डॉक्टर डूलिटल - 1.5

डॉक्टर डूलिटल - 1.5

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लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग

स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास


दोस्त डॉक्टर की मदद करते हैं


बार्बरा सच कह रही थी. डॉक्टर के पास खाने के लिए कुछ न बचा था. तीन दिनों से वह भूखा था. उसके पास पैसे नहीं थे.


जानवरों ने, जो डॉक्टर के घर में रहते थे, देखा कि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं है, और वो उसे खिलाने लगे. बूम्बा उल्लू और ख्रू-ख्रू सुअर ने कम्पाऊण्ड में किचन गार्डन बनाया. सुअर ने अपने थूथन से क्यारियाँ खोदीं, और बूम्बा ने उनमें आलू बो दिए. गाय हर रोज़ सुबह-शाम डॉक्टर को अपना दूध देती थी. मुर्गी उसके लिए अण्डे लाती थी.

सारे प्राणी डॉक्टर की देखभाल करने लगे. कुत्ता अव्वा फर्श साफ़ कर देता. तान्या और वान्या चीची बन्दरिया के साथ मिलकर उसके लिए कुएँ से पानी लाते.

डॉक्टर खुश था.


 “मेरे घर में इतनी सफ़ाई कभी नहीं थी. अपने काम के लिए थैंक्यू, मेरे बच्चों और जानवरों!”


बच्चे ख़ुशी से हँसने लगे, और जानवरों ने एकसुर में जवाब दिया,

 “काराबूकी, माराबूकी, बू!”

जानवरों की भाषा में इसका मतलब होता है, “हम तुम्हारी सेवा कैसे नहीं करेंगे? तुम तो हमारे सबसे बढ़िया दोस्त हो.”


और कुत्ते अव्वा ने उसके गाल को चाटा और कहा, “अबूज़ो, मबूज़ो, बाख़!”

जानवरों की भाषा में इसका मतलब है, “हम तुम्हें कभी नहीं छोड़ेंगे और तुम्हारे सच्चे दोस्त बनकर रहेंगे!” 


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