चूहे से सीख

चूहे से सीख

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बहुत पुरानी बात है । एक घर में शादी थी । उस घर की चार औरतें खेतों में शाम को शौचादि के लिए जा रही थी । सभी औरतें आपस में बातें कर रही थी । और कह रही थी कि अरी बहनों आज हमारे घर में शादी है परन्तु गीत तो हमें आते ही नही । तभी उनमें से एक औरत की नजर एक चूहे पर गई । वह चूहा बिल खोद रहा था । उसको देखकर वह औरत कहने लगी-

मैनें तो गीत सीख लिया । खुदक-खुदक क्या खोदा ।

यह सुनकर वह चूहा चुपचाल बैठ गया । यह देखकर दूसरी औरत कहने लगी-बहनों मैंने भी गीत सीख लिया और गाने लगी -चुपक-चाला क्यों बैठा ।

यह सुनकर वह चूहा धीरे-धीरे चलने लगा । उसको देखकर तीसरी औरत कहने लगी, मैंने भी गीत सीख लिया और गाने लगी -रूघक-रूघक कहां चला ।

यह सुनकर वह चूहा जोर-जोर से दौड़ने लगा । यह देखकर चौथी औरत कहने लगी, बहनों मैंने भी गीत सीख लिया- पटक-पछाड़, पटक पछाड़।

ये गीत सीखकर चारों घर वापिस आ गई । घर आने पर चारों ने शाम तक घर का काम किया । और शादी की तैयारियां की । उसके बाद शाम को आई गीत गाने की बारी । शाम को उनके घर के पिछवाड़े से चोरों ने सेंध लगा रखी थी । और पिछे से घर की दीवार की ईंटें निकालने लगे ।

ईधर वे औरतें अपना गीत शुरू करने लगी । जब चोरों ने दीवार को खोदना शुरू किया तो उन औरतों ने अपने गीत की शुरूआत की । पहली और गाने लगी -खुदक-खुदक क्या खोदा ।

यह सुनकर चोर चुपचाप बैठ गये । अब दूसरी की बारी थी । वह अपना गीत गाने लगी । और कहने लगी - चुपक-चाला क्यों बैठा ।

चोरों ने सोचा कि ये तो हमें देख रही हैं और वो चारों चोर चुपचाप वहां से चलने लगे । अब तीसरी की बारी थी । अब वह अपना गीत गाने लगी -रूघक-रूघक कहां चला ।

यह सुनकर चारों चोर वहां से भाग लिये । अब चौथी ने भी अपना गीत गा दिया । पटक-पछाड़, पटक पछाड़।

इस प्रकार से चूहे से सीखे गये गीत ने उनके घर चोरी होने से बचा लिया !


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