Prerna Karn

Drama

2.5  

Prerna Karn

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डियर होली

डियर होली

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190


सुबह से दीदी(गंगा) चुपचाप बैठी है, माँ पूछो न उससे क्या हुआ है ! - सुमन ने कहा । उसका यह रोज-रोज का काम हो गया है । काम-काज न करना पड़े इसलिए हर दो दिन बाद बिस्तर पकड़ लेती है और कुछ पूछो तो जवाब भी नहीं देती - गुस्से में मीरा (सुमन की माँ) ने कहा । क्या हुआ है तुम्हें ? सारा काम पड़ा है, मैं अकेली ही करती रहूँ और तुम सब आराम करो बस ! कल होली है - तभी गंगा दहाड़े मार बच्ची की तरह रोने लगी । सुमन दौड़कर आयी और गंगा के आंसू पोंछ पीठ सहलाने लगी । गंगा को रोता देख उसकी माँ (मीरा) भी रोने लगी और कहने लगी - हमने क्या बिगाड़ा किसी का जो ये दिन देखना पड़ रहा है ? पाँच साल हो गए पर फिर भी ये उसे(पति) को भूली नहीं है, शादी तो जैसे गुड्डे-गुड़ियों का खेल हो गया है, माँग में सिन्दूर भर गले में मंगलसूत्र डालकर चरित्रहीन बनाते हैं ! मंगलसूत्र उतरवाने में तनिक भी शर्म नहीं आयी उसे और मंगलसूत्र तोड़कर भाग गई कहकर मेरी बच्ची को बदनाम करता है, जिसके लिए भी उसने ऐसा किया है बहुत तड़पेगा वो । एक दिन भी ऐसा नहीं जो उसे याद कर ये (गंगा) रोयी न हो। अरे ! रीति-रिवाज़ भी कोई चीज़ होती है, शादी के बाद रिश्तेदारी में सुहागन महिलाएँ आशीर्वाद में सिन्दूर भेंट करती हैं पर इसे नहीं देतीं फिर किस बात की रिश्तेदारी ? सभी जानबूझकर इसे बुरा अहसास दिला रहे और ये कैसे लड़के से मैंने इसकी शादी कर दी जिसने अपने जीते-जी ही खुद के न होने का अहसास दिलाया ? अरे! क्या उसे यह समझ नहीं शादीशुदा औरत के गले से मंगलसूत्र उतरवाना कितना बड़ा गुनाह है वो भी अपनी पत्नी से? इसे कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया । बहुत बड़ा पाप ले रहा है पाप ! खुद ही किसी बड़े अपशकुन को न्यौता दे रहा है । इतिहास ग़वाह है जिसने अपनी पत्नी को नहीं रखा उसकी उन्नति नहीं बल्कि पतन हुआ है। सभी एक-दूसरे को रोता देखकर चुप कराने लगीं कि तभी आँखें खुल गयीं । गंगा बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी । वो एकदम डरी हुई थी । बिस्तर पर चारों तरफ नज़र दौड़ाया तो देखा बगल में रोहित(पति) सोये हुए हैं । उसने राेहित के चेहरे पर हाथ फेरा तब यक़ीन हुआ कि जो कुछ भी देखा वो बुरा सपना था । अचानक हड़बड़ा कर उठी और खिड़की की तरफ भागी -बच्चे शोर कर रहे थे "होली है" । अरे! आज तो होली है । फिर जैसे ही पलटी पति देव ने रंगों से गंगा को नहला दिया और कहा - हैप्पी होली डियर, मैं कब से तुम्हारे उठने का वेट कर रह था । गंगा की आँखों में आंसू और चेहरे पर हँसी थी । वो पति के गले से लिपट गयी और भगवान का शुक्रिया कह, फूट-फूटकर रोने लगी। पति ने पूछा क्या हुआ? कुछ नहीं, लव यू - गंगा ने कहा तभी पड़ोसी भी नगाड़े के साथ आ गये । फिर दोनों ने सबके साथ मिलकर होली का त्योहार मनाया ।


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