बस सभी की आँखों में खटक रही थी। मे भी उस बस के ड्राईवर को गुस्से भरी आँखों से देख रहा था, की इतने में मेरी नज़र, बस में चढ़ रहे उन लोगो पर पड़ी, वो सब नेत्रहीन थे।
एक दूसरे के हाथो में हाथ लिए वो चल रहे थे। पहली नज़र मे देखा तो मेरे दिल में दया की भावना आई ।
फिर उनके चहेरो को देख, दिल को सुकून मिला ,उनके पास ना गम था और ना ही दुख, बस थी मुस्कान, जो वो ख़ुशी से अपने साथ लिए आगे बढते जा रहे थे ,और फिर मेने खुद से पूछा ,इन पर दया क्यों ??
दया तो शायद हमे खुद पर करनी चाहिए, जो छोटी छोटी बातो पर हार मान जाते है। कभी ज़िन्दगी तो कभी खुदको हार जाते है। सोचते ही नहीं की जो हमारे पास है वो कुछ के लिए ज़िन्दगी से बढकर है और जो हमारे पास नहीं उसकी चाह में, उसकी कीमत भूल जाते है।
शायद यही ज़िन्दगी है।
