Sheshrao Yelekar

Inspirational

3.9  

Sheshrao Yelekar

Inspirational

धरतरी माय

धरतरी माय

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    धरतरी मायला सबजन माय कसेत कारण वा आपलो उदर मा को प्रेम,ममता सब आपलो पुत्र पर न्योच्छावर करसे. आपलो पृथ्वीवासी सब पुत्र पर सारखो प्रेम करसे.आमी पृथ्वीवासी भी आपलो यन धरतरी माय को आंग खांदपर गुण्यागोविंदा लक रवसेजन/खेलसेजन. धरतरी माय को कृपा लक आमला पाणी, खानो रवनला मिलसे. यन माय को कृपा स्वरुप याहान मनुष्य संस्कृती फली फूली, आदर्शवादी जीवन जगन की प्रेरणा मिली.


   धरतरी माय को पिठ पर अनेक देश प्रांत बस्या सेत.याहा रवनेवाला सब जीवजंतूसाठी परिपूर्ण निसर्ग निर्मीत से.निसर्ग संपत्ती पर याहा सबको अधिकार समान से.यन संपत्ती को उपभोग लेनेवालो मनुष्य योव सदा यन धरतरी माय को ऋणी से. धरतरी माय को गर्भ मा अनेक रहस्यं सेती अना जस जसी ओको पुत्र ला गरज पडसे तस तसा रहस्य उजागर करकन धरतरी माय आपली ममता, वात्सल्य आटलो पुत्रोंपर देखावत रवसे.


     मनुष्य जीवच् नहीं त् पशू पक्षी जीव जंतू सबको पालन पोषण याधरतरी माय करसे मनून धरतरी माय का अगणित उपकार यन धरतरीवाशी पर सेंती धरतरी माय सबपर असीम प्रेम करसे आपलो पुत्र साठी ओन आपलो जवरका सारा दरवाजा खोल देयी सेस आता आपलो काम से का दरवाजो को अंदर को खजिना,संपत्ती को कसो संगोपन करे पायजे. वा आपला उपकार की परतफेड कभी मांग नहीं पर आपून पुत्र मनून आपला कर्तव्य पार पाडे पायजे. ओको ऋणला सन्मान देये पायजे ओको रक्षा आती हमेशा तत्पर रहे पायजे यवढीच सेवा देयकन आपलो पुत्र धर्म हर व्यक्तीला निभावनो से. अना पुत्र धर्म निभावता निभावता यन कारो धरतरी माय का ऋण फेडणो से.


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