Dr. Pradeep Kumar Sharma

Tragedy Inspirational

4.0  

Dr. Pradeep Kumar Sharma

Tragedy Inspirational

चुनावी रैली

चुनावी रैली

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"मैडम, आपसे एक बात करनी थी।" कामवाली ने विनम्रतापूर्वक कहा।

"बोलो न मालती, क्या कहना चाहती हो। तुम्हें छुट्टी चाहिए क्या ?" मैडम ने कहा।

"नहीं मैडम जी, मैं कल से तीन दिनों तक दिन में काम पर न आकर शाम को आया करूंगी।" मालती ने बताया।

"शाम को क्यों भला ?" मैडम ने आश्चर्य से पूछा।

"मैडम जी, आपको तो पता ही है, अगले हफ्ते इधर चुनाव है। इसलिए अगले तीन दिन तक मैं चुनावी रैली में शामिल होने जाऊंगी, जहां से लौटते तक शाम हो जाएगा।" मालती ने बताया।

"ओह, तो ये बात है। अच्छा ये तो बताओ कि तुम किस पार्टी की रैली में जाओगी ?" मैडम ने ऐसे ही जिज्ञासावश पूछ लिया।

"अरे मैडम जी, हम गरीबों की क्या पार्टी ? हमें तो हमारे मुहल्ले के नेताजी जिस रैली में ले जाएं, वहीं चले जाते हैं। सुबह इसकी तो दोपहर को उसकी। लंच पैकेट के साथ-साथ डबल ड्यूटी, डबल पेमेंट। कभी-कभी तो साड़ी, गमछा भी मिल जाता है।" 

"दिनभर पैदल चल-चल कर तो तुम लोग बुरी तरह से थक जाती होगी।" मैडम ने कहा।

"हां मैडम जी, थक तो जाती हैं, पर क्या करें। ये रोज-रोज का काम तो नहीं है, बस सीजन भर का काम है। इस बहाने हम लोग दो पैसे कमा लेते हैं।" मालती ने कहा।

"हूं, सही कह रही हो। मालती, तुम एक काम करना। अगले तीन दिन तुम यहां से छुट्टी मना लेना। मैं यहां का काम खुद ही कर लूंगी। तुम शाम को मत आना। आराम कर लेना। पर हां, चौथे दिन से जरूर टाइम पर आ जाना।" मैडम ने कहा।

"थैंक्यू मैडम।" मालती ने कृतज्ञता पूर्वक कहा और चली गई। 

इधर गली से गुजर रही रैली से मैडम के कानों में 'जिंदाबाद', 'जिंदाबाद' के नारे गूंजने लगे।



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