दुब्रोव्स्की (भाग-2)
दुब्रोव्स्की (भाग-2)
शहर में आकर अन्द्रेइ गव्रीलविच अपने एक परिचित व्यापारी के यहाँ रुका, वहाँ रात बिताकर सुबह जिले की अदालत पहुँचा। किसी ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, उसके पीछे-पीछे ही किरीला पेत्रोविच भी आया। मुंशी कानों में कलम फँसाए उठकर खड़े हो गए। अदालत के सभी सदस्य उससे बड़े तपाक से मिले, उसके पद, आयु एवम् डील-डौल का सम्मान करते हुए उसके लिए कुर्सियाँ पेश की गईं; वह खुले दरवाज़े के निकट बैठा– अन्द्रेइ गव्रीलविच दीवार का सहारा लेकर खड़ा था, तभी सचिव ने खनखनाती आवाज़ में अदालत का फ़ैसला पढ़ना शुरू किया।
यहाँ हम उसका सारांश दे रहे हैं, शायद आपको यह जानने में दिलचस्पी हो कि कानूनन किसी सम्पत्ति का स्वामी होने पर भी रूस में किसी को उससे किस तरह बेदखल किया जाता है।
सन् 18...के अक्टूबर माह की 27 तारीख को जिला अदालत ने पाया, कि सेना के लेफ़्टिनेन्ट अन्द्रेइ गव्रीलविच वल्द दुब्रोव्स्की द्वारा जनरल किरीला पेत्रोविच वल्द त्रोएकूरव की सम्पत्ति पर, जो ...प्रान्त के किस्तेनेव्को गाँव में हैं, …पुरुष कृषिदासों और खेतों एवम् खलिहानों वाली ...एकड़ भूमि पर ग़ैर कानूनी तरीके से कब्ज़ा कर लिया गया...
सारांश यह था कि किरीला पेत्रोविच के पिता स्वर्गीय प्योत्र एफ़ीमव ने यह सम्पत्ति 14 अगस्त 17…को फ़ादेय ईगरोव स्पीत्सिन से खरीदी थी. किरीला पेत्रोविच किशोरावस्था से ही फ़ौजी सेवा में होने के कारण अक्सर युद्धों पर जाया करता. इसलिए उसे अपने पिता की मृत्यु के बारे में और उनके द्वारा छोड़ी गई सम्पत्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और अब, सेना से निवृत्त होकर अपनी जागीर में लौटने पर उसे इस बात का ज्ञान हुआ, कि उसकी तमाम सम्पत्ति में से किस्तेनेव्को पर ज़मींदार दुब्रोव्स्की का अधिकार है. किस्तेनेव्को की ख़रीद-फ़रोख़्त से संबंधित कोई दस्तावेज़ न तो किरीला पेत्रोविच के पास है, और न ही अन्द्रेइ गव्रीलविच के पास। अतः अन्द्रेइ गव्रीलविच यह सिद्ध नहीं कर सकते कि उनके पिता को यह सम्पत्ति ईगर एफ़ीमव त्रोएकूरव द्वारा बेची गई थी।
अतः अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँची, कि किस्तेनेव्को की जागीर पर अन्द्रेइ गव्रीलविच गैर कानूनी ढंग से कब्ज़ा जमाए हुए है. अदालत अन्द्रेइ गव्रीलविच को यह आदेश देती है कि वह किरीला पेत्रोविच को उसकी जागीर खेतों-खलिहानों समेत, तालाबों-पोखरों समेत, वनों-रास्तों समेत, कृषिदासों एवम् अन्य आबादी समेत और ज़मींदार के आवास समेत वापस लौटा दे।
सचिव ख़ामोश हो गया, ग्राम प्रमुख उठा और झुककर अभिवादन करते हुए उसने त्रोएकूरव को आदेश वाले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने को कहा और त्रोएकूरव ने विजयोन्माद से झूमते हुए उसके हाथ से कलम ली और अदालत के आदेश पर प्रसन्नता जताते हुए दस्तख़त कर दिए।
अब बारी थी दुब्रोव्स्की की, सचिव उसके पास दस्तावेज़ ले गया, मगर दुब्रोव्स्की सिर झुकाए निश्चल खड़ा रहा।
सचिव ने उससे दुबारा हस्ताक्षर करते हुए अपनी पूर्ण सहमति अथवा संपूर्ण असहमति दर्शाने की प्रार्थना की। यदि उसकी अंतरात्मा यह कहती है, कि उसका पक्ष सही है और वह कानूनन तय की गई समयावधि के भीतर ऊपरी अदालत में मामले पर पुनर्विचार की प्रार्थना करना चाहे तो अपनी असहमति दर्शाए। दुब्रोव्स्की ख़ामोश ही रहा...अचानक उसने सिर उठाया, उसकी आँखें चमक रही थीं, उसने पैर पटकते हुए सचिव को इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि वह गिर पड़ा और स्याही की दवात उठाकर ग्राम प्रमुख के मुँह पर दे मारी, सभी सकते में आ गए।
“मजाल तो देखो! ईश्वर के गिरजे का भी लिहाज नहीं ! भाग जाओ, गुण्डों की जमात !”
फिर वह किरीला पेत्रोविच से मुख़ातिब होते हुए बोला, “सुन लिया फ़ैसला, हुज़ूरे आला,” वह कहता गया, “कुत्तों के नौकर कुत्तों को गिरजाघर के अंदर ले आए हैं ! कुत्ते दौड़ रहे हैं ईश्वर के गिरजे में ! मैं तुम्हें सिखाऊँगा...”
शोर सुनकर संतरी भागे-भागे आए और बड़ी मुश्किल से उस पर काबू पा सके। उसे ज़बर्दस्ती ले जाकर गाड़ी में बिठा दिया गया। त्रोएकूरव उसके पीछे-पीछे ही बाहर निकला, सभी न्यायाधीशों से घिरा हुआ। दुब्रोव्स्की के अचानक पागल हो जाने का उस पर गहरा असर हुआ था और उसकी सारी ख़ुशी रफ़ू-चक्कर हो गई।
उससे धन्यवाद और मेहरबानियों की आशा रखने वाले न्यायाधीशों को उससे अभिवादन का एक शब्द भी नहीं मिला। वह उसी दिन पक्रोव्स्कोए चला गया।
इस दौरान दुब्रोव्स्की बिस्तर पर पड़ा रहा, जिले के डॉक्टर ने, जो सौभाग्यवश नौसिखिया नहीं था, उसे खून चढ़ाया. शाम तक उसकी तबियत काफ़ी संभल गई, मरीज़ सामान्य हो गया। दूसरे दिन उसे किस्तेनेव्को ले जाया गया, जो अब उसका नहीं था।