Tanvi Gupta

Inspirational

3  

Tanvi Gupta

Inspirational

दुखों की अदला-बदली

दुखों की अदला-बदली

3 mins
176


एक बार एक दुखी भक्त अपने ईश्वर से शिकायत कर रहा था!

आप मेरा ख्याल नहीं रखते, मैं आपका इतना बड़ा भक्त हूँ! आपकी सेवा करता हूँ! रात-दिन आपका स्मरण करता हूँ! फिर भी मेरी जिंदगी में ही सबसे ज्यादा दुःख क्यों?

परेशानियों का अम्बार लगा हुआ है! एक समाप्त होती नहीं कि दूसरी समस्या तैयार रहती है!

दूसरों कि तो आप सुनते हो! उन्हें तो हर ख़ुशी देते हो! देखो आप ने सभी को सारे सुख दिए हैं, मगर मेरे हिस्से में केवल दुःख ही दिए!


फिर भगवान की आवाज उसे अपने अंतर्मन में सुनाई दी, ऐसा नहीं है बेटा.....सबके अपने- अपने दुःख, परेशानियाँ है! अपने कर्मों के अनुसार हर एक को उसका फल प्राप्त होता है! यह मात्र तुम्हारी शंका है!

लेकिन नहीं.... भक्त है कि सुनने को राजी ही नहीं!

अंततः अपने इस नादान भक्त को समझा - समझा कर थक चुके भगवान ने एक उपाय निकाला!

प्रभु बोले... चलो ठीक है मैं तुम्हें एक अवसर और देता हूँ, अपने भाग्य को बदलने का!

यह देखो यहाँ पर एक बड़ा सा पुराना वृक्ष है! इस पर सभी ने अपने - अपने दुःख-दर्द और सारी परेशानियां, चितायें, दरिद्रता, रूग्णता, तनाव, आदि सब एक पोटली में बाँध कर उस वृक्ष पर लटका दिए है! जिसे भी जो कुछ भी दुःख हो... वो वहाँ जाता ह और अपनी समस्त परेशानियों की पोटली बना कर उस वृक्ष पर टांग देता है! तुम भी ऐसा ही करो, इस से तुम्हारी समस्या का हल हो जाएगा!


भक्त तो खुशी के मारे उछल पड़ा... धन्य है प्रभुजी आप तो, अभी जाता हूँ मैं!

तभी प्रभु बोले, लेकिन मेरी एक छोटी सी शर्त है!

कैसी शर्त भगवन ?

भगवान:- तुम जब अपने सारे दुखो की, परेशानियों की पोटली बना कर उस पर टांग चुके होंगे तब उस पेड़ पर पहले से लटकी हुई किसी भी पोटली को तुम्हें अपने साथ लेकर आना होगा! तुम्हारे लिए...!

भक्त को थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने सोचा चलो ठीक है! फिर उसने अपनी सारी समस्याओं की एक पोटली बना कर पेड़ पर टांग दी! चलो एक काम तो हो गया अब मुझे जीवन में कोई चिंता नहीं!

लेकिन प्रभुजी ने कहा था की एक पोटली जाते समय साथ ले जाना!

ठीक है... कौन सी वाली लूँ ... यह छोटी वाली ठीक रहेगी! दूसरे ही क्षण उसे विचार आया मगर पता नहीं इसमें क्या है! चलो वो वाली ले लेता हूँ!

अरे बाप रे.... मगर इसमें कोई गंभीर बीमारी निकली तो!

नहीं नहीं ..अच्छा यह वाली लेता हूँ! मगर पता नहीं यह किसकी है और इसमें क्या क्या दुःख है!

हे भगवान.... इतनी उलझन.... वो बहुत परेशान हो गया सच में " बंद मुट्ठी लाख की ..खुल गयी तो ख़ाक की!

जब तक पता नहीं है की दूसरों की पोटलियों में क्या दुःख - परेशानियां, चिंता मुसीबतें है.. तब तक तो ठीक लग रहा था! मगर यदि इनमें अपने से भी ज्यादा दुःख निकले तो!..


हे भगवान ...कहाँ हो?

भगवान बोले " क्यों क्या हुआ ?

 पसंद आये वो उठा लो ..." "

 नहीं प्रभु क्षमा कर दो ..

 नादान था जो खुद को सबसे दुखी समझ रहा था ..यहाँ तो मेरे जैसे अनगिनत है, और मुझे यह भी नहीं पता की उनका दुःख -चिंता क्या है ....

मुझे खुद की परेशानियां, समस्याएं कम से कम मालूम तो है ...

नहीं अब मै निराश नहीं होऊंगा ...

सभी के अपने -अपने दुःख है, मैं भी अपनी चिंताओं, परेशानियों का साहस से मुकाबला करूंगा, उनका सामना करूंगा न की उनसे भागूंगा...!


धन्यवाद प्रभु, आप जब मेरे साथ है, तो हर शक्ति मेरे साथ है!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational